विधायक की बेटी को चोदा

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नेता बनने की चाह

हाय फ्रैंड्स, मेरा नाम वसंधुरा कोहली है और मैं राजस्थान के जयपुर शहर की रहने वाली 32 साल की कमसिन कली हूँ। मेरा जन्म एक निचले मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ है तो मैं हमेशा से अपने घर के लिए कुछ न कुछ करने की सोचती जिससे मेरे घर मे पैसा आ सके। पढ़ाई के दौरान मुझे लगा कि सबसे ज्यादा पैसा नेता लोग कमाते हैं तो मैने भी आगे चलकर नेता बनने का सोचा था। और अब पढ़ाई खत्म करने के बाद उसी काम में लगी हूँ। आज मैं आपको अपनी जिन्दगी के उन दिनों की बात बताने जा रही हूँ जब मैं 20 साल की थी और अपने जिले से MLA के चुनाव लड़ने की प्लानिगं बना रही थी, तब मैने चुनाव में नेताओं से मिलने और पार्टी में शामिल होने के लिए कई लोगों से रिक्वेस्ट की और टिकट पाने के लिए कई नेताओं से चुदवाया भी। तो क्या होता है, मैं शुरू से बताती हूँ-

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कालेज खत्म हुए 4 महीने हो गये थे और कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या करना है। पिताजी शादी के लिए रिश्ते देख रहे थे और मैं ये सोच रही थी कि आगे क्या करूगी। उस वक्त हमारे जिले में नगर पालिका के चुनाव होने जा रहे थे, तो छोटे मोटे नेताओं का गलियों में आना जाना लगा रहता था। यही वो समय था जब मैं राजनीति में घुस सकती थी और जवान लड़की होने का फायदा भी उठाया जा सकता था। तो मैने सबसे मजबूत उम्मीदवार को देखा और उसके आफिस पहुँची। वह एक बड़ी राजनैतिक पार्टी से था तो मेरे लिए वही टारगेट था। उसका नाम था दिवाकर द्विवेदी और वह एक शादीशुदा आदमी थी जो करीब 45 साल का रहा होगा। मैने उससे कहा कि मुझे अपनी पार्टी में शामिल कर लीजिए, मैं बहुत मेहनती लड़की हूँ और अपने एरिया का विकास करना चाहती हूँ। उसने मुझे ऊपर से नीचे तक ध्यान से देखा, मैं साधारण पटियाला सूट पहने खड़ी थी जो एकदम चुस्त था। उसने कहा ‘पार्टी के लिए क्या कर सकती हो’ तो मैने जवाब दिया ‘कुछ भी’। वह अपनी कुर्सी से उठा, और मेरे पास आकर दोनो हाथों से मेरे गाल पकड़कर मुझे किस किया, मैने कुछ नहीं कहा। उसने दोबारा किस किया और मुझे वही पर पड़ी टेबल पर झुका दिया। आफिस का गेट खुला था और उसके चमचे बाहर से सब देख रहे थे। उसने इशारा किया और वे चमचे थोड़ा बाहर की ओर चले गये।

फिर उसने मेरा सलवार खोला, जब वह मेरी पैंटी उतारने लगा तो मैने उसका हाथ पकड़ा और कहा ‘मुझे पार्टी में शामिल किया जाएगा ना’। उसने कहा ‘टेंशन मत ले, तू पार्टी में आ चुकी है’ ये सुनकर मैं खुश हुई, सोचा कि अपने लक्ष्य की तरफ एक कदम तो बढ़ा लिया मैनें कम से कम। अब उसने पैंटी उतारी और उसने अपने ढीले ढाले लण्ड पर थूक लगाकर चार पाँच शाट मारकर मेरी पीठ के ऊपर ही लेट गया। मैनें कपड़े पहने और लेटर लेकर घर आगयी। अब रोज मैं पार्टी ऑफिस जाने लगी, वहाँ मुझे पार्टी की युवा वाहिनी का जिला सचिव बना दिया गया था। रोज ऑफिस जाने में आये दिन जब कभी वो मुझे चोदता था। मुझे चुदने का अफसोस नहीं था क्योंकि वह ज्यादा चोद नहीं पाता था, पर मुझे अफसोस ये था कि उसके चमचे मुझ पर बुरी नजर रखते थे और रात बिरात मुझे धर के चोद देते थे। अब, मैं कुछ कह भी नहीं सकती थी, क्योंकि उनसे दिन में मैं अपने काम निकलवाती थी जैसे पैसे लेना, किसी को धमकाना, कोई सामान लाना, सिक्योरिटी देना, रैली में चलना आदि।

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ये सिलसला चलता रहा, मुझे घर चलाने भर के पैसे मिल जाते थे। पर जैसे जैसे समय बीत रहा था मेरी इच्छाएं बढ़ रही थी, मैं अब पार्टी में बढ़े पद पर जाना चाहती थी, और MLA का चुनाव लड़ना चाहती थी। इसके लिए पहले मुझे पार्टी के अंदर अपनी पकड़ मजबूत बनानी थी। तो मैंने अपने ऑफिस से ही शुरू किया, और किसी का कोई भी काम होता था तो मैं तुरंत कर देती थी। समाजसेवा का हो या अश्लीलता को हो, किसी को किस चाहिए, किसी को चूचे दबाने हैं तो कोई चूत मारता था, सबकी सेवा में मैं लगी थी और आफिस में सबकी फेवरेट बन गयी थी। सब मेरी राह देखते थे कि मैम कब आएगी और हमारा काम करेंगी। एक दो हरामी ऐसे भी होते हैं जो गांड मारने लगते हैं, मैने कभी भी गांड मारने की इजाजत किसी को नहीं दी, फिर भी सालों ने कई बार मेरी गाड़ का मुरब्बा बना दिया।

अब, विधानसभा चुनाव होने को थे और मेरे कुछ बड़ा करने का इरादा था। अब पार्टी के बड़े बड़े नेता जो राष्ट्रीय स्तर के थे वे आऩे जाने लगे थे और चुनाव की तैयारिया देख रहे थे। उस समय पार्टी अध्यक्ष थे राहुल जयकर जिनकी उम्र रही होगी यही कोई 36 साल। वह जवान लड़का था और पार्टी का नेतृत्व कर रहा था, उसी के हाथ में पार्टी के टिकट बांटना का जिम्मा था। यह सब मैने ऑफिस में रहते हुए सब पता लगा लिया था। तो जब राहुल मेंरे एरिया में आता है तो चुनाव की तैयारियों के जायजे के लिए मैं भी उसके साथ थी। मैने उसका ध्यान आकर्षित करने के लिए अच्छे से मेकअप किया, भड़काउ और चुस्त कपड़े पहने और बार- बार उसके समाने जाती किसी न किसी काम से आ जाती थी। उस समय तक ऑफिस के लड़को ने मेरी गांड और चूचे दबा दबा कर काफी बड़े और आकर्षक बना दिये थे। राहुल का ध्य़ान मेरे फिगर पर जा रहा था और वह उत्तेजित हो रहा था। पर दो दिन ऐसे ही निकल गये और हमारी ठीक से बात तक नहीं हुई। तो मैने सोचा अब क्या करू, आज उसका वहाँ आखिरी दिन था।

वह शहर के एक 5 सितारा होटल में रूका था, मैं रात में उसके होटल गयी और उसके कमरे में पहुँची। उसने कहा, तुम यहाँ क्यूँ आयी हो, तो मैने बताया कि मैं पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ना चाहती हूँ और इसके लिए कुछ भी कर सकती हुँ। ऐसा कहकर मैने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये। वह हाथ में दारू का ग्लास पकड़े हुए था, और दारू पीते हुए बोला, पहले मेरे लौड़ा अच्छे से चूस दो फिर आगे बात करते हैं। मुझे कोई शर्म नहीं थी, क्योंकि मैं कई बार चुदवा चुकी थी और यह भी जानती थी कि ये सब तो करना ही पड़ेगा। तो मैने उसकी पैण्ट उतारी और उसका लण्ड चूसना शुरू किया। वह टेबल के सहारे खड़ा था और मैं घुटनों के बल बैठकर उसका लण्ड अच्छे से चूस रही थी। मैने उसके टोपे को ऐसे चाटा कि वो बिल्कुल लाल हो गया था, पर जब उसका लण्ड मैने पूरा अंदर लिया तो वह ठीक से खड़ा होना शुरू हुआा था। मैनें भी जोश में पूरा लण्ड अपने गले तक उतार दिया और पूरा लण्ड, जाँघ, हाथ सब थूक से सन गये थे। 3 से 4 मिनट की जबजस्तु चुसाई के बाद उसका मूड बना तो वह बोला तुम अच्छी कार्यकर्ता हो, तुम हमारी पार्टी का अच्छे से ध्यान रख सकती हो। ऐसा कहकर वह मुझे बेड पर ले गया और खुद लेट गया। फिर उसने कहा, मुझसे अच्छे से चुदवा लो तो तुम्हे पार्टी का टिकट मिल सकता है। मैने बिना कुछ सोचें उसका लण्ड अपनी चूत में डाला और उसके ऊपर बैठकर अंदर बाहर धक्के लगाने लगी। मैं अच्छे से घूम घूम कर चुद रही थी और उसको फुल मजे दे रही थी। वह चुपचाप लेटा आंहे भर रहा था। अब मैं उसके ऊपर लेट कर जोर जोर से उछलने लगी थी। मेरी और उसकी दोनों की ही आवाजे जोर जोर से निकलने लगी थी और कमरे में गूंज रही थी, साथ ही ये मेरी चूत का पानी जैसे ही छूटता है वैसे ही फचर फचर की आवाज भी करने लगता है। वही वहाँ पर भी हो रहा था, धे फचर फचर की आवाज, हमारी आहें पूरे कमरे को झन्ना रही थी।

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अब, राहुल को जोश चढ़ता है और वह टेढ़ा होकर मुझे बिस्तर पर पटक देता है और मेरे ऊपर चढ जाता है और जोरदार तरीके से झटेक पे झटका पेलने लगता है। मुझे लगा था कि वह झडने वला है पर वह तो अभी शुरू हुआ था। अब काफी देर बाद मेहनत करने के बाद आराम से चुदने में मजा आ रहा था। हम लोगों ने ध्यान नहीं दिया और कमरे का गेट खुला था। मेरी आदत थी बिना गेट बनंद किये चुदने की क्योंकि आफिस में सब खुले आम मुझे चोदते थे तो उसी में गेट खुला रह गया था। राहुल का लड़का जो कि 21 साल का दमदार जोशीला लड़का था वह कमरे में किसी काम से आ जाता है। मुझे देखकर वह बाप से कहता है कि मुझे भी इसको चोदना है, तो राहुल कहता है, रण्डी है शाली, आओ चढ़ जाओं। दोनो मिलकर साथ में चोदेंगे।

राहुल नीचे लेटता है, मुझे अपने ऊपर लेटाता है और उसका लड़का मेरे ऊपर लेटकर चूत में अपना 8 इंच लम्बा और मोटा लण्ड डाल देता है। उसके बाप का ढीला ढाला लण्ड मेरी गांड के अंदर बाहर चक्कर लगा रहा था और उसका लड़का मेरी चूत को रेते पड़ा था। मेरी ताबड़तोड़ चुदाई हो रही थी जिससे मुझे ज्यादा कोई खास दिक्कत नहीं हो रही थी। थोड़ी देर में दोनों एक एक कर मेरी चूत और गांड में झड़ गये। जिसके बाद राहुल मुझसे टिकट देने का वादा कर दिल्ली चला गया। उसने मुझे दिल्ली के आफिस में एक कार्यकर्ता के रूप में नौकरी दी और वहीं बुला लिया। पर असल में मैं एक रण्डी बन चुकी थी जो सभी आऩे जाने वाले नेताओं और उनके रिश्तेदारों से चुदवा रही थी। हर एक चुदाई के बाद मेरा मनोबल कम हो जाता था, यह सोचकर  कि मैं क्या कर रही हूँ।

अब, जब चुनाव करीब आ गये थे तो मैने वादे के मुताबिक राहुल से टिकट की मांग की। उसने कहा टिकट तुम्ही को मिलेगी। परन्तु जिस दिन उम्मीदवारों की लिस्ट जारी हुई, उसमें मेरा नाम नहीं था। मैं तो शाक्ड रह गयी, मेरे काटो तो खू्न नही वही स्थिति हो गयी थी। क्योंकि मैं 3 सालों से जिस टिकट के लिए हजारों लोगो से चुदी, वह टिकट मुझे मिला ही नहीं था। अब मेरे पास कोई चारा नहीं थी, कुछ दिन इधर उधर हाथ पैर मारे, पर कोई उम्मीद नही थी। मेरेे इलाका का टिकट नरोत्तम को दे दिया गया था, वही पार्टी कार्यकर्ता जिसने रात में आफिस में मेरी गांड मारी थी। अब कहने और सुनने को कुछ बचा नही था। मैं पार्टी में अभी भी उसी पद पर कार्य करती हूँ, जिसमें आज भी मेरी चूत लगभग हर रोज मारी जाती है। तो मैने सोचा कि जब मुझे चुदना ही है तो क्यूं न ये मौका मैं एक बार सभी को दूँ। जो पाठक इस कहानी को पढ़ रहे हैं वह कमेंट में अपनी कांटेक्ट डिटेल लिखे, हो सका तो मैं तुम सबको भी अपनी चूत का मजा दूंगी।

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