प्यार कहूँ या हवस

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प्यार कहूँ या हवस; दोस्त के बहन की सील पैक चूत

अब मेरे से बर्दास्त नही हो रहा था। तो मैं उठा और उसे बाहों में कस लिया वह भी मुझे भीच ली। और मैं उसके होंठो को किस करने लगा पहले तो वह शांत थी लेकिन जल्द ही वह भी साथ देने लगी। हमदोनो एक दूसरे को बेतहासा किस करने लगे। करीब 10 मिनट किस करने के बाद मैं उसे उठाया और किचन के स्लैब पर बैठा दिया और फिर उसकी टॉप को उतारने लगा तो वह खुद ही हाथ ऊपर कर दी। दोस्तों उसकी चूची बिल्कुल टाइट थी और अंदर वह ब्रा नही पहनी थी उसकी चुचियाँ बहुत बड़ी थी। मैं उसके चुचियो को मुँह में लेकर पीने लगा और दबाने लगा

दोस्तों मेरा नाम रुद्र है और मैं गांधीनगर गुजरात मे रहता हूँ। ये कहानी 4 महीने पहले की है। 6 महीने पहले मेरा गांधीनगर ट्रान्सफर हुआ था। और तब मेरा दोस्ती एक संजय नाम के लड़के से हुआ वह मेरे ऑफिस में कलीग था। धीरे धीरे हमारी दोस्ती गहरी होती गई। वह गांधीनगर का लोकल था। संजय नया घर बनाया था। और उसका गृहप्रवेश था। तो उसने मुझे भी इनवाइट किया था और बोला कि तुम उस दिन छुट्टी ले लेना और सुबह ही घर आ जाना बहुत काम है। तो मैं बोला ठीक है। और फिर मैं करीब सुबह 7 बजे उसके घर पहुँच गया। उसके नए वाले घर के बगल में ही पक्के और कच्चे का मकान था जिसमे 2 रूम पक्का था लेकिन वह काफी पुराना था जिसमे अभी वे लोग रहते थे। तो मैं जैसे ही वहाँ पहुँचा संजय मुझसे गले मिला और घर के अंदर ले गया। घर अंदर से काफी सजा हुआ था भले बाहर से पुराना था। और फिर मुझे सोफे पर बैठने को बोला और अंदर चला गया थोड़ी देर बाद आया तो साथ मे बैठा और हालचाल पूछा। हम बातें कर रहे थे तभी 5, 7 मिनट बाद एक सांवली लेकिन शानदार फिगर वाली भरे बदन की लड़की हाथ मे ट्रे लिए आई। वह बहुत आकर्षक थी। भले सावली थी लेकिन बहुत सेक्सी थी।

और फिर ट्रे टेबल पर रख कर एक प्लेट चाय वाला उठाई और मेरे तरफ बढ़ा दी इस दौरान मेरा हाथ भी उसके हाथ से टच हुआ। तब तक संजय खुद दूसरा चाय का कप उठा लिया। फिर वह उस लड़की से इंट्रोडकशन करवाया उसका नाम अनामिका था और वह संजय की छोटी बहन थी। पहली नजर में वह मुझे भा गई थी। और पसन्द आने का कारण उसकी खूबसूरती नही बल्कि उसकी फिगर थी। बड़ी बड़ी चुचियाँ, पतली कमर, बड़ा सा गांड, और मोटी मोटी जांघे। मैं उसकी शरीर का दीवाना हो गया था। और फिर वह चली गई। लेकिन मेरा नजर उसकी गोल मटोल चौड़ी गांड पर ही थी जो चलते हुए मटक रही थी। और पतली कमर लचक रही थी।

कैसे मैं अपनी बेस्टफ्रेंड की सेक्सी कुँवारी बहन का चूत चोद के सील तोड़ा

खैर चाय पीने के बाद मैं संजय से बोला भाई बताओ मेरे लिए क्या काम है। तो बोला हाँ यार बहुत काम है सारा काम तो पड़ा हुआ ही है। चलो चलते हैं। हम अंदर गए तो उसके मम्मी पापा थे उनसे मिलवाया मैं उन दोनों के पैर छुवे। और फिर हमलोग काम करने लगे उधर पूजा की तैयारी भी करवानी थी सो संजय ने मुझे कहा कि तुम एक काम करो मैं बाहर बाहर का काम देखता हूँ तुम कहाँ परेशान होंगे। तुम जाओ पूजा के सामान की तैयारी करवा दो। मैं जब वहाँ गया तो देखा संजय की मम्मी और अनामिका (अनु) वहां थे और पंडित भी था। ऑन्टी बहुत परेशान लग रही थी। सो मैं बोला ऑन्टी अब आप आराम कीजिए और सब मुझपर छोड़ दीजिए मैं कर लूंगा। तो वो बोली बेटा अभी तो आप आये हो तुम रहने दो। तो मैं बोला ऑन्टी बेटा हु मैं आपका आप टेंशन ना लो और आराम करो। फिर ऑन्टी मान गई और बहुत खुश हुई। और अनु को बोली बेटा अंदर से सामान लाने की कुछ भी जरूरत होगा तो तुम देख लेना तुम्हे तो सब पता ही है मेरा कमर भी दुखने लगा है। तो अनु बोली हाँ मम्मी आप जाओ।

अब मैं और अनु दोनों मिलकर काम करने लगे। और पंडित जी का हर हुकुम बजाने लगे। इस दौरान बार बार मेरा नजर अनु के चुचियो और गांड पर जा रहा था। अनु भी देखकर मुस्कुरा रही थी। पूरा दिन हमलोगों का ऐसे ही बीता कभी कभी हमारी नजरें भी मिल जाती। फाइनली शाम के 6 बज गए। खाना पीना का दौर चल रहा था और अब मैं भी थक गया था। सो मैं संजय को बोला कि यार मैं अब जा रहा हूँ घर मुझे कुछ काम भी है। तो वह बोला कि खाना शुरू हो गया है तुम भी बैठकर खा लो फिर जाना। मुझे तो अभी बहुत काम है। तो मैं बोला खाने का मन नही है मैं अब जा रहा। तो वह अपनी बहन को आवाज दिया और बोला अनु रुद्र को गेट तक छोड़ दो मैं बहुत बिजी हूँ। फिर अनु मुझे जब गेट पर छोड़ने आई तो मैं देखा उसके चेहरे पर उदासी थी शायद मेरे जाने की वजह से ऐसा था। फिर वह बोली आप दिन भर काम किये और शाम को खाना पीना शुरू हुआ तो बिना खाये जाने लगे। तो मैं बोला मैं मीठा खा लिया हूँ।

फिर मैं बाइक स्टार्ट किया तो अनु बोली घर आते रहिएगा। मैं बोला हाँ अब तो अपना घर है। फिर मैं आ गया। और उस दिन मैं थका हुआ था सो मुझे नींद आया लेकिन सुबह नींद खुलते ही अनु का चेहरा उसकी गांड और बड़ी बड़ी चुचियाँ मेरे सामने घूमने लगे। मैं अनु के बारे में बहुत सोचता। और अब मैं कभी कभी उसके घर भी जाने लगा। जब भी मुझे मौका मिलता मैं उसके घर चला जाता और अनु को निहारता वह भी मुझे देखकर मुस्कुराती।

इसी बीच संजय को ट्रेनिंग के लिए लिस्ट में नाम आ गया तो उसे दिल्ली जाना पड़ा ट्रेनिंग 15 दिन का था। तो अब मैं परेशान हो गया की उसके अबसेन्स में मैं कैसे उसके घर जाऊंगा। ऐसे ही एक वीक बीत गया। तो मुझे अनु की बहुत याद आने लगी। उस दिन शनिवार था तो मैं आफिस से ऑफ होने के बाद घर आया फ्रेश हुआ और बाइक से संजय के घर पहुँच गया। मैं जब भी संजय के घर जाता तो मिठाई और चॉकलेट लेकर जाता तो उस दिन भी मैं चॉकलेट लेकर गया था। बेल बजाया तो अनु ही दरवाजा खोली। और नमस्ते की और अंदर आने बोली मैं अंदर गया तो कोई दिखाई नही दे रहा था। मैं सोफे पर बैठा और अनु बोली आप बैठिए मैं कॉफी लेकर आती हूँ।

फिर अनु 5, 7 मिनट बाद 2 कप कॉफी लायी और वह भी सोफे पर बैठ गई। फिर मैं उससे हालचाल पूछा और अंकल ऑन्टी के बारे में पूछा कि वे दिखाई नही दे रहे। तो वह बोली कि वे दोनों कल शाम के ट्रेन से ही गांव गए हैं। गांव में कुछ खेत ला बंटवारा होना था। तो मैं पूछा तुम क्यों नही गई। तो वह बोली मेरा मन नही किया। और स्टडी भी तो है।

फिर हम कॉफ़ी पिये लेकिन मैं थोड़ा नर्वस फील कर रहा था। तो अनु बोली क्या हुआ आप ठीक हैं। चुपचाप हो गए। मैं हु ना आप मेरे से भी बात कर सकते हैं सिर्फ भईया और मम्मी पापा से ही बात करेंगे। अनु की यह बात सुनकर मुझमे थोड़ा हौसला आया। और मैं डिसाइड किया कि मौका अच्छा है बोलने का। तो मैं बोला अनु मैं काफी दिनों से तुमसे एक बात कहना चाहता था। लेकिन कह नही पाया। आज मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ। तो वह बोली कहिए क्या कहना है तो मैं बोली तुम बुरा तो नही मानोगी। तो वह बोली बिल्कुल भी नही आप बेझिझक कहिए। तो मैं घुटनो पर होकर उसे आई लव यू बोला। तो वह खड़ी हो गई और मुझे एकटक देखने लगी और फिर मुझे उठाई और बोली आई लव यू टू। मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूँ। इतना सुनते ही मैं उसे बाहों में भर लिया वह भी मुझे कस के पकड़ ली।

हमदोनो काफी देर तक ऐसे ही रहे फिर अलग हुए और उसकी आँखों मे देखकर बोला अनु तुम बहुत अच्छी हो। वह बहुत खुश हुई। फिर हम बैठकर बातें करने लगे। काफी देर तक हम बातें किये और 8 बज गया समय का पता ही नही चला तो मैं बोला अनु काफी देर हो गया अब मुझे चलना चाहिए। तो वह उदास हो गई। फिर बोली मत जाइए। तो मैं बोला कब तक मैं रहूँगा। रात होने लगा है। तो वह बोली कि क्या हुआ आज यही रुक जाइए। तो मैं बोला तुम अकेली हो संजय या तुम्हारे मम्मी पापा को पता चलेगा तो बुरा मानेंगे। तो वह बोली उनके बारे में सोचना छोड़िए अभी कोई नही है ना। लेकिन मैं जाने के लिए खड़ा हुआ तो वह मेरे गले से लिपट गई और रोने लगी बोली मत जाओ मुझसे दूर मुझे बहुत सी बातें करनी है। प्लीज मत जाओ। तो मैं भी मान गया फिर हम आधे घंटे बात किए। तो अनु बोली आप बैठिए मैं खाना बनाती हूँ। तो मैं बोला चलो हमदोनो बनायेगे मैं यहाँ अकेले बैठ के क्या करूँगा।

अनु के दोनों पैरों को कंधे पर रखकर जोर का धक्का मारा तो मेरा लन्ड का सुपाड़ा उसकी चूत को चीरते हुए सील तोड़ दिया और वह जोर से चीखी

फिर वह मेरा हाथ पकड़ी और किचन में चली आयी। वह खाना बनाने लगी लेकिन मेरा नजर बार बार उसकी चुचियो पर ही जा रहा था। मैं किचन के स्लैब पर ही बैठा था। वह मुझे इस तरह बार बार एक टक देखते हिये शर्मा जा रही थी। अब मेरे से बर्दास्त नही हो रहा था। तो मैं उठा और उसे बाहों में कस लिया वह भी मुझे भीच ली। और मैं उसके होंठो को किस करने लगा पहले तो वह शांत थी लेकिन जल्द ही वह भी साथ देने लगी। हमदोनो एक दूसरे को बेतहासा किस करने लगे। करीब 10 मिनट किस करने के बाद मैं उसे उठाया और किचन के स्लैब पर बैठा दिया और फिर उसकी टॉप को उतारने लगा तो वह खुद ही हाथ ऊपर कर दी। दोस्तों उसकी चूची बिल्कुल टाइट थी और अंदर वह ब्रा नही पहनी थी उसकी चुचियाँ बहुत बड़ी थी। मैं उसके चुचियो को मुँह में लेकर पीने लगा और दबाने लगा वह सससीईईईईईईसससीईईईईईई….. सससीईईईईईईसससीईईईईईई….. आहहहहहहहहहहहहहहहहह….. ओहहहहहहहहहहहहहहहहह…. उममहःहहहहहहहहहहहहहहहह….सससीईईईईईईसससीईईईईईई….. ओहहहहहहहहहहहहहहहहह…. उममहःहहहहहहहहहहहहहहहह….सससीईईईईईईसससीईईईईईई.. ओहहहहहहहहहहहहहहहहह…. उममहःहहहहहहहहहहहहहहहह….सससीईईईईईईसससीईईईईईई….. ओहहहहहहहहहहहहहहहहह…. उममहःहहहहहहहहहहहहहहहह….सससीईईईईईईसससीईईईईईई करने लगी।

अब मैं उसे नीचे उतारा और उसकी जीन्स के बटन को खोल दिया और नीचे झुककर उसकी नाभी पर किस किया और जीभ से चाटने लगा इसी दौरान उसकी जीन्स नीचे कर दिया और पैरों से अलग भी। वो लाल रंग की पैंटी पहनी थी। उसकी पैंटी में चूत बिल्कुल कसी हुई थी। फिर मैं पैंटी के ऊपर से ही उसके चूत पर मुँह रखा तो वह जोर से मेरा सर चूत पर दबा दी। उसकी चुत बहुत गर्म था। फिर मैं उसकी पैंटी को भी निकाल दिया उसकी चूत पर हल्का बाल था शायद वो 4, 5 दिन पहले झांट साफ की थी। उसके चूत पूरा गीला हो चुका था। जैसे ही मैं उसके गर्म रसदार चूत पर मुंह रखा वह जोर से सससीईईईईईईईईईईससससीईईई… की और मेरा बाल जोर से पकड़ के चूत पर सर दबाने लगी। मैं उसके चूत को चाटकर लाल कर दिया। अब वह पूरी मस्ती में थी तो मैं उठा और उसे स्लैब पर बिठाने लगा तो वह बोली बेडरूम में चलो। तो मैं उसे गोद मे उठाया और बिस्तर पर ला के लेटा दिया। मैं किनारे ही खड़ा हुआ फिर अपने कपड़े उतारे और मैं भी पूरा नंगा हो गया।

और फिर उसकी पैरों को मैं कंधे पर रखा और अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया वह कांप गई और पैरों को सिकोड़ने लगी। तभी मैं एक जोर का धक्का मारा और मेरे लन्ड का सुपाड़ा उसकी चूत में समा गया। वह जोर से चीखी उसके आंखों में आंसू आ गए लेकिन वह लन्ड निकालने को नही बोली तभी मैं एक और करारा शार्ट लगाया और मेरा आधे से ज्यादा लन्ड उसकी चूत को चीरते हुए समा गया।

उसके आंखों से बहते आंसू साफ बता रहे थे कि उसे बहुत दर्द हो रहा है। फिर मैं 2 मिनट ऐसे रुका रहा और धीरे धीरे लन्ड अंदर बाहर करने लगा। अब उसे भी मजा आने लगा था और चुदाई में साथ देने लगी। हम 15, 20 मिनट के लगभग चुदाई किए और फिर अपना सारा माल उसके चूत में छोड़ दिया।

और फिर हमदोनो एक और राउंड के चुदाई किये फिर दोनों उठकर किचन में गए और साथ मिलकर खाना बनाए और एक राउंड का। चुदाई किचन में भी किये। उस रात मैं अनु को 6 बार चोदा था। अगले दिन वह सही से चल भी नही पा रही थी।

तो दोस्तों ये थी मेरी बेस्ट फ्रेंड के बहन की सीलबंद चूत की चुदाई की कहानी। तो कमेंट करके बताना को कहानी में आपको कितना मजा आया।

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मेरी अगली कहानी का शीर्षक है रसदार चूत मिला तोहफे में

नमस्कार।

धन्यवाद।।

 

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