जीवन की पहली चुदाई
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जीवन की पहली चुदाई। – दर्द से भरा लेकिन बहूत रोमांचक और मजेदार।
कुछ ही मिनटों में हम बेडरूम में बिल्कुल नंगे थे। उसने मुझे कांपते हुए देखा और फिर पूछा कि क्या तुम ठीक हो?
उसने कहा, ‘तुम यदि असहज हो तो हम रुक जाएंगे‘।
मुझे पता था कि मेरा प्रतिरोध गलत है। क्योंकि उस दिन मैंने चुदाई करने का मन बना लिया था। यह मेरी अपनी इच्छा थी। मैं इसके लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थी। मैं नए साल में वर्जिन नहीं रहना चाहती थी। 12 बजने वाले थे और हम चुदाई का आनंद लेने जा रहे थे। यह माहौल मुझे जितना उत्तेजित कर रहा था उतना ही डरा भी रहा था।
मैंने उससे कहा, ‘वादा करो जैसा मैं कहूंगी तुम वैसा ही करोगे’। उसने सहमति में सिर हिलाया।
‘तुम मेरे हाथ पकड़ लो और पूरे जोर से झटका मारो। अगर तुम मुझसे पूछते रहोगे, तो मैं ना ही कहूंगी क्योंकि सभी भावनाएं मेरे मन में आती रहेंगी। लेकिन तुम रुकना मत, मेरी चूत में बेझिझक अपना लंड घुसेड़ देना।
मेरे चूत में अब तक एक उँगली तक नहीं घुसी थी
हेलो दोस्तों, मैं सामंथा हूँ आपकी प्यारी दोस्त। मैं अब 23 की हो चुकी हूं। लेकिन जहाँ मेरे उम्र की और साथ कि सारी सहेलियां व लड़कियां ना जाने कितनी बार चुदाई कर चुकी हैं, कइयों की तो कई सारे बॉयफ्रेंड हैं। वहीं मैं आज तक कुंवारी हूँ। यहां तक कि मेरे चूत में आज तक एक उँगली तक नहीं गया। हां हस्तमैथुन का आनंद ले चुकी हूँ लेकिन मैंने चूत के ऊपर से ही चूत (बुर) के दाने को सिर्फ सहलाकर हस्तमैथुन किया है।
लेकिन मेरे अंदर चुदाई करने की बहुत जिज्ञासा भर चुकी थी। मैं अब काफी उत्तेजित रहती थी। इसीलिए 2021 की शुरुआत मैं अपने चूत की चुदाई करते हुए करना चाहती थी। लेकिन मैं श्योर नहीं थी की मुझे क्या करना चाहिए| फिर भी मैंने मुकुंद को 31 की रात को अपने साथ चुदाई करने के लिए कहा।
कानपुर से दिल्ली का सफर
मैं कानपुर में पैदा हुई और वहीं बड़ी हुई। मेरा परिवार थोड़ा पुराने ख्यालों की है। इसीलिए मुझे दोस्तों के साथ बाहर जाने के लिए भी माँ से परमिशन लेना पड़ता था। इसलिए, जब मैं कॉलेज के लिए दिल्ली आई, तो अपनी नई आज़ादी को भरपूर और खुलकर जीना चाहती थी।
कॉलेज में मेरी सभी सहेलियों के बॉयफ्रेंड थे और उनमें से ज्यादातर ने चुदाई भी किया था, यहां तक की कई सहेलियों के तो 3,4 बॉयफ्रेंड थे। लेकिन मैं 22 साल की होने के बावजूद अभी भी पूरी तरह से वर्जिन थी। मेरे मन में चुदाई को लेकर उत्साह और डर दोनों था। हालांकि मैं कई बार हस्तमैथुन कर चुकी थी लेकिन मैंने कभी अपनी चूत के अंदर उँगलियों या किसी चीज को प्रवेश नहीं किया था। हाँ अपने चूत (बुर) के दाने (क्लाइटोरिस) को सहलाकर ही मजे लिए थे।
अब कॉलेज में मैं पढ़ाई के साथ लड़कों में भी इंटरेस्ट लेने लगी थी। कई सारे लड़के मेरे दोस्त बन चुके थे। लेकिन कोई मुझे दिल से आकर्षक नहीं लगता था। फिर एक दिन मेरा एक दोस्त ने मुझे घूमने जाने के लिए ऑफर किया। जिसका नाम जॉन था। और मैं तैयार हो गई। वो हैंडसम लड़का था। हमदोनों उसकी कार में शहर से दूर एक सुनसान जगह घूमने गए। वहां काफी हरियाली थी और हम एक टापू पर बैठे थे। पहले तो हमने नॉर्मली बातचीत की। फिर हमलोगों ने टहलते हुए एक पेड़ के नीचे पहुँचे। जिस पर लाल रंग के ढेर सारे फूल खिले हुए थे ऐसा लग रहा था जैसे हम फूलों से भरी लाल आसमान के नीचे हैं। तभी जॉन ने आगे बढ़के मेरे सामने खड़ा हो गया एक पल के लिए तो मैं समझ नही पाई की क्या हुआ, लेकिन तभी वो घुटनों पर बैठकर मेरे सामने एक गुलाब आगे बढ़ाया और आई लव यू बोला। मुझे तो कुछ नही समझ आ रहा था लेकिन फिर मैंने उसके हाथ से गुलाब लिया और घबराते-मुस्कुराते हुए उसे उठाया और उसने मुझे गले से लगा लिया। उसने मुझे जोर से अपने बाहों में भींच लिया और अगले ही पल उसने अपने गर्म होठों को मेरे होंठो पर रख दिया। और कभी ऊपर तो कभी निचले होंठो को किस करने लगा मैंने भी उसका भरपूर साथ दिया। वो मेरा पहला किस था। फिर हम लौट आए। मेरे अंदर एक नया आत्मविस्वास जगा था। मुझे काफी अच्छा महसूस हो रहा था।
चूत की अधूरी प्यास के साथ कानपुर लौटी
लेकिन तभी कोविड (कोरोना) महामारी शुरू हो गई। कॉलेज बन्द हो गया और मेरे माँ-पापा ने मुझे घर बुला लिया।
फिर कुछ दिनों बाद मैं अपने एक कजिन (चचेरे भाई) से मिली। जो मुझसे उम्र में 2 साल छोटा था। जिसका नाम मुकुंद था। और मेरे ही शहर में रहता था। वह बहुत सुलझा और संवेदनशील लड़का था। फिर कुछ दिनों बाद वो मेरे घर कुछ दिन के लिए रहने के लिए आया। और नया साल आने वाला था। मैं और मुकुंद अक्सर साथ घूमने जाने लगे।
मेरे मन मे लगातार उतेजना भारी चुदाई की बातें आती थी। मैं काफी उत्तेजित रहती थी। और तभी मेरे दिमाग मे एक बात आई की मैं नया साल की शुरुआत अपने चूत की चुदाई के साथ करूंगी। चुदाई के लिए मैं खुद को मानसिक रूप से तैयार कर चुकी थी। लेकिन मेरा बॉयफ्रेंड मुझसे दूर था, और कोई दूसरा लड़का मुझे अभी तक मिला नही था।
मेरी बात बिल्कुल मत सुनना, जबरदस्ती मुझे चोद देना!
31 दिसंबर आया। घर मे रौनक थी। हम सब बहुत खुश थे हम सबने मिलकर रात को नया साल का जश्न मनाया। और फिर हम अपने-अपने कमरे में सोने चले गए। लेकिन मुझे नींद नही आ रही थी। मेरे दिमाग मे लगातार चुदाई से संबंधित बातें घूम रही थी। मैं काफी उत्तेजित मेरे अंदर ज्वाला भड़क रही थी। मेरी चूत किसी ज्वालामुखी की तरह धधक रही थी। मैंने अपना हाथ पैंटी में डाला और अपने चूत को सहलाने लगी। फिर मैंने पैंटी को उतार फेंका। मुझे क्लीन शेव रखना पसंद है। मैंने एक दिन पहले ही चूत के बाल साफ किए थे। अब मेरे शरीर पर मात्र लाल रंग का ब्रा था। और दूधिया रोशनी में मेरा मखमली गोरा बदन चमक रहा था। इस हाल में मुझे कोई भी देखता तो होश खो बैठता। मैं अपनी आँखें बंद कर लगातार अपने चूत के दाने (क्लीस्टोरिस को मसल रही थी। और तभी अचानक मुकुंद मेरे रूम में आ गया। और मैं घबरा गई और चादर खींच कर खुद को ढकने की कोशिश की। 2 मिनट तक तो हम बिना कुछ बोले एक दूसरे को देखते रहे। फिर वह मेरे पास आया और मेरे बिस्तर पर बैठ गया। मैं थोड़ी सहज हुई। वो भी डर रहा था । लेकिन तभी मेरे दिमाग मे ख्याल आया कि क्यों ना नए साल की शुरुआत मुकुंद के साथ ही चुदाई करके किया जाए। मैंने अपना हाथ उसके गालों पर ले गया और सहलाने लगा वो मना कर रहा था, लेकिन बस दिखावे का ही। फिर मैंने उसकी तरफ घुमा और उसे किस करने लगी। वो भी
अब सहज हो चुका था और मुझे किस करने लगा। हम लगातार 10 मिनट तक किस किए। इतनी लंबी किस का ये मेरा पहला अनुभव था। मैं काफी उत्तेजित हो चुकी थी। मेरे चूत में पहले से आग लगी थी। अब ये किस ने मेरी शरीर और चूत में आग में घी का काम किया था।
लेकिन मेरे अंदर उतेजना और घबराहट दोनों था। दूसरी तरफ मुकुंद पूरी तरह खुल चुका था, और मुझे लगातार किस कर रहा था। लेकिन तभी मुझे एक अजीब सा झटका सा लगा। और मैं उससे दूर हुई।
मुकुंद ने पूछा की क्या तुम ठीक हो?’
मुकुंद ने कहा क्या तुम ठीक हो, मैंने कहा, ‘हाँ ठीक हूं’। फिर हम थोड़ा सहज हुए और मुकुंद फिर से मुझे किस करना शुरू कर दिया। अगले कुछ ही मिनटों में हम बेडरूम में पूरी तह से नंगे हो गए थे। लेकिन मेरे अंदर थोड़ी डर अभी भी थी। फिर उसने मुझे कांपते हुए देखा और फिर पूछा कि क्या मैं ठीक हूं?
उसने कहा, ‘तुम यदि असहज हो तो हम रुक जाएंगे’।
लेकिन उस दिन मैं अपनी चूत की सील तुड़वाने का मन बना लिया था। यह मेरी इच्छा थी। मैं नए साल में वर्जिन नहीं रहना चाहती थी। रात के 2 बज चुके थे और हम बिस्तर पर बिल्कुल नंगे थे। यह माहौल मुझे जितना उत्तेजित कर रहा था उतना ही डरा भी रहा था।
मैंने उससे कहा, वादा करो जैसा मैं कहूंगी तुम वैसा ही करोगे।
मैंने उससे कहा, ‘वादा करो जैसा मैं कहूंगी तुम वैसा ही करोगे’। उसने सहमति में सिर हिलाया। फिर मैंने कहा, ‘तुम मेरे हाथ पकड़ लो और मेरी चूत में जबरदस्ती अपना लंड घुसेड़ दो। चाहे मैं दर्द से कराह उठूं लेकिन तुम कोई रहम मत करना मेरी चूत फाड़ देना। मेरी बन्द चूत के सील को तोड़ देना। क्योंकि अगर तुम मुझसे पूछते रहोगे, तो मैं ना ही कहूंगी, क्योंकि सभी भावनाएं मेरे मन में आती रहेंगी। लेकिन तुम रुकना मत, आगे बढ़ना। तुम बस अपना लंड मेरी बुर (चूत) में घुसेड़ देना।’
वह एक बहुत अद्भुत एहसास था। हालाँकि, मेरे शब्दों ने उसे रोक दिया।
उसने कहा सामंथा, मैं ऐसा नहीं करूंगा! यदि तुम ना कहती हो, तो वो मेरे लिए ना ही है। सॉरी, लेकिन तुमको अपनी लड़ाई खुद ही लड़नी होगी। मैं तब तक इंतजार करने के लिए तैयार हूं, जब तक तुम खुद को पूरी तरह से तैयार नहीं कर लेतीं, लेकिन बिना तुम्हारी हाँ के मैं आगे नहीं बढूंगा’।
नया साल का दिन, और मैं अभी तक वर्जिन थी, लेकिन खुश थी। मुकुंद मेरी आँखों मे खो गया। वो मुझे एकटक देख रहा था, और मैं भी। फिर मैंने उसके लंड को अपने हाथों में ले लिया। और उसका हाथ मेरे चूत पर चला गया। और हम एक दूसरे को किस करने लगे।
फिर उसने मेरे चूत में अपना लंड डालना चाहा, लेकिन उसका लंड मेरी चूत में नहीं घुस रहा था। उसका भी ये पहला चुदाई था। जैसे ही वो अपने लंड को मेरे चूत में घुसाना चाहता मैं सिकुड़ जाती और उसे हटाने लगती क्योंकि मुझे दर्द का एहसास हो रहा था।
फिर उसने मेरे दोनों पैरों को अलग-अलग कर बिस्तर के दो छोर पर रस्सियों के सहारे बांध दिया और मेरे हांथो को भी दोनों तरफ बांध दिया। फिर उसने मेरे गांड के नीचे दो तकिया लगाया जिससे मेरा चूत बिल्कुल ऊपर होकर खुल गया। मुझे खुद अपने चूत के दाने तक दिखने लगे जो कि फूल कर मोटा हो गया था। मेरे चूत का दाना खून की तरह सुर्ख लाल हो गया था। और मेरी चूत के अंदर तो क्या गजब की खूबसूरत लाल-लाल रंगीन दिख रहा था। उसके बाद वो मेरे पैरों के बीच आ गया और अपना मुँह मेरे दोनों जांघों के बीच छुपा दिया। उसकी जुबान और होंठो की हरकतें मुझे पागल कर रही थी। वो मेरे चूत के दाने को चाट रहा था, और अपने दोनों होंठो में दाने कक पकड़कर ऊपर की ओर खींच रहा था। क्या बताऊँ ये कैसा एहसास था। मेरे जीवन मे यव पहली बार हो रहा था। इस सुखद अनुभव को मैं बयां नहीं कर सकती। मेरे मुंह से लगातार सिसकारियों के साथ आहहहहहहहहहहहहहहह उहहहहहहहह हहहहहहह की आवाजें आ रही थी। मैं जैसे बिन पानी के मछली समान तड़प रही थी। समूचे जिस्म में आग धधकने लगा। वो लगातार 10 मिनट तक मेरे चूत को चाटता रहा। मेरी चूत किसी झरने की तरह लसलसा पानी छोड़ रही थी। और बिस्तर मेरे चूत के पानी से गीला हो रहा था। फिर
वो मेरे नाभि में अपने उंगलियों और गीली जुबान से खेलते हुए मेरी चुचियों तक आ गया और मेरी चुचियों पर मारने लगा जिससे मेरी चुचियाँ खून की तरह लाल हो चुके थे मुझे दर्द भी हो रहा था। मेरी चुचियाँ बिल्कुल कड़क हो चुकी थी। और चुचियों के ढिपनी तो बिल्कुल कुतुबमीनार की तरह खड़ी हो गई थी। फिर उसने मेरे मुंह मे एक कपड़ा ठूस दिया और मेरे जिस्म से खेलने लगा। वो मेरे चुचियों को मुँह में लेकर पीने लगा। तो जोर जोर से अपने हाथों में लेकर मसलने लगा। मेरे चुचियों पर हल्का दांतो से काट भी रहा था जिससे मुझे दर्द भी हो रहा था। और मेरे मुंह से दबी हुई सिसकारियां फुट रही थी। मेरा समूचा बदन ऐंठ रहा था।
और फिर वो मेरे मुंह से कपड़े निकाल दिया और मेरे पैरों के बीच चला गया। एक हाथ से मेरे चुचियों को पकड़ लिया। और दूसरे हाथ से अपना लंड पकड़ा और मेरे चूत पर रगड़ने लगा। क्या बताऊँ ये कैसा सुखद अनुभव था। मेरे मुँह से जोर जोर से सिसकारियां निकल रही थी। पूरा कमर मेरी सिसकारियों से गूंज रहा था। फिर वो अपने लंड को मेरे चूत पर किसी डंडे की तरह जोर जोर से पटकने लगा। मैं तो पागल हो गई। आहहहहहहहहहहहहहह आहहहहहहहहहहहहहहह बेबी की आवाज निकालने लगी। मैं होश खो बैठी थी। और फिर वो अपना लंड मेरी चूत के छेद पर रखा, और पूरी ताकत से जोर का झटका मारा मेरी तो चीखें निकल गई। वो तुरंत ही एक हाथ से मेरे मुंह को दबा दिया। उसका आधा लंड मेरे चूत में समा चुका था। और इसी के साथ मेरी वर्जिनिटी खत्म हो चुकी थी। मैं दर्द से कराह उठी थी। लेकिन मुकुंद निर्दयी की तरह अपना लंड मेरी चूत में घुसाए हुए था। मेरे चूत से खून रिस कर बिस्तर पर टपकने लगा था। उसने कहा कि क्या मैं लंड निकाल लूं। लेकिन मैंने कहा नहीं तुम थोड़ी देर बिना हिले ऐसे ही शांत रहो। थोड़ी देर बाद मुझे अच्छा महसूस हुआ। फिर थोड़ी देर रुकने के बाद मुकुंद आगे पीछे होने लगा। वह अब मेरे चूत को चोद रहा था। और तब मुझे भी दर्द भरी लेकिन बहुत अच्छा आनंद की अनुभूति होने लगी। और तब मैं भी नीचे से कमर को हिला, हिलाकर उसका साथ देने लगी। लेकिन तभी फिर से मुकुंद ने एक और जोरदार झटका मारा और कस के अपना लंड मेरी चुट9 में दबा दिया। मेरी तो जान ही निकल गई। उसका 8 इंच का बड़ा लंड समूचा मेरी चूत में समा चुका था। फिर थोड़ी देर रुकने के बाद वह चोदना शुरू किया। अब मुझे बहुत मजा आ रहा था। मैं लगातार सिसकारियां ले रही थी। और जोर-जोर से चीला रही थी। आहहहहहहहह हहहहहहह मुकुंद चोदो। चोदो मुझे। जोर-जोर से चोदो। फाड़ दो मेरी चूत मेरे राजा। आहहहहहहहह हहहहहहह मेरी जान। आई लव यू मुकुंद, आई लव यू। तुम बहुत अच्छा चोद रहे हो। चोदो मेरी चूत। फाड़ दो मेरी चूत को मेरे राजा। मैं तुम्हारे लंड की दीवानी हो गई। तुमने तो मुझे जन्नत का सैर करवा दिया। आज से तू ही मेरा सबकुछ है मेरा शेर। आहहहहहहहह हहहहहहह मेरे शेर चोदो मुझे। और इसी तरह हम आधे घंटे तक चुदाई करते रहे। वह लगातार मुझे जोर-जोर से चोद रहा था। इतने देर में मैं कई बार चरमसुख प्राप्त कर चुकी थी। मेरी चूत कई बार पानी छोड़ चुका था। और फिर मुकुंद की शरीर भी ऐंठने लगी। वह चिलाया दीदी मेरा लंड पानी छोड़ने वाला है। मैंने कहा मेरी चूत को अपना लंड का पानी पिला दे मेरे राजा। सारा पानी मेरी चूत में ही छोड़ दे। और इसी के साथ मुकुंद भी मेरे अंदर गर्म लावे का फव्वारा छोड़ दिया, वो भी झड़ चुका था। उसका लंड के गर्म पानी से मेरा चूत भर चुका था। फिर वह मेरे ऊपर लेट गया।
और इसी के साथ मेरी सहेलियों की तरह ही मेरा भी सीलबंद चूत भोंसड़ा बन चुका था।
यह एक अद्भुत एहसास था। इसी तरह मैंने अपना नया साल दो नए रिश्तों के साथ शुरू किया – एक अपने शरीर और दूसरा मुकुंद के साथ।
मेरी कहानी का अगला भाग जल्द ही आएगा। की कैसे मैं अपनी चूत की सील तुड़वाने के बाद अपनी गांड का उदघाटन किया।
मैं जल्द आप सब की चूत और लंड का पानी निकालने वाला कहानी लेकर आऊंगी। तब तक के लिए दीजिए इजाजत।
नोट–: इस कहानी में सभी नाम काल्पनिक है।
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मेरी अगली कहानी का शीर्षक है “प्रधान अध्यापक की चिकनी चूत”
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धन्यवाद।
आपसब अपना ख्याल रखिएगा। और अपना प्यार इसी तरह बनाए रखिएगा।
नमस्कार।
The End