ठुकाई के मज़े लो

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बाप शेर तो बेटा सवा शेर – ठुकाई के मज़े लो

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“अल्पेश ठाकुर पिछले चार साल से एक ही क्लास में पड़े हुए हो , तुम्हे शर्म नहीं आती ?” टीचर अल्पेश की शरारत से अब परेशां हो चुकी थी। पिछले चार साल से वह नोवी क्लास में ही था। १८ साल का अल्पेश अपने से काफी छोटी उम्र के बच्चो के साथ पड़ता था और काफी विचत्र किसम की शरारत किया करता था।

इस बार जानकी मैडम उसे कविता की स्कर्ट ऊपर करने के घिनोने इंजाम पर फटकार लगा रही थी।

“चलो जाओ अब बेशरम कही के , अपने पापा को कल स्कूल लेकर आना ”

जब अल्पेश घर पहुचा तो वह अपने पापा को ढूंढ रहा था , ऊपर वाले कमरे से उससे आवाज़े आई , “आह , उफ़ ! ठाकुर जी आज ठुकाई कर कर के मेरी फुददी लाल करदोगे आप। ”

अल्पेश ने दरवाज़े के छेद से कमरे के भीतर देखा , उसके पापा पड़ोस की बंगालन भाभी को कुत्तिया बनाकर कर चोद रहे थे। बंगालन भाभी की बड़ी चूचियों को हिलता देख कर अल्पेश का लंड तुरंत खड़ा होगया , उसने अपना स्कूल का बस्ता और पैंट दोनों गिरा दिया और मुठ मरने लगा। उसके पापा काफी ज़बरदस्त चुदाई कर रहे थे और वो नज़ारा देख कर अल्पेश का भी चुदाई करने का मन करने लगा।

अल्पेश ने अपने लंड को झड़या और फिर नीचे लिविंग रूम में जाकर बैठ गया। कुछ देर बाद उसके पापा के कमरे का दरवाज़ा खुला और बंगालन भाभी बहार निकली , अल्पेश को देख कर उसने पूछा , “ऑडी बाबा ! अल्पेश तुम कब आया स्कूल से ?”

अल्पेश ने बंगालन को मुस्कुराते हुए देखा और कहा , “जब कमरे से आवाज़ आ रही थी। ”

ये सुनकर अल्पेश के पापा बहुत गुस्सा हुए और उन्होंने अल्पेश को फटकार लगाई , “बतमीज़ , तेरी खाल उधेडू ?”

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Shaved

“अरे कोई बात नहीं ठाकुर जी , बच्चे को फटकार मत लगाओ। ”

जब बंगालन चली गई तो अल्पेश ने अपने पापा को बताया , “आपको कल मेरे स्कूल आना पड़ेगा। टीचर ने आपको बुलाया है। ”

“फिर कोई चूतियापा रचाया होगा आपने अपनी क्लास में। ”

“मेने कुछ नहीं किया। ”

“वो तो कल चलकर ही पता चलेगा अब। ”

अल्पेश के पापा , प्रतीक अजय ठाकुर काफी राईस थे और दिखने में गज़ब। छे फुट लम्बे , गोरा रंग और तानी हुई मुछे उनके व्यक्तित्व की बेहतरीन बाते थी। अगले दिन अल्पेश और ठाकुर दोनों उसकी टीचर से मिलने स्कूल गए , टीचर ने उन्हें वेटिंग एरिया में ही रुकने कहा था , इसीलिए दोनों चुप चाप बैठे हुए थे। जब टीचर उन्हें मिलने आई तो ठाकुर को देख वह दंग रह गई , “आप अल्पेश के पापा है ?”

“हाँ जी , मेरा नाम प्रतीक अजय ठाकुर। ”

टीचर ने मुस्कुराते हुए कहा , “अच्छा , आइये , अंदर चलकर बात करते है। तुम यही बैठो अल्पेश। ”

रचना टीचर अल्पेश के पापा को अप्ने केबिन में लेकर गई , “देखिये प्रतीक जी , अल्पेश अब कोई आम बदमाशी नहीं करता। कल उसने एक लड़की की स्कर्ट को ऊपर किया उसकी पैंटी देखने के लिए। ”

“ओह्ह !” ठाकुर ने काफी अफ़सोस ज़ाहिर किया इस बात को सुनकर।

“हम्म , मेरा मानना है की वह अब बच्चा नहीं रहा। उसे जूनियर कॉलेज में होना चाहिए , उसके हार्मोन उसे काफी उत्तेजित बना रहे है। आप समज रहे हो ना , मै क्या कहना चाहती हु ?”

“आप फ़िक्र मत करो टीचर जी , देखिये केसी खाल उदेहता हु उसकी घर जा कर। ”

“अरे प्रतीक जी वह मारने से नहीं समझने वाला। आप उसे होम स्कूल करने की सोचिये। ”

रचना मैडम आगे और कुछ बोलने ही वाली थी तब अचानक उनकी साड़ी का पल्लू गिर गया और ठाकुर की नज़र उनकी चूचियों पर पड़ी। रचना मैडम ने गौर किया किस तरह से ठाकुर उनकी चूचियों को घूर रहा था। उन्होंने , “हम्म ” करके ठाकुर को होश दिलाया , लेकिन ठाकुर अपनी नज़र वही गड़ाए बैठा था।

“प्रतीक जी मेरी आँखे यहाँ है। ”

“अपनी आँखों का में क्या करू टीचर जी जब आपके मुम्मे इतने ताज़े और फुले हुए है। ”

“क्या ?” रचना टीचर पूरी तरह से हैरान थी।

“रचना जी सही तो कह रहा हु , इतने रसीले मुम्मे लेकर आप स्कूल आओगे तो बच्चा तो बिगड़ेगा ही मेरा। उसके अंदर मेरा खून दौड़ रहा है। ”

“गेट आउट , निकलए यहाँ से आप। ”

“कहा जाये ?”

ठाकुर बस रचना की आखो में देखता रहा। रचना बहुत गुस्से से ठाकुर की आँखों में देख रही थी , लेकिन ठाकुर हवस भरी नज़रो से रचना की आखो में देख रहा था। फिर ठाकुर रचना के पास गया और उसकी तरफ झुककर उसने रचना को चुम लिया। उस पल रचना का रोम रोम जाग उठा , एक बिजली सी चल पड़ी उसके जिस्म में पर वह निष्क्रिय रही।

ठाकुर ने रचना के मुम्मो को ज़ोर से दबाया , दबाते दबाते ठाकुर उन्हें मसलने लगा और रचना की चीख निकल आई, “अहह!”

“मज़ा आ रहा है ना ?”

घबराई हुई आवाज़ में रचना ने जवाब दिया , “हाँ। ”

“घबराओ मत , मेरे होते तुम्हे इस शहर में घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है। ” ये कहते हुए ठाकुर ने रचना की साड़ी को खोलना शुरू किया। रचना के होठो को ठाकुर चूमते हुए चूस

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रहा था। फिर ठाकुर ने रचना को टेबल पर लेटा दिया और अपनी पैंट को खोला , ठाकुर का मस्त लम्बा लंड देख रचना हैरान थी। उसने पहले कभी इतना बढ़िया लंड नहीं देखा था।

रचना अपनी साड़ी को ऊपर खिसकाने लगी लालसा में , उससे आगे आने वाले आनंद का आभास हो चूका था। ठाकुर पास आया अपना तना लंड लेकर और रचना की गांड दबाते हुए उसने रचना को अपने पास खींचा और फिर उसका ब्लाउज खोल दिया , रचना के बड़े बड़े मुम्मे काफी हिल रहे थे तब ठाकुर ने अपनी उंगलिया रचना की गीली चुत पर चलाई। जिसे चुत और पानी छोड़ने लगी और रचना की पैंटी पूरी तरह से गीली होगई। रचना बस अपने होतो को दबाए इंतज़ार में थी , तब अचानक ठाकुर ने उसकी पैंटी को बस हलके से खिसकाया और अपना लंड रगड़कर रचना की चुत में डाल दिया।

रचना ज़ोर से चीखी , “आह्ह!” लेकिन ठाकुर चुत की खुमारी में खोया मस्त रचना को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। रचना भी मदहोश थी और ठाकुर ने उसकी मस्त चुदाई की। जब चुदाई पूरी हुई और दोनों केबिन के बहार आये थो वह हैरान थे क्युकी सभी टीचर्स बहार खड़े हुए थे , ज़ाहिर है अल्पेश भी। सभी लोग खुसपुसा रहे थे उन्हें देख कर , लेकिन रचना वहा से बिना कुछ कहे चली गई और ठाकुर भी अल्पेश को लेकर चला गया।

जैसे ही बाप बेटा घर पहुचे तो अल्पेश अपना बैग फेकर घर से बहार चला गया। ठाकुर ने उससे गुस्से से रोकने की कोशिश की लेकिन वह रुका नहीं और फिर ठाकुर शराब की बोतल लेकर बैठ गया।

अप्लेश रोष में सीधे बंगालन के घर गया और उसका दरवाज़ा खटखटाने लगा , “आ रही हु बाबा , इतनी ज़ोर से दरवाज़ा कौन पीठ रहा है। ”

जब दरवाज़ा खोलने के बाद उसने अल्पेश को बहार देखा तो उसने अल्पेश से पूछा , “अरे तुम इस वक़्त यहाँ ? पापा की तबयत ठीक है ना ?”

अल्पेश बिना कुछ कहे अंदर चला गया , घर के भीतर बंगालन की अमेरिका से लोटी बेटी बैठी थी। अल्पेश अंदर वाले कमरे में गया और बंगालन उसका पीछा करते हुए कमरे में गई , “क्या पगला गया है ? बताता क्यों नहीं हुआ क्या है। ”

“आप जो पापा के साथ करती हो , आज मेरे साथ भी करो। ”

बंगालन पूरी तरह से हैरान थी , “साले कुत्ते , तेरे पापा को ये बात बतादि तो तेरी खाल उतार देंगे। ”

“पापा को कुछ पता नहीं चलेगा , अगर आपने मेरी बात नहीं मानी तो आपकी बेटी को सबकुछ बता दूंगा। ”

“क्या बोल रहा है तू ? नशा करके आया है क्या ?”

बंगालन की बेटी कमरे में आई , “माँ सब ठीक है ? कौन है ये लड़का ?”

“तू परेशां मत हो बेटी , ये हमारे पडोसी का बेटा है , बस उसके पापा से उसकी अनबन हुई तो हमारे यहाँ चला आया। तू जा आरामसे टीवी देख बहार। ”

जब बंगालन की बेटी बहार गई तो बंगालन ने कमरा बंद किया और अपनी साडी खोलने लगी , “कभी चोदा है किसी को ? में पहली हु तेरे लिए?”

“मुझे आपसे ओपनिंग करनी है , आपकी चूचिया मुझे बहुत पसंद है। गोरी गोरी , बढ़िया , क्या मस्त हिलती है जब पापा आपकी पीछे से लेते है। ”

“”साला कमीना मुझे पता था तू हमे देखता था। चल अब अपनी पैंट खोल। ”

फिर अल्पेश ने अपनी पैंट खोलकर अपना लंड बहार निकला , अल्पेश का लंड देख कर बंगालन हिल गई , “साला तेरा तो तेरे बाप से ज़्यादा लम्बा है। ”

“तो आकर चुसू अब जैसे पापा का चुस्ती हो आप। ”

बंगालन ने अपने बाल पीछे बंदे और अपनी बिखरी साड़ी के साथ अल्पेश का लंड चूसने लगी। बंगालन लंड चूसने में माहिर थी , लंड पूरा अंदर लेकर बंगालन अपनी जीब उसके लंड पर घुमा रही थी। अल्पेश तो पूरी तरह हिल चूका था , उसने अपनी ज़िन्दगी में इतना मज़ा नहीं उठाया था। मुठ मरने में तो बस आधी अधूरी ख़ुशी थी।

बंगालन तो चुदाई में माहिर थी , वह अल्पेश के लम्बे और जवान लंड का पूरा फायदा उठाने वाली थी। लंड चुसाई के बाद उसने अल्पेश से कहा , “चल बाबू , अब तेरी बारी, जैसे मेने तेरा लंड चूसा है तुजे मेरी चुत चाटनी होगी। ”

अल्पेश पूरी तरह तयार था हर वो बात मानने जो बंगालन चाहती थी , अपनी गीली पैंटी बंगालन ने निकाली और बिस्तर पर लेटकर अपनी टैंगो को फेलाडिया।

उसकी गीली चुत का रस अल्पेश के बड़े लंड की आशा में झांगो पर बह रहा था। अल्पेश ने रस की चटाई झांगो से शुरू की और बंगालन को मज़ा आने लगा , “उफ़ ! चुत चटाई का पूरा मज़ा दे बाबू ,तेरा बाप मेरी चुत को बस ठोकता है चाटता नहीं। ”

अल्पेश तो पहले बंगालन की चुत की महक में खो गया और फिर उसका मीठा रस चूसने लगा। बंगालन तो ज़ोर ज़ोर करहाने लगी , “आह आह !” जब मज़ा चरम तक पहुँच रहा था अल्पेश से अचानक अपना लंड उसकी गीली गरम चुत में डाल दिया , “उदीबाबा !” बंगालन ज़ोर से चीलाई। ”

अल्पेश बंगालन को बेसबर कुत्ते की तरह चोदने लगा , उसका लंड बंगालन को अंदर तक हिट कर रहा था , ऐसा मज़ा बंगालन को पहले किसी लंड ने नहीं दिया था। ज़बरदस्त चुदाई की अल्पेश ने बंगालन की , और लंड उसकी चुत के अंदर झडा दिया।

“”अरे बेसबर कुत्ते लंड की मलाई मेरी चुत में क्यों निकाल्दी ?”

सॉरी कह कर अल्पेश अपनी पैंट पहनकर कमरे से बहार निकला , बंगालन की बेटी दरवाज़े के बहार ही टेहरी थी।

“क्या कर रहे थे तुम मेरी माँ के साथ अंदर ?”

“मैं? कुछ नहीं , बस उन्हें अपने पापा के बारे में कुछ बाते बतानी थी। आंटी मुझे अच्छे से समझती है ना। ”

“बकवास मत करो तुम , मेने सबकुछ सुना है। ”

बंगालन की बेटी ने झट से दरवाजा बंद करके कुण्डी लगा दी और बंगालन को कमरे में बंद कर दिया। “चलो अब जो मेरी माँ के साथ किया है तुमने वो मेरे साथ भी करो। ”

अल्पेश पूरी तरह से हैरान था ये बात सुनकर। “क्या ?”

बंगालन की बेटी ने अपनी टीशर्ट को उठा कर अपनी चूचियों के दर्शन दिए अल्पेश को। उसकी चूचिया लटकी हुई नहीं थी जैसे बंगालन की थी , निप्पल भूरे रंग के काफी सख्त हो चुके थे।

“चुसो इन्हे” , लड़की ने अल्पेश से कहा।

अप्लेश का लंड दोबारा पूरी तरह से खड़ा हो चूका था और वह बंगालन की बेटी पर टूट पड़ा। अल्पेश सोफे पर बैठा था और लड़की उसके बड़े लंड के मज़े उछाल उछाल कर ले रही थी। बंगालन भीतर से दरवाज़ा खटखटाते हुए बोल रही थी , “अल्पेश कमीने , मेरी बेटी की चुत के अंदर भी मत झड़जाना। ”

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मेरी अगली कहानी का शीर्षक है “लेडीज स्पेसलिस्ट

तो आप सब अपना ख्याल रखिएगा। कोविड का सिचुएशन है तो अपना विशेष ख्याल रखिएगा।  नमस्कार।

धन्यवाद।

The End

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