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भोलू के मज़ेदार किस्से

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मोहिनी का रिझाना और भोलू से चुदवाना

बरसात का मौसम जवान लोंडो के लिए एक ऐसा समां बंदता है, जहा उनके दिलो दिमाग़ में बस हवस की आग दहकती रहती है। बरसाती मेंढक की तरह दुबक कर बैठा भोलू, गाँव के तालाब के पास अपना काम करने के लिए आने वाली महिलाओ को ताड़ रहा था।

नज़ारा बहुत कमाल का था, यहाँ वह बिखरे पल्लू और चिकनी झंगो, भीगी हुए चोलियो में से हलके से दिखराही उन औरतो की चूचियों का मज़ा ले रहा था। भोलू से रहा नहीं गया और उसने अपनी धोती खोल दी, वह बस कुछ ही दुरी पर था, जहा से उसे सब कुछ बहुत ही अच्छे से नज़र आ रहा था। बेखौफ और हवस की वासना में डूबा हुआ भोलू मज़े से अपना लंड हिलाने लगा। उसे इस बात का ज़रा भी ख़्याल नहीं रहा की उसकी ये हरकत उन औरतो को नज़र आ सकती थी।

भोलू की आँखे निराली भाभी की चूचियों में गड़ी हुई थी, निराली भाभी तक़रीबन ३५ वर्षीया महिला थी जिसका एक दूध पिता बच्चा थ। एक छोटे बच्चे को स्तनपान कराने की वजा से भाबी की चूचिया काफ़ी बढ़ चुकी थी। मस्मलग भोलू जड़ने ही वाला था, जब अचानक पीछे से कोई लड़की चीखी। “हाय रे दइया!” भोलू जल्दी से पीछे मुदा और उसने देखा की, मोहिनी घबराई हुई खड़ी थी।

मोहिनी को देख कर भोलू भी घबरा गया, उसने जल्दी से किसी तरह अपनी धोती पहन ली और मोहिनी को समझाने में जुट गया। भोलू की बौखलाई हुई बातें सुनकर अचानक से मोहिनी हंस पड़ी, वह भोलू से बोली, “अरे बेवकूफ अब रुक जाओ, मुझे कुछ समझाने की ज़रूरत नहीं है, मैं बहुत अच्छे से जानती हूँ की तुम उन औरतों को देख कर अपना लंड हिला रहे थे।”

मोहिनी की यह बात सुनकर भोलू अपने हाथ जोड़कर उससे माफी मांगने लगा, उसने मोहिनी से कहा, ” देखो यह बात तुम गाँव में किसी से भी मत करना, वरना गाँव के लोग मेरी जमकर पिटाई करेंगे। मोहिनी हमें पिटाई से बहुत डर लगता ह। तुम जो भी कहोगी मैं वह करने के लिए तैयार हूँ, बस यह बात को हम दोनों के बीच ही रखना।

मोहिनी ने हल्का-सा विचार विमर्श किया भोलू की बातों पर।

मोहिनी १८ वर्ष की गाँव की बड़ी ही चुदकड़ लड़की थी, चोरी छुपे उसने गाँव में काफ़ी लोंडो के साथ चुदाई की थी। अब तक उसने कभी भोलू के बारे में इसीलिए नहीं सोचा था क्युकी भोलू ललू किसम का लड़का था।

विचार विमर्श के बाद मोहिनी ने भोलू से कहा, “हम्म तो मेने अपना फैसला कर लिया ह।”

“हाँ बोलो क्या चाहती हो मुझसे।” घबराए हुए भोलू ने कहा “तुम्हारा लंड।”

ये बात सुनकर भोलू और भी चौक गया था, उससे समझ नहीं आया की क्या उसने ठीक से सुना था जो सुना था।

मोहिनी बोली, “ऐसे चोको नहीं मूठल कही के, हम थो बस तुम्हारा लंड देख कर चौक गए थे। तुम्हारी हरकत के कारण नही। इतना मोटा और रसीला लंड तुम्हारे पास होगा इस बात का अंदाज़ा हमको ज़रा भी नहीं था। अब तुम हमको चोदोगे, जब भी हमारा मन करेगा और इस नेक काम की शुरवात आज से ही होगी। अब चलो हमारे साथ खेत में।”

मोहिनी भोलू को अपने साथ अपने बाबा के खेत में ले गई। वह भोलू को उसी जगह ले गई जहा अक्सर वह गाँव ले लोंडो से अपने आप को चुदवाती थी। उसने भोलू से कहा, “चलो अब जल्दी से अपनी धोती को खोलो, तुम्हारे मोटे से लंड को चूसने का बहुत मन कर रहा ह।”

भोलू को तो अब भी विश्वास नहीं हो रहा था कि ऐसा कुछ उसके साथ सच्च में हो रहा था। मोहिनी काफ़ी सूंदर थी, उन औरतो की तरह उसका शरीर मांसल नहीं थ। उसका शरीर तो किसी बॉलीवुड की हेरोइन की तरह था, चिकना और कमसी। मोहिनी की चूचिया ब्लाउज में तो काफ़ी छोटी-सी नज़र आ रही थी पर भोलू को इस बात से कोई मतलब नहीं था, वह पूरी तरह से मोहिनी की खूबसूरती से मोहित हो चूका था।

“क्या सोच रहा है मूठल, धोती खोल ना जल्दी से, मुझे घर भी जाना है, ज़्यादा देर तक बहार नहीं रह सकती मे।”

भोलू ने अपनी धोती को गिरा दिया और उसका मोटा लंड पहले से ही खड़ा था। मोहिनी उस लंड को दोबारा देख कर उस पर टूट पड़। पहले उसने भोलू के लंड को मसला और फिर हलके से उसे अपने मुँह में लिया, अपनी जीब से वह बस भोलू ले लंड के आगे के हिस्से को चाट रही थ। वह भोलू से बोली, “तेरा लंड बहुत मस्त है मूठल, मुझे इसका स्वाद पसंदआगया। बंसी काका के बाद तो ऐसा रसीला लंड मेने अब तक चखा नही।”

हैरान भोलू ने मोहिनी से पूछा, “क्या? तुमने बंसी काका का लंड भी अपने मुँह में लिया है।”

“हाँ, बहुत अच्छा चोड़ते थे वह।”

मोहिनी जिस तरह से भोलू के लंड को चाट और अब चूस रही थी, उसकी वज़ह से भोलू अपने होशो हवाज़ पूरी तरह से खो चूका था। मोहिनी उसके लंड को अपने मुँह में पूरी तरह से लेनी को कोशिश कर रही थी, लेकिन भोलू का लंड काफ़ी बड़ा और मोटा था, जिसकी वजा से मोहिनी का दम घुट रहा था, तब वह लंड को बहार निकालती थी और उसपर अपनी थूक लगाकर दोबारा उसे अपने मुँह में ले लेती। इसके कारण जिस तरह का मज़ा भोलू को आ रहा था, वह उसने अपनी ज़िन्दगी में पहले कभी महसूस नहीं किया थ। भोलू मोहिनी के मुँह में ही झड़ गय। मोहिनी ने भोलू का वीर्य थूक दिया और उससे बोली, “कमीने मूठल, जड़ने से पहले बता नहीं सकता था?”

घबराते हुए भोलू ने कहा, “माफ़ करदे मुझे, में अपने आप को रोक नहीं पाय।”

“कमीना मूठल, चोदने से पहले ही जड़ गय। मेरी चुत को भी तो तेरे लंड का माज़ा लेना थ।”

“थोड़ी देर रुकजा, मेरा लंड दोबारा सख्त होजायेग।”

“अब रहनेदे, रात में मुझे तू मेरे घर के पीछे वाले दरवाजे पर मिल। विलाल में चलती हु, बापू मुझे खोज रहा होगा।”

मोहिनी वहा से चली गई, लेकिन भोलू वही खेत में कुछ देर सो गय। पहेली बार उसके लंड ने इस तरह का माज़ा महसूस किया था।

 

जब भोलू की आँख खुली तो काफ़ी देर हो चुकी थी, सूरज बस ढलने ही वाला था, वह खेत से निकल कर जल्दी से गाँव की तरफ़ निकल पड़ा। अब गाँव पॅहुचते ही भोलू को बड़ी ज़ोर की भूक लगी थी, वह अकेले रहता था, उसकी अपनी बस एक बुआ थी जो कम उम्र में ही बीमारी के कारण चल बसी थ। भोलू पर दया करकर गाँव के लोग ही उसे खाना खिलाया करते थे। उस शाम तो भोलू की हवस अपने चरम पर थी और मोहिनी ने भी उसे रात में बुलाया था, तो भोलू ने सोचा क्यों ना खाना जो है, वह निराली भाभी के हाथो का खाया जाये।

इस उम्मीद में की खाने के साथ-साथ निराली भाभी के मम्मो के दर्शन हो जायेंगे, भोलू निकल पड़ा उनके घर की तरफ। दरवाजे पर जब वह पहुचा तब घर के अंदर से उससे लड़ने जगड़ने की आवाज़ आई। भोलू ने खिड़की से ताका झांकीकी, तो उसने देखा की निराली भाभी का पति तो उसके साथ ज़ोर जबरदस्ती कर रहा था। वह निराली भाभी से कह रहा था की, “जब से मुन्ना आया है, तुमने हमको खुश करना बिलकुल छोड़ दिया है। आज साला तुम्हे चोद कर रहेंगे हम।”

निराली भाभी बहुत कोशिश कर रही थी अपने आप को बचाने की, लेकिन उनका मुश्टण्डा पति तो अपनी बात परअड़ा हुआ था। उसने बस निलारी भाभी की साडी उठा दी और उन्हें झुकाकर पीछे से चोदने लगा। धाए धाए, चार या पांच झटके लगाकर वह सांड झड़ गय। निराली भाभी उसे सुनाने लगी, लेकिन थका हारा वह भेसा भेहोष-सा था। निराली भाभी अपने रोते हुए मुन्ने को चुप करा रही थी, तब भोलू ने दरवाज़ा खट खटाया, “भाभी भीतर हो? खाने के लिए कुछ मिल सकता है?”

“कौन है भाहर?”

“भाभी हम है, भोलू।”

“अच्छा रुको हम रोटी लेकर आ रहे ह।”

निराली भाभी के सामने आते ही भोलू महाराज का लंड खड़ा होगया, उसकी नज़र भाभी की आखो में कम और उनके मम्मो पर ज़्यादा थी। “भोलू रोटी लेलो, वहा बैठकर तुम इससे खा सकते ह।”

“अच्छा भाभी, सब ठीक है ना, ये आपका निजी मामला है लेकिन मेने अंदर से झगड़ने की आवाज़ सुनी थी।”

हस्ते हुए भाभी ने भोलू से कहा, “वही मिया बीवी की रोज़ की तकरार, तुम नहींसमझोगे।” थोड़ी देर निराली के साथ गुप्षुप करने के बाद भोलू को ऐसा लगा की भाभी को चोदने के लिए मनाना ज़्यादा मुश्किल नहीं होगा। लेकिन अभी इस बात को आगे बढ़ाना ठीक नहीं था, इसीलिए वह भाभी के घर से निकल गया।

मोहिनी को चोदने की इच्छा भोलू के मन में अपने चरम पर थ। जैसा मोहिनी ने कहा था बिलकुल उसी तरह भोलू उसके घर के पीछे के दरवाजे पर पहुँच गय। कुछ समय बिता लेकिन मोहिनी नहीं आई, तब भोलू ने कुत्ते की आवाज़ निकाली जिससे की मोहिनी को ये पता लगे की भोलू बहार खड़ा था। भीतर से आवाज़ आई, “आरे मोहिनी, ज़रा देख तो, लगता है दोबारा वह काला कुत्ता पीछे के दरवाजे से आँगन में घुस आया है।”

“हाँ बाबा आप फ़िक्र मत कीजिये, में जाकर देखती हु।”

जैसे ही मोहिनी बहार आई उसने देखा की चुत का भूका भोलू आ चूका था उसकी मारने के लिए। उससे देखकर मोहिनी के चहरे पर मुस्कान आगई और वह अपने बाबा को सुलाकर जल्दी से बहार गई भोलू से मिलने। “कितनी देर लगा दी तुमने, में कबसे तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हु यहा।”

“क्या करती में, बाबा बस अभी सोया है। चल अब छत पर चल, हम वही आरामसे सारी रात चुदाई कर सकते है।”

“छत पर?अगर बारिश आगई तो क्या करेंगे?”

“अरे तू चल तो सही, ऊपर छपरा भी है। मूठल इस बार जल्दी झड़ मत जाना, मेरी आग बुझने में थोड़ा वक़्त लगता ह।”

भोलू और मोहिनी दोनों छत पर चले गए और वह पड़ी चारपाई पर चुम्मा चाटी करने लगे। “ए मोहिनी, अपनी चूचिया दिखा ना।”

“साले तू क्या कोई दूध पीता बच्चा है? हटा दे मेरी चोल।” मोहिनी ने भोलू ला लंड दबाते हुए ये बात कही, भोलू माज़े से चीख और फिर उसने बड़े ज़ोर से मोहिनी की चोली फाड़ दी। मोहिनी की चूचिया मस्त गोरी और गोल थी, उसके निप्पल गहरे रंग के थे और काफ़ी सख्त हो चुके थे। भोलू उन्हें ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा और मोहिनी मज़े से “अहह! अहह!” कर रही थी।

मोहिनी ने भोलू का हाथ अपनी चोली में डाल दिया और उसे अपनी चुत का स्पर्श करवाया, मोहिनी की गीली चुत को महसूस करके भोलू बस जानवर-सा बन गया था। उसने मोहिनी को खटिया पर लेटा दिया और उसका घागरा ऊपर कर दिया, फिर एक कुत्ते की तरह वह मोहिनी की चुत को चाटने लगा। मोहिनी को बहुत माज़ा आ रहा था जिस तरह से भोलू उसकी चुत को अपनी जीब से ऊपर, नीचे, अंदर, बहार अच्छे सेचाट रहा था। मोहिनी भोलू के सर को आपने पेरो के बीच दबाकर उसके चाटने का पूरा माज़ा ले रही थी।

चटवाने का माज़ा लेने के बाद, मोहिनी ने भोलू से कहा, “बस अब रहा नहीं जाता मूठल, अपनी धोती खोल, अपना वही बडा लंड बहार निकाल और मुझे चोद। भोलू ने धोती खोली और आपने सख्त लम्बे लंड से वह मोहिनी को पेलने लगा। वैसे तो मोहिनी की चुत काफ़ी गहरी थी लेकिन भोलू का लम्बा लंड काफ़ी अंदर तक जा रहा था। मोहिनी मदहोश थी,” आ-आ उफ़ मर गई में” कहते हुए मोहिनी ने बहुत माज़े लिए भोलू के लंड के। जब झड़ने की बारी आई तो भोलू ने अपना लंड चुत से बहार निकाला और सफ़ेद वर्षा मोहिनी के गोर बदन पर करदी।

कुछ पलो बाद दोनों बिना कपडे लेटे हुए बाते कर रहे थे, भोलू ने मोहिनी से कहा, “माज़ा आया?”

“हाँ, क्या चुदाई की है तुमने और तुम्हारा लंड कमाल का है।”

हिचकिचाते हुए भोलू ने मोहिनी से पूछा, “अगर हम इतना पसंद आये है तो बस हमी से चुदवाया करो अब।”

ये सुनकर मोहिनी नाराज़ होगई, “भोलू के बच्चे अब ज़्यादा सर पर ना चढ़ो। तुजमे और मुजमे ज़मीन आसमा का फ़र्क़ है, चुदवाने तक तो ठीक है, लेकिन ये प्यार व्यार के सपने मत देखना।”

भोलू भी नाराज़ होकर आपने कपडे पहनकर मोहिनी की छत से चला गया, बची हुई रात उसे बिलकुल भी नींद नहीं आई और वह यही सोचता रहा की अब मोहिनी को किस तरह भुलाया जा सकता है।

सुबह जब उसकी आँख लगी तो उसने एक कमाल का सपना देखा, सपने में वह निराली भाभी को पेल रहा था और मोहिनी उन्हें देख कर जल रही थी। भोलू से वह माफ़ी मांग रही थी और कह रही थी, “भाभी के साथ-साथ ही मुझे भी चोद दो भोलू, तुम्हारे लंड के लिए तरस रही हु मै।”

“प्यार नहीं तो लंड भी नहीं मोहिनी, या तो बस मुझसे चुदवाओ या फिर यहाँ से चली जाओ।”

मोहिनी बस अपना जवाब देने ही वाली थी की तब किसी ने दरवाज़ा खटखटाया और भोलू की नींद टूट गई। बड़बड़ाते हुऐ जब उसने दरवाज़ा खोला तो वह हैरान हो गया, क्युकी बहार सच्चमें मोहिनी और निराली भाभी खड़े थे।

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धन्यवाद।

आपसब अपना ख्याल रखिएगा। और अपना प्यार इसी तरह बनाए रखिएगा।

नमस्कार।

The End

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