बस स्टैंड में जमकर चुदाई

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पहली नौकरी के पहले बस स्टैण्ड में जमकर चुदाई

हैलो दोस्तों,

मेरा नाम श्रेया पाण्डे है और मैं लुधियाना की रहने वाली हूँ। मैं खाते- पीते घर की एक लम्बी चौड़ी पंजाबन लड़की हूँ। मेरा गोरा चिट्टा शरीर, लम्बे बाल, खूबसूरत आँखे और भरा पूरा शरीर किसी हिरोइन से कम नही है। स्कूल से लेकर कालेज तक लड़के मेरे पीछे लट्टू की तरह पड़े रहते थे। मेरी खूबसूरती का आलम यह था कि मेरे जवानी में कदम ऱखने से पहले ही मेरे शरीर का भोग मेरे रिश्तेदारों ने ही किया। जब मैं 10 साल की रही होंगी तब से मेरा चाचा मेरे चूँचे दबा दबा कर मजे लेता था, मैने विरोध किया तो उसने कहा, मैं तो बच्ची को खिला रहा हूँ। वह आज तक मेरे चूचें दबाता है और उसका हाथ तो अब मेरी चूत में भी जाता है। पहले मुझे कुछ नही होता था, पर अब मजा आने लगा है, वो मुझे खूब गर्म कर देता है, इसके बाद मैं किसी चुदवा लेती हूँ, ताकि चूत की गर्मी ठण्डी हो सके।

मेंरे बड़े- बड़े चूचे किसी के मूहँ में भी पानी ला सकते है और इनके पीछे हाथ है मेरे चाचा जी का। वह अक्सर मेरे घर आया जाया करता है। अब मैं घऱ में नहीं रहती हूँ, नौकरी के सिलसिलें में मैने चण्डीगढ रहना शुरू कर दिया। मैं एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने लगी हूँ।

आज मैं अपनी लाइफ की एक पर्सनल कहानी आप सब के साथ शेयर करने जा रही हूँ, ये बात मैने आज तक किसी को बताई नहीं है। जब मेरी नौकरी लगने की खबर मुझे ईमेल से पता चली तो मैं बहुत खुश हुई और चंड़ीगढ़ जाने की तैयारियाँ करने लगी। मैने बस से जाना उचित समझा और एक एसी बस की टिकट बुक करा ली। मम्मी- पापा तो बस स्टैण्ड तक छोड़ने आये थे, मगर उसके बाद मुझे अकेले ही सफर करना था और अकेले ही रहना था। मैने एक कमरा भी सेक्टर-42 में अपने भाई से बोलकर रेन्ट पर ले लिया था।

अब मैं लुधियाना बस स्टैण्ड से रात 9 बजे बस से चलती है। सौभाग्य से मुझे विन्डो सीट मिल गयी थी। बस चलने के 15 मिनट बाद मेरे बगल साथ वाली सीट पर एक नौजवान लड़का आकर बैठता है, उसकी उम्र रही होगी यही कोई 28 साल। मेरे बगल में बैठते ही उसने मुझसे मेरा नाम पूछा, पहले तो मैं हिचकिचाई फिर सोचा बता ही देती हूँ। नाम बताने के बाद ही वह मुझसे बाते करने लगा साथ ही बीच बीच में मेरी लारीफ कर देता जिससे मेरे चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान आ जाती थी। उसने अपना नाम आदित्य बताया था, वह हट्टा कट्टा लड़का बातूनी था, बाते करते करते रात के 12 बज चुके थे, बस के सभी यात्री सो गये थे, मुझे भी नींद आ रही थी। अब बाते बंद हो चुकी थी। वह लड़का चुपचाप बैठ था।

उसका बाया हाथ मेरी चूचियों से छू रहा था, जिससे शरीर में सिरहन दौड़ रही थी और वह लड़का भी एक्सटाइटेड हो रहा था। मेरे विरोध न करने पर, कुछ देर बाद उसने अपना हाथ मेरे सिर के पीछे से घुमाकर मेरे कंधे पर रखा और दूसरी चूंची जोर जोर से दबाने लगा। मुझे अच्छा लग रहा था और मैं मजे लेना चाहती थी तो मैने कुछ नही कहा और अपने बालों से उसका हाथ और अपनी चूंची को ढक दिया। कुछ देर बाद उसने मेरी टी-शर्ट के अंदर हाथ डाल दिया और मेरी दोनो चूचिंया बारी-बारी से मसलने लगा। मैं हद से ज्यादा गर्म हो चुकी थी। उत्तेजना में मैने उसके लण्ड के उपर हाथ रखा। वह काफी बड़ा लग रहा था। मैं भी उसके लण्ड को बाहर से सहलाने लगी थी। दोनो लोग चलती बस मे मजे ले रहे थे।

लड़का बड़ा ही हरामी टाइप का था, उसने अपनी चेन खोली और लण्ड चूसने को बोला। मैने आजतक कभी किसी का लण्ड नही चूसा था, पर उसने कई बार कहा और वह मुझे गर्म भी कर रहा था जिससे मैने उसके लण्ड चूसने का मन बना लिया। जब मैने उसका लण्ड अण्डरवियर से बाहर निकाला मैं तो चौक गयी। उसका लण्ड लगभग 7 इंच बड़ा होगा और काफी मोटा था। मैने बहुत से लण्ड अपनी चूत में लिये हैं पर ऐसा लण्ड मैने पहली बार देखा जो आगे से थोड़ा टेढ़ा हो। मैने स्कर्ट और टाॅप पहनी थी। आदित्य ने अब टाँप से हाथ निकाला और मेरी प्यारी चूत को सेहलाने लगा। जैसे ही उसने मेरी चूत में हाथ रखा मेरे शरीर में करंट दौड़ गया और मैने जोश में उसका लण्ड मुँह में ले लिया। आदित्य ने अपना पिट्ठू बैंग से आड़ कर रखी थी जिससे बगल की सीट वाली फैमिली हमें देख न पाये।

मैं मन ही मन सोंच रही थी कि मैं लण्ड तो चूस रही हूँ पर मैं इस चलती बस में चुद तो पांउगी नही। सारा मजा आदित्य ही लेकर निकल जाएगा। तो मैने आदित्य से कहा, तुम मुझे चोदने का कोई जुगाड करो। इस पर आदित्य ने कहा, यह बसे में नही हो सकता है, हम बस से उतरने के बाद देखेगे। रात के 2 बज चुके थे और बस चण्डीढ पहुचने ही वाली थी, तो मैने उसके लण्ड को जोर से दबाते हुए कहा, मुझे चोदने का कोई जुगाड़ सोच लों नही तो मैं पुलिस को सब कुछ बता दूगीं।

थोड़ी ही देऱ हम चण्डीगढ बस स्टैण्ड पहुँच गये। रात का समय था तो वहाँ ज्यादा भीड़ नहीं थी। मैं एक किनारे खड़ी हुई तो आदित्य मेरे हाथ पकड़कर घसीटते हुए बाथरूम ले गया जो किनारे बना हुआ था और दरवाजा अंदर से बंद कर मुझे पागलों की तरह चूमने लगा। उसका लिया हुआ किस आज तक मुझे याद है, क्योंकि वह बहुत जबरजस्त चुंबन था जैसा फिल्मों में होता है। वह किस करने में बेहतरीन खिलाड़ी था।  इस बीच किसी ने दरवाजा खटखटाया और आवाज आई, भाई जल्दी निकलों जोरो की लगी है।

हमने उस बात पर ध्यान नही दिया और चूमना जारी रखा। वह किस करते हुए मेरे होठों से मेरे गले फिर चूचियों तक पहुच गया था और मुझे पागल किये जा रहा था। और अब उसने मेरी स्कर्ट उठाई और चूत पर हमला कर दिया। मैं उसके सिर के बाल जोर से पकडे हुए थी और वो मेरी चूत चबाये जा रहा था। मेरे शरीर में जैसे चीटियाँ दौड़ रही थी और मैं अपने होश में नहीं थी। मैने एक जोर का झटका मारकर उसे मेरी चूत से अलग किया और उसकी पैण्ट खोलकर लण्ड बाहर निकाल दिया। उसका लण्ड बिल्कुल टाइट था और एक काले नाग की तरह फनफना रहा था और मेरी प्यारी गुलाबी चूत भी इस नागदेवता को लीलने के लिए तैयार थी। मैने ढेर सारा थूक लगाया और लण्ड डालने को बोला। वो मादरचोद इतना हरामी कि वो लण्ड मेरी चूत के ऊपर ऊपर सेहला रहा था। मै छटपटा रही थी। फिर मैने अपने हाथ से लण्ड अंदर कर लिया उसके बाद जो सुकून मिला है वह तो पूछो ही मत। रात 9 बजे से शुरू हुआ सफर और उसके बाद से इतने लम्बे इंतजार और तड़प के बाद जब एक लम्बा चौड़ा लण्ड चूत फाड़ते हुए अंदर जाता है तो प्यास बुझना शुरू होती है।

उसने मेरी चूत को गर्मी को महसूस किया और बोला तू कितनी गर्म है। मैने कहा सालों की गर्मी है कोई तेरा जैसा मिला ही नही। मैं खड़े खड़े ही दीवार सहारे चुद रही थी। आदित्य ने धीरे धीरे शाट मारने शूरू किये पर उसके शाट लम्बे लम्बे थे। मेरी तो 2 शाट के बाद ही आँखे बंद होने लगी, मुँह से आह की आवज निकल रही थी पर मै बिल्कुल चुप रही ताकि बाहर किसी को पता न चले। अब उसने शाट की गति बढ़ा दी, मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया था जिससे फच्च फच्च की आवाज आ रही थी। अंदर बाहर कर उसने मेरी चूत को मारना शुरू किया तो मैं भी मजे भी आगे पीछे उसका साथ दे रही थी। उसने मेरी पतली और सेक्सी कमर पकड़ रखी थी, जिससे मजा और दुगुना हो रहा था। अब उसने एक हाथ से मेरे एक पैर उठाया और पूरा पूरा लण्ड मेरी चूत में उतार दिया। मुझे ह्ल्का सा दर्द हुआ तो मैने थोड़ा और थूक निकाला और चूत में लगा दिया। इसके बाद जबरजस्त चुदाई शूरू हो चुकी थी।

मैने कमोड बंद किया और उसके सहारे झुक गयी, मेरी चौडी गांड देखकर वो और उत्तेजित हो रहा था, उस साले ने दो तीन चांटे मेरी गांड में जड़ दिया। जब वो पेल रहा था तो मेरे चूंचे आजाद आगे पीछे लटक रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे कोई इनको पकड़ के मसल दे। वों हाफ रहा था पर ताबड़तोड़ पेले जा रहा था, उसका लण्ड मेरे काफी अंदर तक जा रहा था। मेंरी टागें फैली हुई थी जिसकी वजह से पैर में दर्द होने लगा था। वह चूत मारने में काफी अनुभवी लग रहा था। वह कमोड में बैठ गया और मुझे अपने ऊपर बैठा लिया। हम आमने सामने थे और एक दूसरे को बेपनाह चूमे जा रहे थे। वह तो मुझे ऐसे चूमने लगा था जैसे मैं चाकलेट हूँ। मैं पिघल रही थी और वो मुझे कसकर पकड़े थे और दनादन लण्ड अंदर बाहर किये जा रहा था।

अब उसने लण्ड बाहर निकाल लिया, मैने सोचा इसका हो गया। पर उसने मुझे पीछे घुमाया और पीछे से मेरी चूत में पूरा लण्ड उतार दिया। उसका आगे से टेढ़ा लण्ड मेरी चूत को भोषणा बना रहा था और मेरे शरीर के रोम रोम को खड़ा कर चुका था। उस छोटी से जगह में उसने हर एंगल से जी भर के चोदा मुझे।  मै तो जन्नत की सैर करने लगी थी। मैं थोडा और नीचे झुक गयी ताकि कुलिया बन सकूं और अच्छे से चुद सकूं। चूत मारने के साथ ही वह जोरों से मेरी चूचिया भी दबा रहा था और मेरे होठ चूमें जा रहा था। वह समय मेरी जिंदगी का गोल्डन आवर था। 15 मिनट तक वह मुझे झमाझम चोदता रहा और उसके बाद गर्म वीर्य मेरी चूत में महसूस हुआ, उसका माल बहुत ज्यादा था और चूत को सुकून दे रहा था।

इसके बाद मैने फटाफट कपड़े पहने और अपना हुलिया ठीक किया। आदित्य ने भी कपड़े पहने और दरवाजा खोला। पहले मैं बाहर निकली, बाहर कोई नहीं थी, हल्का हल्का अंधेरा था। मैने पीछे मुड़कर नहीं देखा और बस स्टैण्ड के बाहर आ गयी। आटो बाहर लाइन से खड़े थे औऱ सब सो रहे थे क्योंकि अभी 3 ही बजा था। मैने एक को जगाया और अपने नये घर में आ गयी। उस दिन के बाद से आज तक आदित्य से दोबारा मुलाकात नहीं हो पायी, उसी ने मुझे लण्ड चूसना सिखाया था, उसके बाद से मैने बहुतों के लण्ड चूसे। जिसकी कहानी फिर कभी बताउंगी।

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