गंगा की चुदाई की दास्ताँ

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जानो कैसे चुदी थी पहली बार और गांड में लंड लेने का माज़ा क्या होता है।

गंगा ने अपने कपड़ो को खोलना शुरू किया , जब उसने अपना top उतारा तो उसकी गुलाबी रंग की bra पूरी तरह कसी और तनी हुई दिख रही थी। गंगा की बढ़ी चूचियों को देख कर नवीन का लंड खड़ा होने लगा था , जब नवीन ने अपने लंड पर अपना हाथ रखा तो गंगा ने कहा , “छुपाओ मत, पूरी तरह खड़ा करुँगी में तुम्हारे लंड को। ”

नवीन को काफी ज़्यादा horny महसूस हो रहा था , तभी गंगा ने अपना bra खोला और नवीन को अपनी चूचियों का दर्शन भी करवा दिया। गंगा के boobs काफी भारी थे और bra खोलते ही लटकने लगे , उसके बढ़े भूरे रंग के निप्पल तने हूए थे क्युकी नवीन का लंड गंगा को अपने मुँह में लेने का मन था।

गंगा नीचे झुकी और नवीन की pant उतारने लगी , नवीन का पूरी तरह से खड़ा हुआ लंड दुबककर बहार निकल आया। तकरीबन ६ इंच का मोटा लंड देख गंगा की आखे बढ़ी होगई। उसने लंड को अपने हाथो से महसूस किया और फिर उसे अपनी ज़बान से चाटा। नवीन के लंड का स्वाद गंगा को बहुत पसंद आया था। उसने अपनी आखो को बंद की और लंड की चुसाई शुरू कर दी।

नवीन ने चुसाई के माज़े उठाते हूए गंगा का सर अपने हाथो में पकड़ा और उसे अपने लंड की तरफ दबाने लगा , लंड को पूरी तरह मुँह में लेना मुमकिन नहीं था गंगा के लिए , पर नवीन जो अपना होश खो बैठा था उसके सर को दबाये जा रहा था। काफी अंदर लेने के बाद गंगा ने अपने आप को नवीन की गिरफ्त से छुड़ाया और उसकी आखो में गुस्से से देखा , नवीन ने भी अपना होश संभाला , उसका लंड पूरी तरह से गंगा की थूक और मुँह के रस में भीगा हुआ था।

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गंगा ने नवीन से कहा , “हरामखोर सास तो लेने दे , अपने अंदर के जानवर को ज़रा काबू कर। ”

नवीन बोला, “चुदकड़ औरत , तेरी चूचियों  और ऐसी मस्त गांड देख कर तो अंदर से जानवर ही बहार निकलेगा ना। ”

“ठीक है फिर मेरी चुत को भी इसी लगन से चोदना , जल्दी झाड़ मत जाना। ”

“अच्छा , तो फिर लेट जा वहा, ज़रा अपनी ज़बान से तेरी चुत का मुआइना करता हु। ”

गंगा बिस्तर पर लेट गई और नवीन ने अपनी ज़बान से गंगा की चुत के बाहरी हिस्से को चूमना और चाटना शुरू किया , चुत पर ज़बान के लगते ही गंगा काफी उत्तेजित हो गई , ” आ आ आ हम्मा ” उसने नवीन के बाल खींचे और उसके सर को अपनी चुत की तरफ खींचा। नवीन ने अपनी ज़बान और बहार निकाली और चुत में अंदर डाली , गीली चुत रे रस बह रहा था। नवीन ने गंगा से कहा , “तेरी चुत का रस तो बहुत मीठा है। ”

गांड की चुदाई

नवीन अपनी ज़बान को चुत के अंदर बहार डालता रहा और ऊपर से नीचे तक उसने गंगा की चुत की चटाई की। गंगा ने चादर को कस कर पकड़ा था , और चुत चटाई के पुरे मज़े उठा रही थी। कुछ ही पलो में गंगा ने नवीन से कहा , “बस अब और मत तड़पा मुझे , अपना लंड मेरी चुत में दाल।

नवीन का लंड काफी तना हुआ था नंगी गंगा के दर्शन से , उसने अपने लंड को गंगा की चुत पर मसला और फिर अंदर दाल दिया। लंड के अंदर जाते ही गंगा ज़ोर से चीखी , “उइ माँ , मर गई रे। ”

लम्बा लंड काफी अंदर तक गया था और मीठे दर्द के साथ अब गंगा को पूरा माज़ा देने वाला था। नवीन ने ठुकाई शुरू कर दी , गंगा की दोनों टांगे काफी फैली हुई थी और फिर उसने अपनी टांगो को नवीन की कमर पर लपेट लिया।

“हाय , क्या मस्त चोदता है रे तू। ऐसा लंड तो काफी दिनों बाद मिला है। ज़ोर से चोद मुझे नवीन और ज़ोर से चोद। ”

नवीन काफी जोश में था , गंगा की चुत उससे बहुत माज़ा दे रही थी , नवीन ने अपनी कमर को ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे किया और तभी गंगा की चुत से पानी का फव्हारा छूटा। नवीन का लंड चुत से बहार निकल आया और गंगा करहाने लगी , बिस्तर पर छटपटाते हुऐ गंगा करहा रही थी, चुदाई का माज़ा गंगा को पूरी तरह से मिला था , लेकिन नवीन का लंड अब भी झडा नहीं था।

नवीन ने गंगा से कहा , “आया माज़ा तुजे ?”

“कमीने पूछ मत, क्या माज़ा दिया है तेरे लंड ने आज। चल अब में तेरे लंड को चूसकर उसे झडा देती हु। ”

“नहीं नहीं , चूसकर नहीं , मुझे लंड तेरी गांड में डालना है। ”

“गांड में डालेगा लंड ?”

“हाँ। ”

“यार तेरा लंड कुछ ज़यादा ही बढ़ा है। इतना बढ़ा लंड मेने पहले कभी गांड में नहीं लिया है। ”

“आज लेकर देख , तुजे बहुत माज़ा आएगा। ”

“साले हरामी , माज़ा तो तुजे आएगा , मेरी गांड फट जाएगी उसका क्या ?” हस्ते हुऐ गंगा ने नवीन से कहा।

“तू घबरा मत , मेरे पास ज़हतुन का तेल है। तेरी गांड के छेद पर मसलूंगा और फिर छेद बिलकुल तैयार होगा लंड लेने के लिए। चल अब तू ज़रा गोदी बन जा। ”

गंगा नवीन के कहने पर घोड़ी बन गई और नवीन ने ज़हतुन का तेल लेकर गंगा के गांड के छेद की मालिश की अपनी उंगलियों से। छेद को काफी मुलायम बना रहा था नवीन मालिश से और गंगा को भी बहुत माज़ा आ रहा था , वह मज़े से कराह रही थी और नवीन का नाम ले रही थी , “साले कुत्ते नवीन , क्या कर रहा है तू मेरी गांड को। क्या कमाल का माज़ा दे रहा है रे तू भोसड़ीवाले। ”

“साली चुदकड़ औरत , माज़े भी ले रही है और मुझे गाली भी दे रही है। ”

गंगा हसने लगी और तभी अचानक से नवीन ने अपने लंड को गंगा की गांड में डालने की शुरवात की। गंगा की चीक निकल आई , “साले हरामखोर बताके तो दाल। ”

नवीन ने भी हस्ते हुऐ जवाब दिया , “बताके डालूंगा तो तुजे ऐसा माज़ा नहीं आएगा। तू बिलकुल tension मत ले , तेरी गांड फाड़ी नहीं है मेने अब तक। ”

“आ आ आ उफ्फ्फ आ ओ माज़ा आ रहा है रे अब। ”

नवीन ने गंगा की गांड मारना शुरू किया , अपना लंड अंदर बहार करते हुऐ वह गंगा की मस्त ठुकाई कर रहा था। लंड गंगा की गांड में अब काफी आसानी से अंदर बहार हो रहा था। ऐसा माज़ा गंगा ने पहले कभी महसूस नहीं किया था , नवीन का लंड भी गंगा की तंग गांड के छेद के  मज़े से झड़ने वाला था और बस एक दो और ढके लगा कर नवीन ने अपने लंड की मलाई को गंगा की गांड में ही खली कर दिया।

गंगा ने ऐसा परम सुख पहली बार महसूस किया था , “साले क्या चोदा है तूने आज मेरी गांड को। चल अब जा कर धोने दे मुझे। ”

गंगा bathroom में गई और गांड धोते हुऐ नवीन से कहने लगी , “अच्छा सुन , मुझे मालिश और भी चाहिए। ”

“हाँ हाँ ज़रूर मिलेगी , पर पहले तू मुझे आज अपनी सबसे पहेली चुदाई का किस्सा बता। ”

“ओह अच्छा, तो तुम मेरी पहेली चुदाई का किस्सा सुन्ना चाहते हो ?”

“हाँ , में जानना चाहता हु की कैसे तूने स्वाद चखा था चुदाई का पहली बार?”

“यार मेरी पहली चुदाई तो घर पर ही हुई थी। ”

“क्या बात कर रही है ? तुजे पहली बार तेरे घर के किसी सदस्य ने चोदा था ?”

“नहीं , घर पर हुई है लेकिन घर के सदस्य से नहीं। ”

“अरे वा, ये बात तो काफी दिलचस्प लग रही है , बता जल्दी से। ”

“तब में school में थी और हमारे घर मेरे दादाजी का एक दोस्त आया हुआ था। ”

“क्या बात कर रही है ? तुजे पहली बार किसी बूढ़े ने चोदा ?” हैरान होकर नवीन ने पूछा।

“हाँ साला बूढ़ा बहुत हरामी था , मुझे फसा कर उसने मुझे पहली बार चोदा था। ”

“हम्म , तो हुआ क्या था ?”

“में नहा कर ऊपर छत पर अपने बाल सूखा रही थी , मुझे ऐसा लगा जैसे मुझे कोई चुप चुप कर देख रहा था , तो मेने यहाँ वहा अपनी नज़र घुमाई, कोई दिखा नहीं तो में अपने बाल सूखा कर नीचे चली गई। थोड़ी देर बाद मुझे पता चला की घर वाले कही बहार घूमने जा रहे थे , मुझे घर पर अकेले रहकर अपनी पढ़ाई करनी थी क्युकी परीक्षा सर पर थी। ये भी पता चला की वह बुद्धा भी घर पर ही रहने वाला था क्युकी उसकी ताब्यात अचानक ख़राब होगई थी। मुझे क्या था उस बात से , में तो अपना कमरा बंद करके पढ़ाई करने लगी। थोड़ी देर बाद , दोबारा वैसा ही लगने लगा मुझे , जैसे कोई मुझे देख रहा था। मेने अपने कमरे का दरवाज़ा खोला और छान बिन की , लेकिन बहार तो कोई भी नहीं था। उस दिन गर्मी भी बहुत ज़्यादा थी , मेरा मन किया की में अपने कपडे उतार दू , मेने सारे कपडे उतार दिए और फिर पेट के बल लेटकर पढ़ाई करने लगी। तब अचानक से मेरे कमरे का दरवाज़ा खुला और में घबराकर बेठ गई , में भोखलागइ जब मेने उस बूढ़े को कमरे में आते देखा।

मेने उससे कहा की वह अंदर ना आये और मुझे अपने शरीर को ढकने का मौका दे , लेकिन उसने मुझे बताया की उसकी ताब्यात काफी ख़राब होगई थी और उससे तुरंत ही मदत की ज़रूरत थी। मेने किसी तरह पास पड़ी चादर से अपना शरीर धक् लिया। तब में काफी छोटी सी ही थी , मेरी चूचिया भी ठीक से उभरी नहीं थी और नाही मुझे किसी बात की ज़्यादा समझ थी। बुद्धा आकर मेरे बिस्तर पर लेट गया और मुझे कहने लगा की उसकी पेशाब की जगह पर उससे दर्द हो रहा था और दर्द बस मालिश करने से चला जाता है।

में बेवक़ूफ़ , उसकी बातो में आगई और उसकी pant खोल कर उसके लंड की मालिश करने लगी। देखते ही देखते उसका लंड बढ़ा होगया और मेने उससे पूछा की ऐसी सूजन उससे क्यों हो रही थी , तो बुद्धा बोलै की सूजन को मिटने के लिए उसे लंड को मेरी चुत में डालना होगा। उस वक़्त तो ऐसा लगा की बूढ़े की मदत करने से पुण्य प्राप्त होगा , तो मेने भी लेट कर बूढ़े का लंड बड़ी मुश्किल से अपनी चुत में लिया।

दर्द हुआ और कुछ समज नही आया उस वक़्त १८ की उम्र में , लेकिन उसने मेरी seal तोड़ दी उस दिन। जब घर वाले आये तो मेने रोते रोते सारी सचाई बता दी और बूढ़े की खूब कुटाई हुई। उसे घर से भगा दिया गया उसी वक़्त , लेकिन १८ साल की में उस वक़्त मन में सवाल लिए दिन रात तड़प रही थी।

जब और सहन नही हुआ तो मेने अपने दोस्तों से सवाल करना शुरू कर दिया। मेरे सवालो का जवाब दिया मुझे मेरी दोस्त मीना ने , वो भी काफी practical तरीके से।

मीना मुझे अपने boyfriend पार्थ के घर ले गई जब उसके घर कोई नही था। मीना और पार्थ ने शुरवात की चुम्मा चाटी से और फिर पार्थ मीना की चुत में ऊँगली करने लगा। वो नज़ारा देख कर मुझे तो बूढ़े की याद आई पहले , लेकिन मीना तो काफी मज़े ले रही थी। तब मुझे लगा की उसके साथ तो कुछ अच्छा ही हो रहा था। पथ ने जब अपनी pant उतरी तब उसका लंड देख कर मेरे मन में भी बेचैनी सी होने लगी। मेने मीना को बताया की मेरा भी पार्थ के लंड को महसूस करने का मन था , मना ने मुस्कुराते हुए मुझे इज़ाज़त दे दी। ओह जब पहली बार उस लाल लंड को छुआ था मेने , क्या माज़ा आया था। उस दिन फिर पार्थ ने मेरी और मीना , दोनों की चुदाई की थी , बहुत मज़ेदार तरीके से।

एक वो दिन था और एक आज का दिन है , में बस चुदाई के खुल के माज़े ले रही हु।

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