आओ कभी हवेली पे ! हवेली का राज़

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चुदाई करने का अनोखा तरीका

ठाकुर भुवर प्रताप सिंह की हवेली जितनी आलिशान थी , उतनी ही ज़यादा बदनाम भी। ठाकुर साहब अपने परिवार के आखरी सदस्य थे जो ज़िंदा थे , उनका बाकि परिवार एक भयानक accident में मारा जा चूका था। इस हादसे के बाद ठाकुर भुवर जो अमेरिका में पाले बढ़े थे , अपनी जवानी और सम्पति को आयाशी में बर्बाद किये जा रहे थे।

आज हवेली में ठाकुर की प्यास भुजने एक Russian लड़की आई थी , दिवांका , बहुत खूबसूरत , एक model जैसा हुस्न था उसका। देखने में ठाकुर भी काफी दबंग था , चौड़ी छाती और लम्बी कद – काठी , गोरा चिट्टा रंग और एक शानदार मुच् , ठाकुर के व्यक्तित्वा को रूपवान बनाती थी।

दिवांका और ठाकुर चुदाई के रंग में साथ रंग चुके थे , दिवांका की गोरी गांड पर चाटे मारते हुए ठाकुर उसे पीछे से चोद रहा था और दिवांका उसके लंड से मिलने वाले मजे को बयां कर रही थी।

“भुवर , कितना सख्त और बढ़ा लंड है तुम्हारा , मार मार के मेरी गांड को लाल करदो भुवर। जम कर चोदो मुझे। ”

ठाकुर कम बोलने वालो में से था। उसने दिवांका को सीधा कर अपनी बहो में उठा लिया और अपनी गोद में लेकर उसे चोदने लगा। “आ आ आ , fuck me hard भुवर चिलाती हुई दिवांका ने ठाकुर की पीठ में अपने नाख़ून गदा रखे थे। ”

फिर ठाकुर ने दिवांका को बिस्तर पर फेक दिया और कमरे में जो अलमारी थी उसे खोला , अलमारी में तरह तरह की अजीब चीज़े राखी थी जो BDSM sex करने में काम आती है।  अलमारी में से उन्होंने दो हथकडिया ली और एक पतली सी छड़ी भी और फिर दिवांका के हाथो और पेरो को बिस्तर के खुटे से बंद दिया।

दिवांका के पसीने छूटे लगे थे , उसका गोरा जिस्म लाल हुआ जा रहा था और दूसरी और ठाकुर अपना खड़ा लंड लिए छड़ी की नोक को उसके जिस्म पर बस चला रहे थे।

दिवांका ने आह भरी क्युकी छड़ी की नोक जिस तरह से उसके जिस्म पर चल रही थी वह काफी उत्तेजित हो रही थी, फिर ठाकुर ने उसके गुलाबी उभरे निप्पल को ज़ोर से खींचा और उन्हें दबाने लगे। दिवांका दर्द और उत्तेजना से कराह रही थी , “आ आ आ , भुवर just fuck me now। ”

ठाकुर ने अपनी ऊँगली से दिवांका की चुत को छुआ और उसके गीलेपन को महसूस किया , चुत गीली तो थी लेकिन ठाकुर उससे और गिला करना चाहते थे , उन्होंने छड़ी को दो बार पहले दिवांकी की चुत पर मारा , बस उतने ही ज़ोर से जिससे हल्का सा दर्द और काफी ज़यादा उत्तेजना पैदा हो। उसके बाद उन्होंने दो बार छड़ी से उसकी अंदरूनी झंगो को मारा , दिवांका ज़ोर ज़ोर से कराह रही थी और उसकी आवाज़ हवेली में गूंज रही थी।

ठाकुर तब बिस्तर पर चढ़े और उसकी टांगो के बिच आकर अपने खड़े लम्बे लंड को उसकी चुत पर मसलने लगे , दिवांका पानी पानी हो चुकी थी , उसपर sex का नशा ज़ोरोर से चढ़ चूका था , ठाकुर ने उसका गला हलके से दबाया और अपना लंड उसकी चुत में दाल दिया। फिर ठाकुर दिवांका को चोदने लगे और उसी तरह , हलके से गला दबाकर लंड के ढके ज़ोरो से लगाने लगे। दिवांका की चुत बहुत ज़यादा पानी चोद रही थी और वह ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी। “fuck me , fuck me भुवर , fuck me like योर bithch। ”

ठाकुर ने अपना लंड दिवांका की चुत से बहार निकाला और अपने लंड की मलाई को उसकी चुत के ऊपरी हिस्से पर झड़ा दिया। दोनों रोमांच की वजा से ग़हरी सासे ले रहे थे। ठाकुर ने दिवांका को आज़ाद कर दिया और cigarette पिटे हुऐ नंगे बालकनी में चले गए।

दिवांका भी उनके पीछे नंगी आई और उन्हें गले लगाकर कहने लगी , “भुवर तुम्हारी तरह और कोई नहीं चोदता, मै क्या कुछ दिनों तक यही रह सकती हु ? तुम्हारे पास ?”

“हम्म , तुम्हे चोदने में काफी माज़ा आया मुझे।  मै तुम्हारी गांड भी मारना चाहता हु , इसीलिए तुम रुक जाओ। ”

हवेली की दुनिया से दूर , गांव के किसी घर में एक अलग चर्चा हो रही थी।

सोहन लाल और पवन लाल के बीच एक गंभीर चर्चा हो रही थी , “पवन लाल ये कोई बहस करने का समय नहीं है , ठाकुर को जो चाहिए वो उसे दे क्यों नहीं देते तुम ?”

पवन लाल , “कैसे देदू सोहन , तुजे तो  पता ही है की मेरा इस दुनिया में मेरी बेटी दुलारी के अलावा कोई और नहीं है। ”

सोहन लाल , “अरे भाई जब किसी आम आदमी के घर किसी ठाकुर का रिश्ता आता है , तो उस रिश्ते को अपना लेने में ही आम आदमी की भलाई होती है। ”

पवन लाल , “तुम ये बात जानते हुए भी की ठाकुर मेरी बेटी के साथ केसा व्यावर करेगा उसे इस आग में झोकना चाहते हो , तो ललाट है हमारी इस दोस्ती पर सोहन।  वह ठाकुर मेरी बेटी से शादी का रिश्ता जोड़ने की बात नहीं कर रहा , उसे मेरी बेटी बस अपने हवस के खेल के लिए चाहिए। पता नहीं वो कोनसी मनुस घडी थी जब ठाकुर की नज़र मेरी दुलारी पर पड़ गई। रोते हुए पवन लाल ने अपने दोस्त से कहा।

सोहन लाल , पवन लाल को दिलासा दे रहा था और अपने आप को सँभालने की हिदायत भी। किसी तरह सोहन लाल ने अपने दोस्त को सुला दिया और अपने घर चला गया , अगले दिन जब पवन लाल उठा तो उसने देखा की दुलारी अपने कमरे में नहीं थी , वह अपने पिताजी के नाम एक चिठ्ठी छोड़ गई थी , “बापू आप मेरी फ़िक्र बिलकुल मत करना , में हवेली जा रही हु , में नहीं चाहती की मेरी वजा से आपको किसी भी तरह की तकलीफ हो। मुझे कुछ नहीं होगा , जल्द ही आपसे मुलाकात होगी। ”

चिट्ठी पढ़कर तो पवन लाल के होश ही उड़ गए , उसने चिट्ठी फाड् दी और फुट फुट कर रोने लगा।

दुलारी ठाकुर के बुलावे पर हवेली पहुँच गई , उसका स्वागत ठाकुर की एक सेविका ने की। “तुम्हारा नाम दुलारी है ?”

घबराई हुई दुलारी ने जवाब दिया , “हाँ ”

“तुम तो बहुत ज़यादा खूबसूरत हो , गांव में पहले कभी देखा नहीं तुम्हे। ”

दुलारी अचानक ही रोने लगी , तब सेविका ने उसे चुप करवाया और उससे पूछा, “क्या होगया , रो क्यों रही हो ?”

“मेने सुना है की ठाकुर लड़कियों पर जुलुम करता है। अगर मुझे कुछ होगया तो मेरे बापू का ख्याल कौन रखेगा , मेरे सिवा उनका इस दुनिया में कोई और नहीं है। ”

“अरे पगली , ठाकुर तो एक अलग किस्म के इंसान है। तुम अपने बापू की चिंता बिलकुल मत करना , समझ लो की अब उनका जीवन तो सफल हो गया। तुम बस ठाकुर को खुश करदो, बहुत कम लड़कियों को ऐसा सौभाग्य मिलता है दुलारी। ”

सेविका की बात सुनकर दुलारी की हिम्मत थोड़ी बड़ी और वह नहाकर और श्रृंगार करकर ठाकुर से मिलने तैयार होगई।

वह एक कमरे में ठाकुर का इंतज़ार कर रही थी , काफी वक़्त तक इंतज़ार करने के बाद उसे नींद आगई और वह सो गई। जब उसकी आँख खुली तो उसने देखा की ठाकुर कमरे में बैठे थे और उसके उठने का इंतज़ार कर रहे थे। ठाकुर को देख दुलारी बहुत ज़यादा घबरागई और उनसे माफ़ी मांगने लगी , तब ठाकुर ने उससे कहा , “तुम्हे माफ़ी मांगने की ज़रूरत नही है। क्या तुमने खाना खाया है ?”

बड़सम

“जी ठाकुर साहब। ”

“और क्या तुम ये जन्नती हो की मेने तुम्हे यहाँ किस काम के लिए बुलाया है ?”

“नहीं ” घबराते हुऐ दुलारी ने जवाब दिया।

“हम्म , देखो तुम्हारा ये रूप , हुस्न मुझे भा गया इसीलिए में तुम्हे चोदना चाहता हु। तुम्हारी मर्ज़ी के साथ ही में तुम्हे हाथ लगाऊंगा , इसीलिए तुम्हारा इस बात को समझना और फिर मानना बहुत ज़रूरी है। ”

“जी ठाकुर साहब , आप बस मेरे बापू को पैसा भिजवादो, मैं तैयार हु। ”

“हम्म , तब ठीक है। ”

ठाकुर , दुलारी के पास आये और उसके होठो को चूमा , “पहली बार है तुम्हारा ?”

“जी ठाकुर साहब। ”

होठो को दुबारा चूमा और उसके जिस्म पर अपनी उंगलिया चलाने लगे , दुलारी को काफी अजीब लग रहा था , उसने पहले कभी ऐसा महसूस नहीं किया था। उसके पेठ मैं जैसे तितलियाँ उड़ रही थी , होठो को चूमते चूमते ठाकुर ने दुलारी के गले पर भी चूमना शुरू किया। दुलारी के जिस्म की गर्मी उन्हें काफी उत्तेजित कर रही थी , उन्होंने दुलारी के कपड़ो को खोलना शुरू कर दिया और उसकी चोली हटा दी। दुलारी की चूचिया , गोरी गोरी , मुलायम सी थी , उन्हें देखा कर ठाकुर समझ गए थे की दुलारी को पहले किसी ने चोदा नहीं था। दुलारी की सासे ज़ोर ज़ोर से चलने लगी थी ।

ठाकुर ने दुलारी की चूचियों को हलके हलके से दबाना शुरू किया और उसकी सासे ग़हरी होती चली गई। फिर ठाकुर उन्हें चूसे लगे और दुलारी ने अपने दोनों हाथो से उस खुर्सी, जिसपर वह बैठी थी , उससे कस कर पकड़ लिया।

ठाकुर दुलारी के जिस्म को चूमने लगा और फिर खुर्सी पर बैठी दुलारी की दोनों टैंगो को फैलाकर उसने दुलारी की चुत का नज़ारा देखा। उसकी चुत बंद थी क्युकी किसी ने अब तक उसे चोदा नहीं था , पहले ठाकुर ने बस अपनी उंगलियों से उसकी चुत को मसला , धीर धीरे , चुत से अब पानी बहने लगा था , दुलारी बस अपनी आखो को बंद करके सिसकिया लिए जा रही थी। जब चुत काफी गीली हो चुकी थी तब ठाकुर ने अपनी ज़बान से दुलारी की चुत को चाटा और दुलारी कराह उठी , “आ…”

“क्यों दुलारी , माज़ा आ रहा है तुम्हे ? ”

“हाँ ठाकुर साहब बहुत माज़ा आ रहा है। ”

“हम्म अब हल्का सा दर्द भी होगा तुम्हे , धीरे धीरे दर्द को सहने की क्षमता बढ़ाना तुम और दर्द कब मज़ा देने लगेगा तुम्हे पता भी नहीं चलेगा। ”

दुलारी कुछ समज नहीं पाई , लेकिन तब तक कमरे में दिवांका आ गई , उसने अपने हाथो में ठाकुर की वही छड़ी को पकड़ा था जो चमड़े की बनी थी और साथ में एक और उपकरण भी था ‘एक ऐसा ball जो दोनों तरफ से belt से जुड़ा था। ”

ठाकुर ने दुलारी से कहा , “घबराओ नहीं , ये दिवांका है , हमारी दोस्त और ये उपकाण जो अपने साथ लाइ है , इससे तुम्हे काफी ज़यादा माज़ा आने वाला है। अब तुम्हे हमपर भरोसा रखना पड़ेगा दुलारी। ”

दुलारी की दिल की धड़कन बहुत तेजी से चल रही थी , उसके पास अब कोई चारा नहीं था लेकिन पता नहीं क्यों उससे ठाकुर पर भरोसा था की वह उसके साथ कोई भी बदसलूकी नहीं करेंगे। दिवांका ने ball दुलारी के मुँह में डाली और belt से उसे बांड दिया उसके सर के पीछे। फिर ठाकुर ने छड़ी को दुलारी के जिस्म पर चलाना शुरू किया। दुलारी को सनसनाहट महसूस हो रही थी और वह गहरी सासे भरने लगी , तभी सबसे पहला वार छड़ी से उसकी झंगो पर हुआ। दुलारी काँप उठी , वार हल्का सा था लेकिन रोम रोम झनझना उठा था , चुत से पानी अब ज़यादा बह रहा था।

दिवांका ने दुलारी के निप्पल चाटे और उससे शांत किया और तभी दूसरी बार छड़ी से वार हुआ , इस बार दूसरी झांग पर , दुलारी दुबारा कांप उठी और चुत उसकी काफी गीली हो गई। फिर दिवांका ने दुलारी को सहारा देकर उठाया और उसके हाथो और पेरो को एक गुणन चिह्न की तरह दिखने वाले उपकरण से बंद दिया। वह खड़ी थी और उसकी तांगे फैली हुई थी और हाथ भी , ठाकुर ने तब पहेली बार अपना खड़ा लंड दुलारी को दिखाया और उससे कहा , “पता नहीं की पहले कभी तुमने लंड देखा है या नहीं , लेकिन इस लंड को अब में तुम्हारी इस कुवारी चुत में डालूंगा। तुम्हे हल्का सा दर्द होगा दुलारी लेकिन उसके बाद काफी ज़यादा माज़ा आएगा। क्या तुम तैयार हो मेरा लंड अपनी चुत में लंड लेने  के लिए, बस अपना सर हिलाकर इशारा करदो। ”

दुलारी ने हाँ करदी और तब ठाकुर ने अपने लंड को दुलारी की चुत पर मसला। दुलारी करहाने लगी थी , “हम्म…”

तभी ठाकुर ने अपने लंड पर थूक लगाई और उससे धीरे धीरे दुलारी की कुवारी चुत में डालना शुरू कर दिया। हलके मीठे दर्द से दुलारी मचल रही थी और फिर लंड पूरी तरह से अंदिर चला गया। तब दुलारी की चीक निकल आई , दबी हुई क्युकी उसका मुँह भी बंद था। ठाकुर ने अपने लंड से दुलारी की चुत को काफी देर तक चोदा और इस नज़ारे का माज़ा उठाते हुऐ दिवांका मुठ मार रही थी।

उस दिन की चुदाई ने दुलारी के जीवन को पूरी तरह से बदल दिया , BDSM तरीके से sex करने का माज़ा उसके लिए सबसे संतुष्टि जनक एहसास था।

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