ठरक का किस्सा

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बस में हुई ठरक का किस्सा – माँ बनाया रात में चलती बस में चोदकर।

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सलाम वालेकुम ! मेरा नाम है आफरीन ज़ाहेड़ी और में २२ साल की हु। में कानपूर में अपनी आप और उनके शोहर मिज़ाब शेख के साथ रहती हु। आज जो किस्सा आपको बताने जा रही हु वो काफी रोमांचक है। मेरी आपा शेनाज ज़ाहेड़ी मुझसे उम्र में बस दो साल बड़ी है और आज उसकी दो बेटिया है।

आपा की शादी कम उम्र में कैसे होगई और किन हालातो में , ये किस्सा उस वजह से आपको वाकिफ करवाएगा।

तो हुआ यु की हम सब , यानि मैं , आपा , अम्मी और अब्बू कानपूर से दिल्ली बस में जा रहे थे। हमे उसी बस में , तर्रिक अंसारी मिल गया जो अब्बू की tuition पर पड़ने आता था।

तर्रिक मिया की नज़रे बहुत ख़राब थी , कही बार मेने उन्हें लड़कियों की स्कर्ट के नीचे झुकार देखने की कोशिश करते हुए देखा था।

मेरे और आपा के उभरते स्तनों को भी वह काफी हवस भरी नज़रो से देखा करता था। मुझे तर्रिक मिया को बस में देख लगा की कुछ ना कुछ होने वाला था। उसकी हांसी में हवस की भूख साफ़ झलक रही थी हमे वहा देख कर और अब्बू को पता नहीं क्यों बस मासूमियत नज़र आ रही थी।

हम सारे बस में सवार होकर निकल पड़े , सफर की शुरवात में आपा और मैं साथ बैठे थे और पता नहीं क्यों तर्रिक बार बार पीछे मूड कर हमे देख रहा था। मुझे बहुत गुस्सा आने लगा था उस पर , लेकिन मेने देखा की आपा उससे देख कर मुस्कुरा रही थी।

“आपा उस्सकी तरफ मत देखो। पता नहीं आपको कितना कमीना लड़का है वह। ”

“तू अपना काम कर छोटी , ये सारी बाते तेरे पल्ले नहीं पड़ने वाली। ”

थोड़ी देर बाद आपा ने अब्बू से कहा , “यहाँ मुझे उलटी जैसा लग रहा है , थोड़ी देर आगे वाली seat पर बैठु ?”

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आपा के मुँह से ये बात सुनकर तर्रिक तुरंत बोला , “अरे इससे यहाँ बैठने दीजिये , यहाँ अच्छा लगेगा इससे मेरे पास , मैं इससे कहानिया भी सुनाऊंगा। ”

मेने तो कह दिया , “आपा यही बैठेगी मेरे पास। ” मेने जिदद भी की लेकिन आपा और अब्बू दोनों ने मुझे अनसुना करदिया। अब्बू बोले , “हाँ जा बेटे , तर्रिक के पास बैठ जा जाकर। ”

मुझे चिढ़ाते हुए आपा उसके पास चली गई बैठने , लेकिन मेने भी वही पर अपनी नज़रो को गड़ा रखा था। तर्रिक था बड़ा कमीना , आपा का मन बहलाते हुए उसने आपा पर एक शाल रख दी। ये बराबर समझ आ रहा था की वह आपा की चूचिया दबा रहा था , क्युकी आपा के चेहरे के भाव पूरी तरह से बदल चुके थे। आपा मज़े ले रही थी इसीलिए मैं चुप रही।

साले ने शायद आपा की कमीज के अंदर अपना एक हाथ डाल रखा था और आपा के निप्पल को हलके से मसल रहा था।

मुझे साफ़ नज़र आ रहा था की आपा की सासे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी , तर्रिक उनकी चूचियों को दबाते हुए मसल रहा था। ये सब देख सोचकर मैं भी मचल रही थी , पता नहीं क्यों मुझे भी चाहिए था वो सब जो तर्रिक आपा के साथ कर रहा था।

आपा थोड़ी देर बाद वापस मेरे पास आकर बैठ गई , उनका चेहरा लाल था और मुस्कराहट से चमक रहा था। मैं चुप रही और फिर जब रहा नहीं गया तो मेने आपा को पूछा , “क्या कर रहा था तो वह आपको ?”

“तुजसे मतलब ? तू अपना काम कर। ”

मैं चुप चाप खिड़की से बहार नज़ारे देख रही थी तब दीदी ने मुझे पूछा , “जानना है तुजे क्या हुआ ?”

मैं बहुत खुश होगई और बोली , “हाँ हाँ , बताओ ना मुझे। ”

“तर्रिक मिया ने तो जन्नत का अनुभव करवादिया छोटी। मेने उसकी जादुई छड़ी पकड़ी , क्या मज़ा आया। ”

“मतलब ?”

“मतलब लंड भोंदू , मेने उसका लंड हिलाया अपने हाथो से और उसने मेरी चुत में ऊँगली की। ”

“क्या ? शाल ने अंदर इतना सबकुछ हुआ। ”

“हाँ मज़ा ही आगया। अब जब अँधेरा होगा ना तो वह मुझे चोदने भी वाला है। ”

“क्या कह रही हो ? अब्बू अम्मी को पता चल जायेगा। ”

“नहीं किसी को पता नहीं चलेगा , तू बस अपना मुँह बंद रखना। ”

“हम्म , कीमत चुकाओ फिर मुँह बंद रखने की। ”

“तुजे आपा की ख़ुशी से बढ़कर कीमत चाहिए। ”

“हाँ। ”

“अच्छा तो बोल फिर क्या है किम्मत। ”

“मुझे भी उससे चुदवाना है। ”

“तू बहुत छोटी है अभी , तेरी चुत उसका लंड अंदर नहीं ले पायेगी। उसका लंड काफी बड़ा है। ”

“मैं ले लुंगी , मेरा भी बहुत मन कर रहा था आप लोगो को देखकर। मेने देखा किस तरह वह आपकी चूचिया दबा रहा था। ”

“अच्छा ठीक है फिर , पहले मेरा होजाये उसके बाद तू जाकर मेरी seat पर बैठ जाना। ”

फिर हम दोनों रात होने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे और जैसे ही बस में लोग सोने लगे , आपा जाकर तर्रिक के पास बैठ गई और फिर मेने देखा की वह दोनों एक दूसरे को चूमने लगे। तर्रिक आपा के होठो को चुम और चूस रहा था , दोनों की जीब आपस में लगी हुई थी और तर्रिक के हाथ तो आपा के पुरे बदन को टटोल रहे थे।

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आपा आँख बंद करके बदन की चुहत के मज़े ले रही थी और मेरे अंदर भी आग लग चुकी थी , मेने अपनी सलवार का नाडा ढीला किया और अपने एक हाथ से अपनी चुत को मसलने लगी। मेरी चुत गीली हो रही थी और मेरा बहुत मन कर रहा था की तर्रिक के हाथ मेरे बदन को भी लगे।

फिर वह खड़ा होगया अपनी उसने अपनी pant को ढीला करदिया , में पूरा नाज़ारा देख रही थी। उसने अपना लंड बहार निकाला जो पूरी तरह से खड़ा था। फिर वह दोबारा बैठ गया और आपा झुक गई , आपा उसका लंड चूसने लगी और तर्रिक आपा के सर को पकड़ कर हलके से ऊपर नीचे कर रहा था।

ओह्ह क्या नज़ारा था वो , मेरी सासे आज भी ऊपर नीचे होजाती है सोचकर ही और मेरी चुत भी अपना पानी छोड़ देती है।

फिर मेने देखा की आपा खड़ी हुई और उन्होंने अपनी सलवार ढीली करली। आपा तर्रिक की गोद में बैठी और तभी उन्होंने उसका लंड अपनी चुत में लिया। आपा ने अपने मुँह पर हाथ रख लिया ताकि उनकी चीख ज़ोर से ना निकले। यहाँ वहा अपनी नज़रो को घुमाकर दोनों ने इस बात की खातिर की की सभी नींद में थे खास कर अम्मी और अब्बू। उसके बाद हलके हलके आपा तर्रिक की मांडी पर मचलने लगी।

अपना चुत में लंड लेकर नशे में थी और तर्रिक मिया भी आपा की गरम गीली चुत के पुरे मज़े ले रहे थे और यहाँ में बस बेचैन हुए जा रही थी की मेरा नंबर कब लगेगा। मेने देखा की कुछ देर बाद तर्रिक मिया झड़ गए और आपा की चुत के अंदर ही। आपा खड़ी हुई और अपने दुपटे से ही अपनी चुत को साफ़ किया उन्होंने। उसका जिस्म थर थर कर रहा था , उसके बाद अपनी सलवार ठीक करके वह चुप चाप वापस मेरे पास आगई।

उनके आते ही मै जल्दी से तर्रिक मिया की बगल वाली सीट पर चली गई ,  लेकिन मेने देखा की वह तो अब खर्राटे मार रहे थे। मेरा दिल पूरी तरह से टूट चूका था क्युकी मुझे तर्रिक से अपने आप को चुदवाना था।

जब सुबह हुई तो मेने आपा से बहुत ज़यादा बेहेस की , “आप कितनी ज़यादा खुदगर्ज़ हो , सारे मज़े खुद लेलिए। ”

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“दिल्ली आने में बस अब एक ही घंटा है , जा बैठ जा उनकी बगल में। ” हस्ते हुए आपा ने कहा।

“वा वा ! आपको रात का अंदर मिले पूरी चुदाई के लिए और मै अभी जाऊ जब इतना उजाला है और सभी जाग चुके है। ”

“तो मै क्या करू वह सोगये तो। ”

“आप रुको मै ना जाकर अब्बू को सारी पोल खोलती हु। ”

“अरे ऐसा मत कर। रुकजा मै जाकर तर्रिक मिया से बात करती हु। ”

फिर आपा ने उन्हें सारी बात बताई और उन्होंने मुझे दिल्ली पहुचकर कही चोदने की बात रखी।

“अच्छा छोटी सुन , वह कह रहे है की दिल्ली पहुचकर किसी नफीसा होटल में वह रुकने वाले है। तुजे वही बुलाया है तेरे दिल की तमन्ना को पूरा करने के लिए। ”

“अरे वहा ! मेरा तो पूरा जैकपोट लग गया। ”

जब हम दिल्ली पहुचे तो मेने और आपा ने घूमने की ज़िद्द की और अब्बू ने कहा , “अरे अभी अभी हम यहाँ आये है , कुछ देर आराम होजाये फिर हम चलेंगे। ”

हमने कहा , “अब्बू , आप और अम्मी आराम करलो हम दोनों यही पास घूमकर आजायेंगे। ”

हमारी ज़िद्द के आगे अब्बू को मन्ना पड़ा और हम दोनों नफीसा होटल पहुचगये। तर्रिक मिया बनठनकर हमे ऊपर अपने कमरे में लेजाने आये , “ये क्या दोनों बहने आगई , मेने तो सोचा था की बस छोटी को मजे लेने थे। ”

आपा ने कहा , “क्यों , मेने क्या गुना किया है , मुझे बस की चुदाई और छोटी को कमरे की खुल के चुदाई। ”

“मेने कहा एतराज़ जताया है। मेरी तो किस्मत का ताला खुल गया है , चलो दोनों। ”

फिर हम कमरे में गए , छोटा सा ही कमरा था और बस एक single bed ही था कमरे में। मेने तो झटपट अपने कपडे खोल दिए और पूरी नंगी होगई। आपा और तर्रिक मिया हसने लगे , “छोटी इतना उतावलापन ?”

तर्रिक मिया , ” जिस्म मस्त कसा हुआ है छोटी का। ”

“होगा ही , बस २२ की है ये और अब तक किसी से चुदवाया नहीं है इसने। ”

फिर तर्रिक ने मुझे चूमना शुरू किया और मेरा हाथ उसके लंड पर था जो pant में पूरी तरह से बड़ा होचुका था। वह मेरी चूचिया दबा रहा था और मेने देखा की आपा भी पीछे खड़ी नंगी हो रही थी। जब आपा ने अपने पुरे कपडे उतार दिए तो वह हमारे पास आई और तर्रिक उन्हें भी चूमने लगा। फिर वह अपने एक हाथ से मेरी चुत मसल रहा था , मुझे बहुत मज़ा आ रहा था , “आह , उफ़ ” करते हुए मेने अपनी आखे बंद करदी थी।

तर्रिक ने आपा ने कहा , “चल इसकी seal पहले खोलता हु। ”

“आरामसे , पहली बार के लिए काफी बड़ा लंड लेरही है ये। ”

“तुम फ़िक्र मत करो , काफी सारी seal खोली है मेने। ”

अपने ७ इंच वाला मोठे लंड की घसाई उसने मेरी चुत पर की और जब मेरी चुत काफी गीली होगई थी तो उसने अपना लंड धीरे धीरे अंदर डालना शुरू किया। पहले तो दर्द के मारे मेरी जान निकली जा रही थी , पर आपा ने मेरा पूरा साथ दिया , मेरे हाथ को पकडे आपा बैठी रही मेरे पास और फिर अचानक लंड पूरी तरह अंदर चला गया। शुरवात के कुछी झटको के बाद मुझे बहुत मज़ा आने लगा , ऐसा जैसा की ऊँगली डालने पर मेने महसूस नहीं किया था।

हम दोनों बहनो की जमकर चुदाई की उस दिन तर्रिक मिया ने और मेरी चुत से तो खून और पानी दोनों जम कर बहा।

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मेरी अगली कहानी का शीर्षक है “माँ-बेटे की चुटफाड़”

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धन्यवाद।

आपसब अपना ख्याल रखिएगा। और अपना प्यार इसी तरह बनाए रखिएगा।

नमस्कार।

 

The End

 

 

 

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