अनाड़ी पति
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मेरे अनाड़ी पति ने सुहागरात पर खूब मारी मेरी गांड़
मेरा मन कर रहा था मैं अभी आदि का गला दबाकर जान से मार दूँ। साला मेरी सुहागरात का सत्यानाश कर चुका था। 2, 3 मिनट बाद मैं उसे ऊपर से हटाई और बगल में लेटा दी। और अपने गांड़ से बह रहे उसके वीर्य को कपड़े से साफ की और फिर लाइट ऑन कर दी। अब मैं बेशर्म हो चुकी थी। तभी मैं उठी और नंगे ही बाथरूम में जाने लगी आदि आंखे फाड़कर मुझे देख रहा था। मुझे बहुत गुस्सा आया था मैं बाथरूम में जाकर अंदर से कुंडी लगा दी। और कमोड पर बैठकर चुत को रगड़ने लगी। मेरी फूटी किस्मत थी कि सुहागरात को मुझे चुत की आग चुत को रगड़कर बुझानी पड़ रही थी। मैं करीब 10 मिनट तक अपनी चुत रगड़ी। और चुत का पानी निकालकर वपज़ आई तो देखी आदि मुझे देखकर होंठो पर जीभ फिरा रहा है।
कैसे हो मेरे चुदक्कड़ दोस्तों। तुम्हारे चुत और लन्ड का क्या हाल है?
https://nightqueenstories.com के सभी पाठकों और मेरे दोस्तों को मेरा प्यार भरा नमस्कार।
दोस्तों मेरा नाम निहारिका है। मैं 23 साल की हूँ। 3 महीने पहले मेरी शादी हुई है। वैसे तो मैं बहुत चुदक्कड़ किस्म की हूँ। और अभी तक 7 लन्ड खा चुकी हूँ जिसमें 16 साल के जवान से लेकर 58 साल का बूढ़ा लन्ड भी शामिल है।
मैं दिल्ली की हूँ और एक अमीर बाप की बेटी हूँ। ये कहानी इंटरनेट की दुनिया की पहली ऐसी कहानी है। जो और कहीं नहीं है। तो मजा लीजिए मेरी असली अजीब चुदाई की कहानी का।
दरअसल यह घटना मेरी सुहागरात की है। जो एक चुदक्कड़ पत्नी को अनाड़ी हस्बैंड मिल गया। मेरी शादी अरेंज मैरिज हुई है। जिससे मेरी शादी हुई है वो मेरे पापा का दोस्त का बेटा है। उसका नाम आदित्य है। है तो वह मेरे ही उम्र का लेकिन शादी से पहले वह चुदाई कभी नही किया था। और मैं एक नम्बर की चुदक्कड़ थी जो 14 साल की उम्र से चुत फड़वा के भोसड़ा बनवा ली थी।
दरअसल मेरी शादी बहुत जल्दबाजी में हुई थी। मेरे हस्बैंड के पिताजी का तबियत अक्सर खराब रहता था इस कारण 22 साल के उम्र में ही आदित्य को बिजनेस संभालना पड़ा। उसके पिताजी अब धीरे धीरे बिजनेस आदित्य को सौप रहे थे। तो एक दिन मेरे पापा और सीद अंकल (आदित्य के पिताजी) मिले तो सीद अंकल मेरे पापा से दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने को बोले और मेरे और आदित्य की शादी की बात चल गई। दोनो बहुत खुश हुए और हमारी शादी तय हो गई। वेसे तो हमारी फैमिली बहुत क्लोज थी। और मैं भी आदित्य से कई बार मिल चुकी थी। लेकिन हमारे बीच कभी नैन मटका वाली बात नही हुई। और मैं तो आदित्य को बच्चा समझती थी। क्योंकि मुझे 14 साल से ही बड़े उम्र के लड़को में इंटरेस्ट हो गया था और मैं चुदाई करने लगी थी।
मैं पहली बार जब चुदी थी तो मेरी उम्र मात्र 14 साल 2 महीने 3 दिन था। और जिसके लन्ड से मैं सील तुड़वाई थी वो मेरी सहेली का बड़ा भाई था। जिसका नाम प्रत्यूष था तब वो 21 साल का था। दरअसल मैं अपने सहेली के जन्मदिन पर उसके घर गई हुई थी। और पूरी रात की पार्टी थी। रात के 12 बजे तक तो सभी लोग जा चुके थे। और मेरा पहले से प्लान वहाँ रुकने का था तो मैं वही रुक गई।
और मैं और मेरी सहेली और उसका भाई सबके जाने के बाद भी मस्ती करते रहे। उसके मॉम डैड सो चुके थे और हमतीनों मेरी सहेली के कमरे में ही थे। और फिर हमलोग एक ही बेड पर सो गए।
दोस्तों मैं 14 साल की जरूर थी लेकिन मुझे सेक्स के बारे में पता था। क्योंकि मैं दिल्ली की हूँ वो भी मारवाड़ी खानदान से जहां लडकिया 10 साल की उम्र में जवान हो जाती हैं। और 15 साल के होते होते अपने घर के चौकीदार, ड्राइवर या किसी स्कूल फ्रेंड से चुदवा ही लेती हैं।
तो फाइनली हम सो गए। और मैं बीच मे सो रही थी।
और रात को प्रत्यूष ने मेरी चुदाई कर दी। और उस दिन से चुदाई का चस्का मुझे लग गया था। वो मैं किसी और कहानी में बताऊंगी की कैसे 14 साल की उम्र में मैं पहली बार चुदी। और कैसे प्रत्यूष ने मेरी चुत की सील तोड़ी।
मेरे हस्बैंड ने शादी की फर्स्ट नाईट को कैसे मेरी चुत की जगह गांड़ मार लिए
तो दोस्तों फाइनली हमारी शादी तय हो गई। चूंकि शादी जल्दबाजी में होनी थी। तो दूसरे दिन ही आदित्य के मॉम डैड हमारे घर रिश्ता लेकर आ गए। आदित्य भी साथ आया हुआ था। वह कोट पैंट में बहुत प्यारा लग रहा था। मुझसे भी इस रिश्ते के बारे में पूछा गया तो मैं भी हाँ ही कर दी। क्योंकि शादी तो आखिर एक अमीर घर मे ही हो रहा था। और मेरा कोई अभी वैसा बॉयफ्रेंड था नही जिसके लिए मैं मना करती। मैं तो ऐसे भी नए- नए लन्ड की शौकीन हो चुकी थी तो सोची चलो अब एक दोस्त का ही लन्ड मिलेगा।
हमारी बातचीत अब होने लगी थी। कॉल पर अक्सर हम बात करते थे। आदित्य रोमांटिक बातें तो करता था लेकिन मैं तो मैं इंतजार करती थी कि आदित्य सेक्सी बातें करें। लेकिन ऐसा होता नही था। हम अब रात को देर रात तक बातें करते थे। मुझे तो बिल्कुल नही पसन्द था इतनी देर बातें करना लेकिन आदित्य के खुशी के लिए मैं करती थी। हम अब अक्सर मिलते साथ घूमते लेकिन कभी फिजिकल नही हुए। और 1 महीने के अंदर ही हमारी शादी हो गई।
विदाई के दूसरे दिन ही हमारी 12 दिन का थाईलैंड और मालदीव का हनीमून का ट्रिप था। लेकिन सुहागरात तो घर मे ही होनी थी। आदित्य का भी बहुत बड़ा घर था। बल्कि कहिए कि आलीशान महल था। आदित्य माँ बाप का इकलौता संतान था लेकिन फिर भी इतना बड़ा घर था। 4 मंजिल के इस घर मे आदित्य फर्स्ट फ्लोर पर रहता था। ग्राउंड फ्लोर में उसके माँ डैड रहते थे। तो हमारी सुहागरात की बेड और कमरा ऐसे सजा हुआ था जैसे कोई राजा अपनी शादी कर रानी को घर लाया है।
पूरा कमरा गुलाब की फूलों और गुलाब की पंखुड़ियों से महक रहा था। बिस्तर तो दिख ही नही रहा था बस गुलाब ही गुलाब। आदित्य जब कमरे में आया तो मैं बिस्तर पर शर्मीली दुल्हन की तरह उसका इंतजार कर रही थी। वो अलग बात था कि ये सिर्फ दिखावा ही था। मैं तो किसी रंडी की तरह आदित्य का लन्ड से चुदने का इंतजार कर रही थी
आदित्य आते ही मेरा घूंघट उठाया और मैं शर्माते हुए एक कातिल मुस्कान के साथ उसे देखी और फिर किसी मासूम सीधी सादी लड़की की तरह नजरें नीची कर ली।
वह मेरे गले मे एक सोने का चेन पहनाया और फिर एक करोड़ो की हीरे का हार पहनाया। मैं यह देखकर बहुत खुश हो गई। जो भी शुरुआत तो बहुत अच्छी थी उसे एक लड़की की कद्र करना आता था। सो मुझसे रहा नही गया और मैं उसे बाहों में भर ली और आई लव यू आदि बोली। वह भी बिना देर आई लव यु टू माय हार्टबीट बोला।
हम 2 मिनट ऐसे ही गले से लगे रहे। फिर वह मेरे गले पर किस करने लगा। लेकिन मैं ना चाहते हुए भी खुद को रोकी और एक कुँवारी होने का एहसास उसे दिलाना चाहा इसलिए मैं आहिस्ता से काम लेना चाहती थी। अब वह मेरे होंठो पर आया और अपना होंठ मेरे होंठो पर रख दिया। उसकी गर्म सांसे जब मुझसे टकराई तो मैं मोम की तरह पिघलने लगी। थोड़ी देर मैं उसे अपनी होंठो का रसपान करने दी फिर मैं भी आहिस्ता आहिस्ता उसका साथ देने लगी।
वह भले कभी चुत नही चोदा था लेकिन वह प्यार करने जानता था। सो वह धीरे से अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दिया तो मैं चूसने लगी। उसे बहुत अच्छा लग रहा था तो वह मजे लेते रहा। फिर वह मेरे जीभ को अपने मुँह में लेना चाहा मैं समझ गई वो क्या चाहता है तो मैं भी अपना जीभ धीरे से उसके मुँह में डाल दी। वह अब अच्छे से मेरे जीभ को चूसने लगा। दोस्तों मैं तो पहले से चुदासी थी उसकी इस हरकत ने मेरे अंदर चुदाई का उफान मचा दिया था। लेकिन मैं खुद को काबू में कर रखी थी। फिर वह मेरे चुचियों को मसलने लगा अब मैं और पागल होने लगी। तभी मुझे लगा मुझे अपनी ज्वेलरी उतार देनी चाहिए। तो मैं एक एक कर सारे ज्वेलरी उतार दी। हलाक़े आदित्य ने भी ज्वेलरी उतारने में मदद किया। लेकिन अब वह भी काफी हॉर्नी हो चुका था।
सो वह मेरे साड़ी के पल्लू को हटाया और मेरे ब्लाउज को उतार कर दूसरे तरफ उछाल कर फेंक दिया। फिर वह मेरे लाल रंग के ब्रा को उतारा और मेरे चुचियों को मुंह मे लेकर पीने लगा मैं भी उसके सर को सहलाकर उसका हौसलाअफजाई कर रही थी। लेकिन मैं अपनी सिसकारियों को दबा रखी थी। हाँ ना चाहते हुए भी कभी कभार मेरे मुख से सससीईईईई…. सीसीसीसीईईईईई….. आहहहहहहहहहहहहहहहहह….. की आवाज निकल जा रही थी।
फिर वह मेरे साड़ी को अलग कर दिया और मेरी पेटीकोट को भी निकाल दिया अब मैं सिर्फ पैंटी में थी। और तभी वह अपना बनियान भी उतार दिया।
फिर वह मुझे लेटा दिया। और अपनी कपड़े उतारने लगा वह अब बनियान और अंडरवियर में हो चुका था फिर वह मेरे पैंटी के ऊपर से चुत को रगड़ने लगा। दोस्तों उसका हाथ चुत पर जाते ही मैं उछल गई और उसे अपने बाहों में भर ली और उसे किस कर दी। और जकड़ ली। लेकिन उसका हाथ नीचे ही रहा बल्कि वह अब मेरे पैंटी में हाथ डाल दिया। और मेरी गीली चुत पर जैसे ही उसका हाथ गया। मुझे लगा जैसे मेरे नसों में आग दौड़ गई हो। चुकी मैं पिछले एक महीने से नही चुदी थी। क्योंकि मैं चुदाई का मजा जानती थी। इसीलिए मैं अपनी सुहागरात को स्पेशल बनाने के लियर पिछले एक महीने से चुदाई से खुद को दूर कर ली और सिर्फ मुठ मार के उंगलियो से ही काम चला रही थी।
तभी आदि फिर से नीचे गया और मेरी पैंटी उतारने लगा ऐसा करते देख मैं हाथ बढ़ाकर लाइट ऑफ कर दी। अब कमरे में अंधेरा हो गया। तो आदि बोला स्वीटहार्ट लाइट क्यों ऑफ कर दी ऑन करो। तो मैं बोली बेबी मुझे शर्म आ रही प्लीज ऑफ रहने दो। और अंदर ही अंदर मैं हंस भी रही थी कि मैं कितना अच्छा नाटक कर लेती हूँ। तो फिर आदि भी जिद नही किया और वह मेरे पैंटी को निकाल कर अलग कर दिया। और मेरे चुत पर अपना मुँह रख दिया। मैं उसके सर को पकड़कर जोर से दबा दी। तो वह जोर जोर से मेरी चुत चाटने लगा। इस दौरान वह भी पूरा नंगा हो चुका था।
आदि मेरे गांड़ के नीचे तकिया लगाकर दोनो पैरो को घुटनों से मोड़ चुचियों पर सटाकर अपना लन्ड एक झटके में मेरे गांड़ में घुसेड़ दिया
फिर वह सीधा हुआ और मेरे गांड़ के नीचे तकिया लगाया। मैं बहुत खुश थी कि वह चुदाई करने जानता है। और फिर वह मेरे दोनों पैरों को ऊपर किया और बिल्कुल मेरी चुचियों से सटा दिया और हाथ से मेरी चुत को टटोला और फिर अपना लन्ड पकड़कर मेरी गांड़ पर लगा दिया मैं थोड़ा हिली की यह तो चुत के बजाए गांड़ पर लन्ड लगा दिया। लेकिन उसे लगा कि शायद मेरा पहली बार है इसलिए दर्द हो रहा हो। और फिर वह धक्का मारा तो उसका आधा लन्ड आसानी से मेरे गांड़ में घुस गया।
और इसी के साथ मेरे अनाड़ी पतिदेव चुत समझ के मेरे गांड़ में अपना लन्ड उतार दिया। मैं तो एक पल केलिए समझ नही पाई की यह क्या हो रहा है आदि ने ऐसा क्यों किया। इसका एक और कारण था। तकिया की वजह से मेरी गांड़ की छेद काफी ऊपर आ गई थी। और मेरी पैर बिल्कुल मेरे चुचियों से सटे हुए थे इस कारण भी वो सही अंदाजा नही लगा पाया था और चुत की जगह मेरी गांड़ मार लिया था। तभी वह दूसरा झटका मारा और उसका समूचा लन्ड मेरी गांड़ में समा गया।
चुकी मैं तो हजारों बार अपनी गांड़ भी मरवा चुकी थी। इसलिए मैं फूल एक्सपीरियंस थी और मेरी गांड़ भी फैल चुकी थी। लेकिन गांड़ चुत की तरह लूज नही हुई थी। और मैं पिछले एक महीने से नही चुदी थी इस कारण भी मेरी गांड़ आदि को टाइट लग रही थी। और तभी मैं दर्द होने का नाटक की। और थोड़ा चीखते हुए बोली बेबी मुझे बहुत दर्द हो रहा निकाल लो। तो आदि मेरे कानों के पास मुँह लाकर बोला हनी तुम्हारी चुत बिल्कुल टाइट है।
तब मुझे यकीन हो गया कि यह तो बिल्कुल अनाड़ी है और मेरी चुत समझ कर मेरी गांड़ मार रहा है। लेकिन मैं कुछ नही बोली। और वह मेरी गांड़ मारने लगा। मैं अंदर ही अंदर हंस रही थी कि इसे गांड़ और चुत में फर्क नही समझ आया।
मैं नही चाहती थी कि उसे पता चले कि वह चुत नही मेरी गांड़ मार रहा है
अब वह जोर जोर से चोदने लगा तो मैं भी दिखावे के लिए सससीईईईई…. सीसीसीसीईईईईई….. आहहहहहहहहहहहहहहहहह…..
आहहहहहहहहहहहहहहहहह… आहहहहहहहहहहहहहहहहह…..
आहहहहहहहहहहहहहहहहह… सससीईईईई…. सीसीसीसीईईईईई….. सससीईईईई…. सीसीसीसीईईईईई….. करने लगी
खैर उसकी गांड़ मारने में भी मुझे मजा आ रहा था। क्योंकि उसका लन्ड अंदर से मेरी चुत के दीवारों पर ठोकर मार रहा था। मैं अपनी चुत सहलाना चाहती थी ताकि मैं अपनी चुत की आग शांत कर सकूं लेकिन आदि मुझपर लेटा हुआ था। 5, 7 मिनट ऐसे ही मेरी गांड़ मारने के बाद आदि सीधा हुआ और बैठकर चोदने लगा। तब मुझे एक आईडिया सुझा और मैं उसके दोनो हाथों को पकड़कर अपनी चुचियों पर रखी वह चुचियों को मसलने लगा। मैं चाहती थी कि उसे ना पता चले कि वह चुत नही गांड़ मार रहा है। और फिर मैं अपनी चुत जोर जोर से रगड़ने लगी। चुकी चुदाई को 5,7 मिनट हो चुके थे तो मुझे डर था आदि कही जल्दी ना झड़ जाए। इसलिए मैं खूब तेजी से चुत रगड़ने लगी। लेकिन कुछ देर बाद ही आदि का रफ्तार तेज हो गया। हालांकि मैं भी झड़ने ही वाली थी इसलिए मैं विनती करने लगी कि थोड़ा लेट हो। लेकिन आदि थोड़ा जल्दी झड़ गया। और मेरी चुत गर्म का गर्म ही रह गया। और आदि मुझपर लुढ़क गया।
मेरा मन कर रहा था मैं अभी आदि का गला दबाकर जान से मार दूँ। साला मेरी सुहागरात का सत्यानाश कर चुका था। 2, 3 मिनट बाद मैं उसे ऊपर से हटाई और बगल में लेटा दी। और अपने गांड़ से बह रहे उसके वीर्य को कपड़े से साफ की और फिर लाइट ऑन कर दी। अब मैं बेशर्म हो चुकी थी। तभी मैं उठी और नंगे ही बाथरूम में जाने लगी आदि आंखे फाड़कर मुझे देख रहा था। मुझे बहुत गुस्सा आया था मैं बाथरूम में जाकर अंदर से कुंडी लगा दी। और कमोड पर बैठकर चुत को रगड़ने लगी। मेरी फूटी किस्मत थी कि सुहागरात को मुझे चुत की आग चुत को रगड़कर बुझानी पड़ रही थी। मैं करीब 10 मिनट तक अपनी चुत रगड़ी। और चुत का पानी निकालकर वपज़ आई तो देखी आदि मुझे देखकर होंठो पर जीभ फिरा रहा है।
दोस्तों उसके आगे क्या हुआ यह मैं किसी और कहानी में बताऊंगी। और फिर कैसे मैं अपने अनाड़ी पति को चोदने सिखाई यह भी बताऊंगी।
तो दोस्तों मेरी सुहागरात पर मेरी गांड़ की चुदाई कैसी लगी। कहानी में आपको सबसे अच्छा क्या लगा यह कमेंट कर बताना। आपकी कमेंट ही तय करेंगे कि आगे की बातें मैं कितनी जल्दी आपके समक्ष लेकर आऊं। और कहानी को लाइक शेयर करना मत भूलना।
हमें उम्मीद है कि आपको हमारी कहानियाँ पसंद आयी होगी और हम आपको बेहतरीन सेक्स कहानियां प्रदान करना जारी रखेंगे ।
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