ट्रेन में ताबड़तोड़ चुदाई 

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ट्रेन में अजनबी अंकल से ताबड़तोड़ चुदाई 

हैलो दोस्तों,

मेरा नाम सायरा बानो है और मैं साउथ दिल्ली की रहने वाली एक इनडिपेन्डेंट लड़की हूँ। मेंरी उम्र 19 साल है और मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में आर्ट्स की स्टूडेंट हूँ। आपकी जानकारी के लिए बता दूँ मेंरा शरीर एकदम सुडौल है और जब मैं अपनी गली से निकलती हूँ तो गली के सभी लड़के और अंकल टकटकी लगाकर मुझे देखते हैं और देखे भी क्यूँ न, भगवान ने इतनी फुर्सत से मुझे बनाया है, खासकर मेरी चूचियाँ और गाँड़। जब मैं चलती हूँ तो मेरी चूचियाँ आगे निकल जाती है और गाँड़ पीछे की ओर निकलती है। न जाने कितने ही लड़के रातों को मेरी गाँड़ के बारे में सोचकर पानी छोड़ देते होगें।

चलो खैर, ये तो रहा मेरा परिचय। अब मैं आपको अपनी असल जिंदगी की एक कहानी बताती हूँ। वर्ष 2021 की गर्मियों में मैने नौकरी करने के लिए नौकरी जाने का प्लान बनाया। जरूरत का सारा सामान पैक कर मैं ट्रेन से मुंबई के लिए निकल पड़ी। ट्रेन का सफऱ रात का था तो मैने एक चद्दर भी साथ में ले लिया था और ठंड का समय भी शुरू हो गया था। मेरी सीट 39 नम्बर थी जो कि ऊपर की बर्थ थी और ठीक मेरे सामने वाली बर्थ पर एक अकंल थे जिनकी उम्र यही कोई 35 साल रही होगी। मेरी सीट पर काफी सामना हो गया था तो मैं सामने वाली सीट पर बैठ गयी। जब ट्रेन चलने वाली होती है तो वह व्यक्ति आता है और मुझे देखता है फिर ऊपर वाली सीट पर ही मेरे बगल में बैठ जाता है। रात के 10 बज चुके थे और ट्रेन चल चुकी थी । अकंल ने बात शुरू करते हुए कहा “कहाँ जा रही हो तुम’ जिसपर मैने कहा मुम्बई तक। उनकी आखों से पता चल रहा था कि उनकी नियत ठीक नहीं है। ठंड के कारण मैं भी चाहती थी कि मुझे कोई अच्छा खासा लंड लेने को मिल जाए।

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अंकल को उकसाने के लिए मैने घने काले लम्बे बाल खोल दिये। मुझ जैसी बला की हसीन लड़की को कुछ देर देखने के बाद अकंल बोले “किसी काम से जा रही होगी” तो मैने जवाब में बताया “नौकरी की तलाश में”

क्या करना चाहती हो, उसने कहा।

मैने स्वेटर उतारते हुए कहा कोई भी नौकरी मिल जाये।

अब, अकंल का मूड बनता दिख रहा था। उसकी लम्बाई ठीक ठाक थी और देखने से लग रहा था कि उसका लण्ड लम्बा और मोटा होगा। बातों ही बातों में मैने तो इसके लण्ड से जन्नत की सैर का सपना देख लिया था। पर अंकल काफी देर लगा रहा था। तो मैने ही अंकल के जांघ पर हाथ रखकर कहाँ- आप कोई नौकरी दिला सकते हो क्या।

मुझे इतना करीब से देखकर अंकल सकपका गया पर हिम्मत कर बोला हाँ जरूर। मुझे उसके लण्ड टाइट होता महसूस हो रहा था, मैने मौका देखकर उसके लण्ड पर हाथ रख दिया। इस पर वह समझ गया कि माजरा क्या है। मेरी जवानी भी अपने चरम पर थी, मै काफी समय की प्यासी थी। लास्ट टाइम मुझे जुनैद ने जी भर कर चोदा था जब हम स्कूल के लंच टाइम में बाथरूम गये थे। तब से मेरी चूत प्यासी है और एक दमदार लण्ड ढूँढ रही है।

सोने का समय हो चुका था। नीचे की बर्थ वाले पैसेजंर ने सभी लाइटें बंद कर दी थी और लगभग सभी यात्री लेट चुके थे, कुछ तो सो भी चुके थे। अंकल ने मेरे गुलाबी होठों की तरफ अपने होंठ बढ़ाये, इससे पहले कि वह किस कर पाता मैने उसे छिटक दिया। पर अब तक उसके अंदर का जानवर जाग चुका था उसने मेरा सिर दोनों हाथों से पकड़ा और एक जोर का किस लिया। धीरे-धीरे होठ से होठ मिलें तो उसके मुहँ से लार मेरे मुहँ मे आयी जिससे मैं बहुत ज्यादा एक्साइटेड हो गयी। अब वह मुझे सीट के सबसे कोने पर ले गया और जोरदार किस करने लगा। मैं गर्म हो चुकी थी और मैं एक हाथ से अपनी चूत में हाथ आगे पीछे कर रही थी और दूसरे हाथ से उसके सीने से पीछे कर रही थी।

अंकल था तो हरामी, वो किस करते करते ही मेरे चूचे दबाने लगा। वह इतनी जोर जोर से चूचे दबा रहा था कि मैं पागल हुई जा रही थी और कुछ कह भी नही सकती क्योंकि किस के मजे भी ले रही थी। तभी आगे से कुछ आवाजे आती सुनाई दी। पता चला कि टी.टी आ रहा है। हमारे पास भी टी.टी आया और हमें अपनी अपनी सीट पर बैठने को बोल कर गया। अब वह मेरे सामने वाली सीट पर था और मैं सोचने लगी काश टी.टी, थोड़ी देर बाद आता।

अकंल भी मेरी मोटी और बड़ी गांड देखकर बौराया था, मेरी गोरी- गोरी मलाई जैसी चूचियों के मजे तो उसने लिये, पर वह अभी मेरी चूत मसलना चाहता था। मैने भी सोचा कि अगर ये मुझे चोद पाता है तो चुदवा लुंगी नही तो किसी और का इंतजार करूगीं।

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अंकल लोगो से चुदवाने में ज्यादा मजा आता है क्योंकि उनके पास एक्सपीरियंस होता है। वे जानते है कि औरत को कैसे खुश किया जाता है। तो अकंल ने कहा अपना मोबाइल नम्बर दे दो, हम लोग नासिक में मिलेंगे क्योंकि मुझे नासिक तक ही जाना है। मैने पहले तो सोचा कि ये नासिक तक ही जायेगा इसको नम्बर देकर क्या करू, फिर मैनें सोचा क्यूँ न एक दिन नासिक में रूक लूँ और कायदे से इस अंकल से चुदवा लूँ। फिर अगले दिन मुम्बई चली जाउगी। वैसे भी मेरी नौकरी तो कोई है नही तो मजे ही ले लूं। ये सोचकर मैने उसको अपना नम्बर दे दिया और नासिक में एक दिऩ रूकने का प्लान उसे बताया। वो रेडी था।

नासिक के एक बेहतरीन होटल में उसने कमरा बुक किया और हम लोगों ने चेक-इन किया। कमरे में सामान रखते ही उसने मुझे कमर में हाथ डालकर जकड़ लिया और दीवार से सटा दिया। इस बार हमने चाकलेट ली और उसे खाते हुए किस किया। किस इतना जोरदार था कि चाकलेट लार की तरह बन गयी और कभी मेरी जीभ के नीचे तो कभी उसकी जीभ के नीचे जा रही थी। पूरे होठ गाल सब चाकलेट से सन चुके थे। तो मैं बाथरूम गयी मुँह धोने के लिए।

अंकल मेरे पीछे पीछे आया और पीछे से ही मेरी टी-शर्ट उतार दी। मैने भी उसकी मदद की और पैंट तो मैने खुद ही उतार दी। मैं नेट वाली ब्रा और पैंटी में आ चुकी थी, इस हालत मुझे देखकर 90 साल के बुढ़्डे का भी लण्ड खड़ा हो सकता है। मेरी गोरी गोरी जाघों के बीच गुलाबी चूत से हल्का हल्का पानी रिस रहा था जिस पर उसने हाथ लगाकर रगड़ दिया। जितने बार उसने मेरे जी पांइट को छुआ मेेरा तो रोवा रोवा खड़ा हो गया। मुझसे अब रहा नही जा रहा था। मैने अंकल की पैंट खोली तो एक लम्बा काला लण्ड चण्डी के अन्दर छटपटा रहा था। जिसेभी मैने आजाद कर दिया।

अंकल पागलों की तरह मेरी चूची पिये जा रहा था और मैं आँखे बंद कर सिहक रही थी। फिर उसने एक हाथ मेरी चूत पर लगाया, मैं हल्के से उछल सी गयी। अब वह एक हाथ से मेरी चूत सहला रहा था और एक हाथ से मेरी चूची दबा रहा था और चूची पी रहा था।

अब उसने अपना फनफनाता हुआ लण्ड मेरी छोटी सी चूत के मुहाने पर रखा और इस पर साबुन लगाने लगा। मेरे अंदर एक अजीब सी फीलिंग उठ रही थी। साबुन का झाग अच्छी तरह से लगाकर उसने एक ही बार में फाच्च् से पूरा लण्ड अंदर कर दिया। इतना बड़ा लण्ड अचानक से लेकर मेरे मुँह से एक जोर की आह निकली। मुझे दर्द हुआ, पर जब उसने तीन-चार लम्बे लम्बे शाट मारे तो मजा आना शुरू हुआ। अब, उसने मुझे पीछे घुमाया और कुतिया बना कर चोदना शुरू किया, मुझे भी मजा आ रहा था और फच्च् फच्च् की आवाजो से पूरा बाथरूम झन्ना रहा था।

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1-2 मिनट चोदने के बाद, वह मुझे बेड पर लेकर आया, मैं तो बहक सी गयी थी, मुझे पता ही नहीं चल रहा थी कि मैं कहा जा रही हूँ। उसके शाट जानदार थे और वह काफी अनुभवी लग रहा था। उसने मुझे बेड पर लिटाकर मेरी दोनो टाँगे फैला दी और मेरी चूत चाँटने लगा। उस लम्हे मेरा जो हाल हो रहा था वह मैं बात नही सकती। मैं जोर जोर से सिसक रही थी और उसका सिर पीछे धकेल रही थी, पर वह पीछे नही हटा और मेरी चूत चाँटता रहा।

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अब, उसने एक बार फिर से अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में उतार दिया। अब, मुझे दर्द नही हो रहा था बल्कि मजा आ रहा था। वह मेरे शरीर को अच्छे से भोग रहा था। अब, चूत पानी छोड़ने लगी थी , पर बन्दा अब भी डटा था। उसका टोपा मेरे बच्चेदानी तक को टच कर रहा था। अब, उसने धीरे- धीरे से, लण्ड घुमा घुमाकर चोदना शुरू किया। मैं तो दो शाट में ही जन्नत की सैर करने लगी थी। वह मेरी चूत का भोषणा बना रहा था और मैं भी एक अंजान मर्द से कुतिया बन कर चुद रही थी।

अब, उसने लण्ड बाहर निकाला, वो बेचारा लाल पड़ चुका था। मैने उसे रेस्ट करने को बोला, पर मादरचोद अंकल, मेरी चूत को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसने मुझे खड़ा किया और दीवार किनारे ले जाकर दीवार से सटा दिया। अब वही मेरे चूचें जोर जोर से मसलने लगा और एक बार फिर मेरी प्यारी चूत को लण्ड से मिला दिया। चूचियां मसलवाने के साथ चुदने का अलग ही मजा है। यह जन्नत की सैर को डबल कर देता है। उसकी जांघे कापने लगी थी, क्योंकि उसने मेरा एक पैर अपने हाथों में उठा रखा था। बीच मे उसने मेरे गाँड पर तीन- चार जोरदार चाँटे लगा दिये, मेरी चूत से पानी बहे जा रहा था। अब, कुछ और शाट्स के बाद उसने अपना पानी मेरी चूत के अंदर ही छोड़ा। गर्म वीर्य चूत ठंडक और शांति पहुँचा रहा था। हम थक कर ऐसे ही नंगे बेड पर लेट गये। शुक्र है अंकल का कि उसने खाने का आर्डर दे दिया था।

जब तक खाने वाला आया तब तक अकंल थक कर सो चुका था और मैने नींद में ऐसे ही गेट खोला। वो एक नौजवान लड़का मुझे नंगा देकर चौक गया। मैने कहा जल्दी खाना दो। उसने खाने के पैकेट्स निकाले और देने लगा पर उसका ध्यान मेरे बड़े लाल हो चुके चूँचे से नहीं हट रहा था, उसने मेरी चूदी हुई चूत पर भी अपनी नजर डाली। उसका लण्ड खड़ा हो चुका था। मैं समझ गयी ये मुझे चोदना चाहता है, मेरी चूत मुनिया उसका लण्ड देखकर फिर से तड़प उठी, पर मैने उसे जाने दिया।

अंकल 2 घण्टे बाद उठा, और उसने फिर से एक बार धीरे धीरे कर मुझे गर्म किया। उस रात उसने मेरी ताबड़तोड़ चुदाई की। सुबह तो मैं उठ कर चल भी नहीं पा रही थी। अंकल ने जो मजा दिया वो मजा मेरे किसी भी ब्यायफ्रेंड ने नही दिया। अगले दिन मैं मुम्बई चली गयी और वहाँ भी मैंने कई लोगों के लण्ड चखे। वो कहानी फिर कभी बाद में, तब तक मजे करो और चूत मारते रहो।

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