घर की बात
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घर की बात – चाची और चाची की बेटी , दोनों है माल
दिल्ली से मनाली छुट्टिया मनाने आया था राकेश , कुछ दिनों तक वह अपने चाचा के घर रहने वाला था। बस आड़े पर उसे लेने आये उसके चाचा दिव्याप्रकाश जी राकेश को देखकर बहुत खुश हुए थे। वह जल्दी से उसके गले लग गए और उसे कहा , “तुम तो अच्छे खासे लम्बे होगये हो बेटा और body भी ज़बरदस्त बनाली है तुमने। तुम्हारी चाची और छोटी बहन टिंकी तुम्हे देख कर पहचान नहीं पाएंगे। ”
“अरे कुछ खास नहीं चाचाजी बस आपके आशीर्वाद से अब एक खुद का gym खोल दिया है। लोगो को training भी देते है तो अपनी body का ख्याल तो रखना ही पड़ता है। ”
“क्या बात है , खूब तरक्की करो बेटा। चलो अब घर चलते है। ”
“चाचाजी आप घर चले , मुझे ना पहले एक दोस्त से मिलना है। उसका कुछ सामान है मेरे पास। ”
“अरे ऐसे कैसे हो सकता है , तुम्हे खास लेने आया हु मैं। ”
“माफ़ करे चाचाजी बस मुझे एक घंटा देदो आप , मैं यु गया और यु घर पर आया। ”
राकेश , मनाली मैं रहने वाले अपने दोस्त मयंक से मिलने निकल पड़ा, मयंक ने उसे कहा था की मनाली आते ही वह उसे पहाड़ी लड़की से मिलाएगा चुदाई के लिए। इसीलिए मयंक से मिलने के लिए राकेश इतना ज़यादा बेसबर था।
जैसे ही राकेश मयान के घर पहुचा उसने देखा की दवाज़ा खुला था और कोई नज़र नहीं आ रहा था, इसीलिए मयंक को आवाज़ देते हुए राकेश घर के अंदर चला गया। bedroom से , “आ आ ओ उफ़… ” आवाज़े आ रही थी , जब राकेश ने bedroom का दरवाज़ा खोला तो उसने देखा की मयंक किसी गांव की गोरी को मज़े से चोद रहा था। लड़की छोटी सी ही थी , तकरीबन १८ या १९ बरस की और चटान जैसा मयंक उसकी ज़बरदस्त ठुकाई कर रहा था।
राकेश को देख मयंक रुक गया , “अबे कमीने , बताया क्यों नहीं की तू पहुँच गया है। ”
“तू मेरे बगैर ही शुरू होगया ?” नाराज़ होकर राकेश ने मयंक से कहा।
“अरे बाबा तू नाराज़ क्यों होता है , मेने लतिका को तेरे लिए ही यहाँ बुलाया है , चल अब कपडे उतार और आजा। ”
लतिका थी बहुत ही खूबसूरत , उसने अपनी school की uniform पहनी हुई थी और बस अपनी skirt को ऊपर करके चुदाई करवा रही थी। राकेश ने बिलकुल भी देरी नहीं की और अपने कपडे निकाल दिए और वह लतिका के पास गया। मयंक ने दोबारा अपना लंड लतिका की चुत में डाला। लतिका राकेश के लंड को हिलाने लगी और जब उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था , राकेश ने लतिका से कहा , “मुँह में लेकर देखो। ”
लतिका ने राकेश का लंड अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगी। राकेश ने उसे पूछा , “केसा लगा ?”
“बहुत बड़ा है आपका लंड , मज़ा आ रहा है पहली बार इतना बड़ा लंड अपने मुँह में पूरा लेने में। ”
राकेश लतिका के मुँह को चोदता रहा और मयंक पीछे से उसकी चुत की ठुकाई करता रहा।
फिर मयंक ने अपना लंड लतिका की चुत से निकाला और उसकी गांड पर झड़ गया और उसने राकेश से कहा , “चल अब तेरी बारी। ”
राकेश ने लतिका को लेटा दिया और उसके ऊपर आगया , राकेश ने उसका blouse खोला और उसकी गोरी छोटी सी चूचियों को बहार निकाल दिया। “मैं तुम्हारे इस cute से चेहरे को देख कर तुम्हे चोदना चाहता हु। ”
लतिका शर्म से लाल होगई और उसने अपनी दोनों टैंगो को पूरी तरह फैला दिया , जैसे ही राकेश ने अपना लंड उसकी चुत में डाला , लंड अंदर तक गया और लतिका की चीख निकल गई। राकेश ने उसे पूछा , “दर्द तो नहीं हुआ ना ?”
“नहीं , मज़ा आ रहा है। ”
राकेश फिर झटके देने लगा और लतिका की गुलाबी चुत लाल होगई। राकेश लतिका को माज़े से चोदता रहा और मयान उन दोनों के लिए चाय बना रहा था।
वहा kitchen में चाय ऊखल चुकी थी और bedroom में राकेश का लंड लतिका के गोर नाज़ुक जिस्म पर झड़ गया। राकेश और लतिका दोनों अपने कपडे पहन रहे थे , ये सोचते हुए की एक दूसरे से क्या बात करे।
तभी मयंक कमरे में आया चाय लेकर , “इतना सन्नाटा क्यों है ?”
राकेश , “बस इसी की कमी थी , गरमा गरम चाय , मेरे bag में cigarette है , लेकर आता हु। ”
लतिका , “मेरे लिए भी please। ”
राकेश मुस्कुराया और अपने bag की तरफ गया। मयंक ने लतिका से पूछा , “माज़ा आया तुजे ?”
“बहुत ज़यादा ” शर्मा कर लतिका ने कहा , “आपका सेहरी दोस्त तो बहुत handsome है। ”
cigarette और चाय पीते हुए तीनो के बिच चर्चा बस शुरू ही हुई थी की लतिका का phone बजने लगा और उसे याद आया की उसे घर जल्दी जाना था। लतिका अपने घर चली गई और राकेश और मयंक बाते करते रहे।
राकेश ने मयंक से पूछा , “यार कहा मिली तुजे ये कमाल की खूबसूरत लड़की। ”
“यार में इसके college के बहार चकर लगाया करता था , एक बार इसे पूछा की घूमने चलोगी तो ये मान गई। फिर इसके साथ picture देखने गया था मैं एक दिन , उस दिन इसकी pantie में हाथ डालकर मेने इसकी चुत सहलाई थी। ओहो इसकी गीली चुत और उसकी खुशबु , आज भी जब सोचता हु तो मेरा लंड एक पल में खड़ा हो जाता है। ”
“साले इसीलिए तू आज कल मेरा phone नहीं उठाता ज़यादातर। ”
“अरे ऐसी बात नहीं है मेरे यार। ”
“चल रहने दे अब , मुझे भी घर जाना है। चाचा और चाची मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे। ”
“चल ठीक है फिर , कल सुबह मिल , तुजे यहाँ की कुछ खास जगह दिखानी है। ”
राकेश मयंक के घर से निकला और अपने चाचा के घर आया।
घर आते ही उसे दोबारा उसके चाचा बरामदे में मिले , “काफी देर लगा दी तूने और इतना थका थका नज़र आ रहा है तू , सब ठीक तो है ?”
“हाँ हाँ चाचा जी बस सफर की थकान अब नज़र आ रही है चेहरे पर। ”
“चल अब चाची और टिंकी से मिल ले , सुबह से तेरे इंतज़ार में रुकी है दोनों। अरे प्रमिला देख राकेश आगया। ”
चाची और टिंकी दोनों बहार आये ख़ुशी ख़ुशी राकेश से मिलने , लेकिन टिंकी को देख राकेश के होश उड़ गए। टिंकी तो लतिका ही निकली , राकेश इतने सालो में भूल गया था की टिंकी का असली नाम लतिका था। वह राकेश को देख कर अपने कमरे में भाग गई और चाचा ने हसकर कहा , “देखा गांव की सभ्यता को , कैसे शर्माती है लड़किया आज भी। ”
राकेश को समझ नहीं आ रहा था की वह क्या कहे , इसीलिए वह बस चुप चाप खड़ा रहा और चाची उसकी तारीफों को पुल बंदति रही , “हाय कितना handsome होगया है अपना राकेश। ”
खाना पीना सब कुछ होने के बाद भी राकेश लतिका के बारे में सोच रहा था, तभी अचानक चाची उसके कमरे में आई। “राकेश में तुम्हारे लिए दूध लेकर आई हु। ”
“अरे चाची अभी इस वक़्त दूध , मेरा तो पेट भरा हुआ है। ”
“ये बहुत खास दूध है बेटा , तुम्हे बिलकुल भारीपन महसूस नहीं होगा इससे। ”
चाची ने राकेश के हाथो में दूध का glass थमा दिया और उसे पिने के लिए कहा। राकेश ने एक गुट पीते ही कहा , “चाची ये स्वाद तो जाना पहचाना सा है। ”
“अरे वहा ! मुझे पता था तुम मेरे दूध का स्वाद नहीं भूले। ”
राकेश हैरान था और चाची की चूचियों की तरफ देखकर उसने कहा , “क्या चाची ? ये आपका दूध है ?”
“हाँ हाँ , यद् है तू जब school में था तो मैं तुजे तेरे mummy और papa से छुपकर अपना दूध चुस्वाति थी। ”
अब राकेश पर हवस हावी होने लगी थी , “अरे चाची उन पलो को कैसे भूल सकता हु मैं। ”
“बस फरक सिर्फ इतना था की तब तू मेरी चूचियों से दूध चुस्त था और आज glass में पि रहा है। ”
“ऐसी बात है तो चाची चोली खोल दो , मैं आपकी चूचियों से दूध पीना चाहता हु। ”
“हाय राकेश सच्ची ?”
“हाँ ”
फिर चाची ने अपना पल्लू हटाया और अपना blouse निकालकर अपनी बड़ी बड़ी चूचियों के दर्शन राकेश को करवाए। चाची के भूरे रंग के निप्पल पुरे tight थे और उन्हें देखते ही राकेश उनपर टूट पड़ा।
राकेश उन्हें ज़ोर ज़ोर से चूस रहा था और चाची की “उह आ ” भरी चीख निकाल रही थी। “आरामसे से बेटा , तू जब तक यहाँ है मुझे जब मन चाहे चोद सकता है। ” राकेश के बाल खींचते हुए चाची ने कहा।
राकेश उनकी चूचियों को दबाते हुए चूसे जा रहा था और चाची की आवाज़ अब कमरे के बहार तक जाने लगी थी।
चाचा तो घर पर नहीं थे और राकेश से अपनी चुदाई करवाने के लालच में चाची भूल गई की दूसरे कमरे में टिंकी सो रही थी। आवाज़ सुनकर टिंकी की नींद खुली और वह राकेश के कमरे की तरफ आई। छुपकर उसने देखा की राकेश और उसकी माँ दोनों अध्नंगे थे। राकेश उसकी माँ की चूचियों से दूध पि रहा था और उसकी माँ राकेश के लंड को अपने हाथ से हिला रही थी। नज़ारा देख टिंकी उर्फ़ लतिका से रहा नहीं गया और उसने अपनी चड्डी में हाथ डालकर अपनी चुत को सहलाना शुरू किया।
राकेश ने अपनी चाची के बचे कपडे निकाले और उन्हें अपने बिस्तर पर लेटाकर चोदने लगा। चाची ने अब तक राकेश के जितना बड़ा लंड अपनी चुत में नहीं लिया था , “उफ़ आ ” करहाते हुए चाची माज़े लेने लगी।
सुबह जवान चुत और दोपहर में चाची की चुत , राकेश को लग रहा था की वह सबसे ज़यादा खुशनसीब इंसान था। चाची की टैंगो को फैलाकर राकेश उनकी चुत मारता रहा।
दरवाज़े के बहार कड़ी टिंकी भी इस चुदाई के काफी मज़े ले रही थी। उसने अपनी shorts और panty दोनों हटा दी और दो उंगलियों से अपनी चुत में ऊँगली कर रही थी।
चाची को चोदते हुए अचानक राकेश की नज़र टिंकी पर चली गई और वह रुक गया , जब चाची ने पूछा तो उसने चाची को इशारा कर बतादिया की टिंकी कमरे के बहार खड़ी थी।
चाची घबराकर उठी और कान पकड़कर टिंकी को कमरे में ले आई। “मेरी जासूसी करते हुए ये काम कर रही थी तू ?”
राकेश ने अपनी चाची को रोका और कहा , “अरे चाची उसे पीटो नहीं , अब वह बच्ची थोड़ी है। उसे भी सब समझ आता है। टिंकी तुम्हे भी करना है हमारे साथ ?”
टिंकी ने फट से हाँ करदी और फिर चाची ने कहा , “अरे राकेश लेकिन ये तुम्हारी छोटी चचेरी बहन है। ”
“तो क्या हुआ चाची , ये तो अच्छा है की हमारे घर की ही बात है। साथ चोदने से हम सबका रिश्ता और ज़यादा मजबूत होजायेगा। ”
फिर राकेश भाईसाहब ने टिंकी को अपने पास लिया और उसे चूमते हुए उसकी चुत में ऊँगली करने लगा , चाची राकेश का लंड चूसने लगी और फिर कुछ देर बाद राकेश लेट गया और टिंकी को लंड पर उछलने कहा , जैसे टिंकी राकेश के लंड पर उछाल रही थी चाची राकेश के चेहरे पर बैठ उससे अपनी चुत चटवा रही थी।
दोनों माँ बेटी ने फिर राकेश के बड़े लंड के खूब मज़े लिए और जब झड़ने का वक़्त आया तो राकेश ने उन दोनों के मुँह में अपने लंड की मलाई निकाली।
राकेश की मनाली वाली चुटिया बहुत ही खुशनुमा थी और तीनो ने मिलकर चुदाई का कोई मौका नहीं छोड़ा। चाचा जी तो इस बात से पूरी तरह अनजान थे।
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