लेडीज स्पेसलिस्ट
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देवेन दोषी : लेडीज स्पेसलिस्ट
“देवेन , अहह… चुदाई का ऐसा मज़ा तो मुझे आज तक कभी नहीं आया बेटा।“
“आह… है ना मौसी , आपको कबसे मन रहा था मैं , की अपनी चुत मरने का एक मौका दो। ”
“मुझे क्या पता था की मुझे जन्नत का एहसास करवाएगा तू। मेरे लिए तो ये सोचना भी पाप था की तेरे काका के अलावा मुझे कोई छुए भी। ”
“काका क्या खाक चोदते होंगे आपको। ” हस्ते हुए देवेन ने टीना मौसी से कहा , वह अब भी डॉगी स्टाइल में टीना मौसी की चुत मार रहा था।
“चोदना तो छोड़ , उन्हें मेरे होने का एहसास भी कहा है और मुझे तो इस बात का ज़रा सा भी अंदाज़ा नहीं था की लंड इतना बड़ा भी हो सकता है। ”
“ये तो कुदरती है मोसे , मेरे बाप का लंड भी मशहूर था। ”
तापा तप , तापा तप ! देवेन टीना मौसी की चुत मार रहा था और टीना मौसी की चुत पानी के फुहारे छोड़ रही थी। कड़क चुदाई चल रही थी देवेन की दुकान के पीछे।
जैसे ही देवेन झडा , उसने अपना लंड बहार निकाला और उसे पोछकर अपनी पैंट पहने लगा। टीना मौसी भी अपनी चुत को पोछते हुए देवेन को प्यार भरी नज़रो से देख रही थी। उन्होंने देवेन से पूछा , “अब दोबारा कब?”
देवेन बस चुप था , मानो जैसे टीना मौसी से नज़रे मिला नहीं पा रहा हो। टीना मौसी काफी कोशिश कर रही थी की देवेन एक बार उनकी तरफ देखे , लेकिन देवेन ने तो अपनी जेब से एक छोटा था ब्लेड का टुकड़ा निकाला और टीना मौसी का गला चिर दिया।
ये काम करते वक़्त उसके चेहरे पर किसी किस्म के भाव नहीं थे। उसने बड़ी सावधानी से लाश को ठिकाने लगा दिया।
देवेन दोषी , शकल से मासूम और भोला दिखने वाला लड़का , अपने अंदर एक गहरी सच्चई लेकर जी रहा था। मुंबई की तंग गलियों में देवेन का बचपन गुज़रा , उसके पापा की एक छोटी सी मिठाई की दुकान थी और दुकान के ऊपर ही एक कमरे का घर।
देवेन के पापा ने अकेले ही उसे पाल पोस कर बड़ा किया था , लेकिन वह कोई नेक इंसान नहीं थे। चॉल की हार औरत के साथ उनका रिश्ता था। क्युकी घर में बस एक ही कमरा था , वह हर रात देवेन के सोने का इंतज़ार करते थे और फिर पड़ोस की किसी औरत को बुलाकर उसे चोदते थे। उन्हें यह ज़रूर लगता था की देवेन सो चूका होगा , लेकिन बचपन से ही देवेन की आखो से कुछ भी नहीं छिपा था।
जैसे की एक बार:
देवेन के पापा , सुनील दोषी साहब , “अरे भाभी आपको पहली बार देखा आज दुकान पर , यहाँ नए आओ हो आप ?”
तितली , “हाँ , हम मगन काका की बहु है। ”
“ये क्या बात हुई , मगन काका ने टीपू की शादी करवादी और किसी को बताया भी नहीं। ”
“आप उन्ही से बात कर लीजिये। हमको बस एक पाव लड्डू दे दीजिये। ”
“हाँ हाँ , ज़रूर। ”
सुनील ने तितली को लड्डू बंद कर दे दिए और वह चुप चाप , सर को झुकाये वहा से चली गई। उसे देख कर सुनील का खून पूरी तरह से गरम हो चूका था , क्युकी तितली बहुत खूबसूरत थी। हलके भूरे रंग के उसके बाल थे , मस्त जवानी और गोरा साफ़ रंग। शरीर के बारे में सुनील को कुछ खास समज नहीं आया क्युकी उसने ढीला सी मैक्सी पेहेन राखी थी , दुपटे के साथ। पर सुनील की लाल ज़रूर टपक चुकी थी। देवेन बस १४ वर्ष का था जब सुनील ने तितली पर बुरी नज़र डाली थी।
कुछ घंटे बीते होंगे की तितली लड्डू ले गई थी घर और उसके घर से ज़ोर ज़ोर से झगड़ने की आवाज़े आने लगी। सुनील के कान खड़े होगये और उसे देवेन को भेजा ये देखने के लिए की माजरा क्या था।
देवेन दौड़ता हुआ गया और बहार के दरवाजे के पास चुप गया , उसने अपना एक खेलने वाला रिकॉर्डर शुरू करदिया। तितली की सास उस पर आग बबूला हो रही थी। “तुजे ज़रा सी भी समज है , किसी चुदकड़ की दूकान पर चली गई ? सुनील दोषी के पास कोई अपनी बहु बेटी को नहीं भेजता , उसक हरामज़ादे की नज़र बहुत ही ख़राब है। ”
“माफ़ करदो सासु माँ , आगे से वहा कभी नहीं जाउंगी। ”
जब चिलाना कम हुआ तो देवेन जल्दी से आया और अपने पापा को पूरी रिकॉर्डिंग उसने सुनाई। सुनील सुनकर ज़ोर ज़ोर से हसने लगा , तो देवेन ने पूछा , “हस क्यों रहे हो आप ? आपकी वजह से उस बिचारि को इतना कुछ सुन्ना पड़ रहा है।”
“बेटा तू अभी इतना बड़ा नहीं हुआ। इन बातो में अपना ध्यान मत लगा।”
” मुझे सब समझता है आप क्या करते हो। आपकी इन्ही हरकतों की वजह से हमे माँ को खोना पड़ा। ”
इस बात को सुनकर सुनील का पारा चढ़ गया और उसने देवेन को एक चाटा मारकर वहा से भगा दिया , “चल भाग यहाँ से। ”
सुनील अब पूरी तरह से बस तितली को अपने बिस्तर पर लाने की सोच रहा था। वह रोज़ रात तितली के घर के बहार छुप कर बैठता था और जब अभी वह बालकनी में आती तो उसकी तरह इशारे करता था। कुछ दिनों तक ये चला और एक बार जब तितली से बर्दाश नहीं हुआ तो वह उससे सुन्नाने उसकी दूकान पर चली गई।
“तुम्हे शर्म नहीं आती , एक शाद्दी क्षुधा औरत को तुम परेशां कर रहे हो ?”
“मुझे पता है की तुम अपनी शाद्दी से खुश नहीं हो। ”
“अपनी हद में रहो तुम। ”
“हद में रहकर ही ये बात कह रहा हु तुमसे। अगर तुम्हारी शाद्दी अछि चल रही होती ना तो तुम रोज़ रात अपने पति के बिस्तर पर मुस्कुराकर सोती। मेने देखा है की वह बस एक मिनट में ही झड़ जाता है। ”
“साले कमीने तूने मेरे घर में झाका ?”
“हाँ क्युकी में तुम्हारे लिए दीवाना बन चूका हु तितली। बस एक बार मेरे साथ मेरे घर चलो , मुझे तुम्हे कुछ दिखाना है। ”
दोनों के बिच काफी गहरी बहस हुई , लेकिन सुनील की सबसे बड़ी ताकत थी उसका भोला भाला चेहरा और मिठाई जैसी मीठी ज़बान। तो सुनील फिर बहस में जीत गया और वह तितली को अपने साथ ऊपर वाले कमरे में ले आया।
“बैठो ना , मैं चाय बनातु हु तुम्हारे लिए। ”
“नहीं , उसकी ज़रूरत नहीं है। जल्दी से दिखाओ क्या दिखाना है , मुझे घर पर बहुत काम है। ”
“अरे तेहरो तुम , काम तो होता रहेगा। ”
सुनील ने चाय बनाई और तितली के पास आकर बैठ गया , वह चाय की चुस्किया ले रही थी , लेकिन घबराहट के कारन उसके दिल की धड़कने तेज़ थी। सुनील को विश्वास था की तितली को गहरी चुदाई की ज़रूरत थी , उसने हलके हाथ से अपनी पैंट की ज़िप को खोला और अपना खड़ा लंड बहार निकाला। दोनों चाय पि रहे थे , लेकिन कमरे में अजीब सी ख़ामोशी थी।
तितली की नज़र अचानक सुनील के लंड पर गई और उसके हाथ से चाय का प्याला गिर गया। उसने सुनील से कहा , “ये क्या ?”
“इतना बड़ा देखा है कभी तुमने ?”
तितली बस खामोश थी , सुनील ने आगे कहा , “तुम्हे देख रोज़ खड़ा होजाता है तितली। साड़ी में तुम्हारी चूचिया मुझे बहुत ललचाती है , इन्हे खोलकर दर्शन करवादो। ”
“पागल हो सुनील ? किसी को पता चल गया तो ?”
सुनील ने अपने सारे कपडे उतार दिए और तितली को अपने लंड का पूरा दर्शन करवाया। तितली के मुँह से पानी आने लगा इतना अच्छा लंड देख। उसने कभी इतना बड़ा और साफ़ लंड नहीं देखा था , वह तुरंत झुकी और सुनील का लंड चूसने लगी। “आह… !”
सुनील भी तितली की साड़ी को खोलने लगा और उसनी चूचिया दबाने लगा , उसने तितली को उठा लिया और बिस्तर पर लेटा दिया , उसका ब्लाउज खोलके सुनील उसकी बड़ी चूचियों को चूसने लगा।
“क्या बड़ी और मुलायम चूचिया है तेरी तितली , इन्हे तो पूरा खा जाने का मन कर रहा है मेरा। ”
“ढाबा ज़ोर से सुनील , और मुझे ज़ोर से चोद आज। काफी दिनों की आग लगी है , अच्छे से बुझा आज। ”
सुनील फिर साड़ी ऊपर कर , तितली की पैंटी को हटाने लगा। उसने तितली के पेरो को पूरी तरह से फैला दिया था और तितली की गीली चुत देखकर सुनील के मुँह में पानी छुट गया।
सुनील कुत्ते की तरह तितली की चुत को चाटने लगा।
“आह… , उफ़… , सुनील ”
“मज़ा आ रहा है ना तुजे ?”
“हाँ बहुत ज़्यादा। ”
“अब और भी आएगा , जब में मेरा मोटा बड़ा लंड तेरी चुत में डालूंगा। ”
सुनील ने लंड को तितली की चिकनी चुत पर रगड़ा और उसे अंदर डाला , तितली की चीख निकल आई , “आह…”
गर्म मस्त चुत को सुनील ने काफी अच्छे से चोदा और पानी पानी कर दिया। फिर सुनील तितली की चुत में ही झड़गया, उसने अपने लंड की पूरी मलाई तितली की चुत में निकाल दी।
“ओह्ह हो ! बहार नई निकाल सकता था तू अपना लंड ?”
“अरे माफ़ करदे , कण्ट्रोल नहीं हुआ मुझसे। ”
इससे पहले की तितली कुछ कहती , दरवाजे पर दस्तक हुई और तितली काफी घबरा गई। “कौन होगा ?”
“तू घबरा मत , मेरा बेटा देवेन आया होगा। ऐसे बेवक्त आने के लिए उसकी खबर लेता हु रुक। ”
सुनील ने दरवाज़ा खोला लेकिन देवेन को अंदर आने से रोकने की कोशिश की , “बादमे आना , घर के भीतर मिठाई का काम चल रहा है। ”
देवेन को तितली की झलक दिख गई थी , उस वक़्त तो वह चुप चाप से चला गया। तितली ने सुनील से पूछा , “वह जाकर किसी को बताएगा तो नहीं ?”
“उसकी हिमत होगी ? तू फ़िक्र मत कर , मेरा बेटा चूहा है रे। चल अब लेट जा वापस तुजे जन्नत की सेर करवाता हु वापस। ”
तितली चुदने के लिए दोबारा तैयार होगई और सुनील के साथ शाम तक लगी रही।
देवेन के अंदर अपने बाप से बदला लेने की आग देहक रही थी , रात के अँधेरे में वह चुपके से तितली के घर में ग़ुस्सा और उसने तितली को नींद से जगाया। इससे पहले की तितली शोर मचाती , उसने तितली के मुँह पर अपना हाथ रख दिया और उसके कान में कहा , “चुप चाप मेरे साथ ग़ुसलख़ाने में चल, वरना तेरे घरवालों को बतादूँगा में की तू मेरे बाप के साथ क्या करती है। ”
तितली के पास और कोई चारा नहीं था , वह देवेन के साथ चली गई और अंदर आते ही देवेन ने उससे कोई मौका नहीं दिया। उसने झट से अपना लंड खोला और तितली को लंड चूसने कहा। “तुजे क्या लगता है , मुझे चोदकर बहुत शेर बन जायेगा तू। कल तेरे बाप को बताउंगी इस हरकत के बारे में मैं। ”
“कल बता देना , अभी मुझे वो मज़ा दे जो मेरे बाप को तू देती है। ”
तितली को अल्पेश किसी तरह से ज़ोर जबरदस्ती से नहीं चोद रहा था , उसका पूरा धायण बस मज़े लेने और देने पर था। जब अल्पेश ने तितली को चूमना शुरू किया , तितली गरम होने लगी और उसकी गीली चुत अल्पेश के लंड के लिए मचलने लगी।
“सुन , तेरा बाप अच्छा चोदता है, लेकिन ज़ोर से नहीं चोदता। मेरी चुत ज़ोरदार चुदाई के लिए बेक़रार है। ”
देवेन ने तितली को दीवार के सहारे झुकाया और उसकी चुत को अचे से चोदा अपने कम अनुभवी लंड से। देवेन का लंड भी उसके पापा की तरह लम्बा था बस देवेन में जवान जोश था। तितली ने तो बस अपने मुँह को ज़ोर से दबा रखा था ताकि उसकी आवाज़ सुनाई ना दे और देवेन के साथ चुदाई के पुरे मज़े उठाए।
देवेन तितली को रोज़ चोदता था और एक दिन जब वह तितली को घर पर चोद रहा था तब सुनील ने उन्हें रंगे हाथो पकड़ लिया। बाप बेटे में काफी झड़प हुई और गहमा गहमी में तितली ने सुनील को मार दिया , अपने बाप का खून देखकर देवेन ने तितली को मार दिया , दोनों की लाश उसने घर के पीछे ही गाड़ दी और इस तरह सुनील बन गया लेडीज स्पेशलिस्ट।
वह अपने से बड़ी औरतो को लुभाता था और उनके साथ समभंद बनाने के बाद उन्हें मार देता था।
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मेरी अगली कहानी का शीर्षक है “दासी की सील टूटी”
तो आप सब अपना ख्याल रखिएगा। कोविड का सिचुएशन है तो अपना विशेष ख्याल रखिएगा। नमस्कार।
धन्यवाद।
The End
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