अमीर घर की घमंडी रण्डी
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झाँसी की अमीर रण्डी
दोस्तों, मैं रवि जुनैजा 26 साल का युवक हूँ जो नेटवर्क इंजीनियर के पद पर एक अच्छी कंपनी में कार्यरत हूँ। मेरा काम फील्ड का है और मुझे मोबाइल टावरों मे जाकर नेटवर्क सही करने होते हैं। इस काम में बहुत ज्यादा ट्रैवलिंग होती है औऱ रिस्क भी बहुत होता है क्योंकि टावर दूर दराज में सूनसान एरिया में होते हैं। टावर के नीचे एक शेल्टर रूम होते हैं जिसमें सभी बड़े छोटे मशीने होती हैं, और कई टावरो मे एक गार्ड रूम भी होता है।
मैं जब कंपनी में भर्ती हुआ था तब मेरी उम्र 24 साल थी और मैं बहुत ही ठरकी किस्म का इंसान था। नये नये में घूमने में मजा आता था और ट्रेनिंग पीरियड में काम भी काफी कम होता था। तब के समय में जब मैं किसी शहर में रूकता था तो यही पता लगाने की कोशिश करता था कि लड़किया कहाँ मिलेंगी और कैसे मिलेंगी। हर एक को जवानी में यही करना होता है तो मुझे भी करना था, फिल्में देख देखकर मेरा लण्ड बहुत फड़फ़डाता था। उस वक्त की मेरी विशलिस्ट में पहले स्थान पर चूत मारना ही था। मुझे सपने में लड़किया दिखती थी पर हकीकत में बिजी होने के कारण बस दिख भर जाती थी, फिर मुट्ठ मारकर काम चलाना पड़ता था।
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दिसबंर 2019 की बात है, मैं झाँसी में कंपनी के एक जरूरी काम से 4 दिन के लिए गया था। पहले दिन पहुँचकर बस स्टैण्ड के पास होटल लिया और खाना खाने निकल लिया। ढाबे में मैने तंदूरी बनाने वाले से पूछा ‘भाई यहाँ कोई जुगाड़ हो जाएगा’। वह बोला ‘दारू का’, मैने कहा ‘नही’, तो फिर उसने कहा ‘लड़की चाहिए’ मैने कहा ‘हाँ, अगर कोई अच्छी कम पैसों में मिल जाए, बिना रिस्क के तो’। वह बोला ‘दोपहर से शाम तक बस स्टैण्ड में घूमती रहती है, होटल में रूके हो तो वही मिल जाएगी’। यह सुनकर मैं बहुत उत्साहित हुआ और खाने के बाद ही बस स्टैण्ड के बाहर रोड पर चलने लगा।
शाम का वक्त था और रोड पर कई लोग आ जा रहे थे, तभी मैने एक लड़की को दो लड़को से बात करते हुए देखा तो मैं रूक गया। वो देखने में रण्डी टाइप की ही लग रही थी। पर उसकी उम्र ज्यादा नही थी, अंदाजे से यही कोई रही होगी 22 साल की। ठंड का टाइम था और उसने एक मस्त सा जैकेट और जींस पहनी थी। देखने में वह किसी अमीर घर की पढ़ने वाली लड़की लग रही थी, उसका फिगर एकदम नोरा फतेही से मैच कर रहा था। जैकेट की वजह से उसकी चूचिया साफ नही दिख रही थी, पर ऐसा लग रहा था कि 32 या 34 साइज की रही होगीं।
अब, मैं 10 मिनट वही किनारे खड़ा रहा जितनी देर में वहाँ करीब 4- 5 लड़के आये और उससे बात करके चले गये। अब मुझे पक्का पता चल गया था कि ये रण्डी ही है और मैं हिम्मत करके आगे बढ़ा। ये मेरा पहली बार का अनुभव था तो डर भी लग रहा था। लम्बी साँस लेकर मैं उसके पास पहुँचा और बोला ‘चलेगा क्या’। वह बोली ‘1400 रूपये एक शाट का’, मुझे ये कुछ ज्यादा ही लगा तो मैने कहा ‘500 दूगा’ वो बोली ‘1000’। फिर मैने 800 रूपये बोला और वो मान गयी और बोली चलो। मैने कहा ‘कहाँ जाना है’।
‘पीछे जो बसे खड़ी है वो एकदम खाली है और अंधेरा है वहाँ कोई आता जाता नही है, वहीं कर लेना’ वो बोली।
मैने कहा ‘नही कोई आ गया तो दिक्कत हो जाएगी।’
“मैं सब संभाल लूंगी, मेरा रोज का काम है’ वो बोली।”
मैने कहा ‘800 रूपये दे रहा हूँ, यहाँ खड़े खड़े नही मारूगा, मैं आराम से कमरे में चोदूंगा’
इस पर वह बोली ‘कमरे के 1500 लगेंगे, एक भी रूपये कम नही होगा और आराम से चोदना’
मैं 1500 में मान गया क्योंकि बात काफी आगे बढ़ गयी थी। अब वह वहाँ के सुलभ शौचालय के साइड में गयी और अपनी स्कूटी ले कर आयी। मैं तो चौंक गया और मैने कह भी दिया कि तुम्हारे पास स्कूटी है। उसने कहा इसमें इतना चौकने वाली बात क्या है चलो बैठो पीछे और रास्ता बताओ।
मैं उसको लेकर गया, पूरी बातचीत के दौरान काफी लोग हमें ध्यान से देख रहे थे, पर मैं इसलिए कान्फिडेंट था क्योंकि मै तो उस शहर में बस 4 दिन का मेहमान था और मुझे कोई जानता भी नही था। होटल पहुँचकर मैने उससे बाहर रूकने को ही कहा। 11 बज चुके थे तो होटल में केवल रिसेप्शन में एक लड़का था, जिससे मैने कहा ‘भाई आधे घण्टे के लिए लड़की लाया हूँ, ले जा सकता हूँ’ ऐसा कहते हुए मैने 100 रूपये उसकी ओर बढ़ा दिये। वो रूपये लेता हुआ बोला, कोई दिक्कत नहीं, बस जल्दी करना। फिर क्या था, मैने उसको बुलाया और पहली बार उसका नाम पूछा तो उसने दिव्या बताया। अब मैं उसको कमरे में लेकर गया और कहने लगा, दिव्या तुम ये सब क्यों करती हो। उसने कहा मैं अपनी पढ़ाई की फीस खुद भरना चाहती हूँ, मेरे घर में बहुत दिक्क्ते है। पैसों की तंगी है, खैर तुमसे क्या, तुम चोदो और मुझे जाने दो और भी ग्राहक ढूढने है।
मैने अपनी पहले उसके कपड़े उतारे फिर अपने और सीधा उसकी चूत देखने लगा। उसकी चूत बिल्कुल साफ थी, झांट का एक भी बाल नही था। गुलाबी रंग की चूत की दो फलके, ऊपर से एक मादक खुश्बू मेरा मूड बना रही थी। मैने उसको किस करना चाहा फिर मन में ख्याल आया कि पता नही किसका लण्ड चूसकर आयी होगी तो मैने किस नही की। सीधा चूचियाँ चूसने लगे और चूत पर हाथ फिराने लगा। अब चूत पर हाथ लगाया तब मेरे लण्ड मे थोड़ा करेण्ट पहुँचा और साहब ने थोडी अंगडाई ली। अब मैं उसकी छाती के ऊपर कंधे के पास बैठ गया और अपना लण्ड उसके होठो पर रख दिया। भाई इतना मजा आ रहा था कि पूछो ही मत। मुझे तो लगा कि मैं अभी तुरंत ही झड़ जाउगा। फिर मैने मन में अपने काम के बारे में सोचा कि कैसे नेटवर्क सही करने है, क्या प्लानिंग रहेगी। तब जाकर लण्ड कण्ट्रोल में आया। उसने होठों से चबाते हुए मेरा टोपा अंदर किया तो टोपे में मुहँ की गर्मी महसूस हुई तो चूत की गर्मी से मस्त थी। अब मैने एक वायग्रा निकाला जो पहले से मैने ले रखा था और निगल गया। 10 मिनट बाद, जोश का लेवल बढता हुआ महसूस हुआ तो मैं उचक कर अपना लण्ड उसके मुँह में पूरा अंदर करने लगा। वो मेरे पैरो के नीचे फंसी थी तो मुँह हटा भी नही सकती थी। मैने भी इस बात का फायदा उठाया और उसकी मुँह के ऊपर पूरा लण्ड देकर बैठ गया। अब मेरा 7.5 इंच का मोटा काला लण्ड उसके मुँह में पूरा घुसा हुआ था और वो नीचे छटपटा रही थी। मैने भी अपने 1500 रूपये पूरे वसूलने का फैसला किया था और गले तक लण्ड अंदर बाहर करने लगा।
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2 ही 3 शाट में उसने धक्का मारा और खुद को अलग किया। उसका दम घुटने लगा था, मैं वायग्रा के जोश में बेरहम हो गया था। फिर मैने उसकी गुलाबी प्यारी चूत पर अपना काला बेरहम लण्ड रखा और दे मारा। एक बार में तो ये आधा ही अदंर गया पर दूसरी बार में मैने इसको जन्नत दिखा दी। भाई चूत इतनी गरम थी कि मैं बता नही सकता। चूत में जैसे आग लगी हुई हो और मैं उसके ऊपर अपना लण़्ड सेक रहा था। 10 से 15 सेकेण्ड शाट मारने के बाद मैने लण्ड बाहर निकाला और उसको कुतिया बनने को कहा। वो तुरंत कुतिया बन गयी, फिर पीछे से शाट लगाने शुरू किया। ऐसे करने से फच्च फच्च की आवाज कमरे में गूंज रही थी। अब बोली कि हो गया तुम्हारा। मैने कहा नहीं। ऐसा कहकर उसकी गाँड पर एक जोर का हाथ मारा। वह उचक गयी और बोली ये क्या है। मैने कहा, स्टाइल है। वो भी मेरे साथ साथ आगे पीछे हो रही थी और लण्ड को पूरा अंदर कर रही थी ताकि मैं जल्दी झड़ जाऊ। चूत ने गंदा सफेद पानी छोड़ दिया था और अब इतनी फिसलन हो गयी थी कि लण्ड कहा आ रहा कहा जा रहा कुछ पता नही चल रहा था।
तो मैने लण्ड बाहर निकाला और उसकी आँख मारती हुई गाँड में धीरे से उतार दिया। उसने कहा, कुछ भी करो, पर थोेड़ा जल्दी करो यार। कितने बड़े चुदक्कड़ इंसान हो। इतना तो कोई नही चोदता है। मैने उसकी सीधा किया और उसकी दोनो टाँगे अपनी छाती पर रखकर जोर जोर से शाट मारने लगा। अब मैं भी यही चाहता था कि जल्दी माल निकले और इसे जाने दूँ। मैं जोर जोर से शाट लगा रहा था, अब वो आहें भरने लगी थी। उसकी जवान चूत एक मर्द के लण्ड को चख रही थी। मेरा टोपा बिल्कुल लाल हो चुका था और मीठा मीठा दर्द दे रहा था। मैने ढेर सारा थूक लगाया और झम्म से लौड़ा चूत के मुहाने मे रखकर अंदर उतार दिया। वह अपने दोनो हाथो से मुझे पीछे की ओर हल्का हल्का धकेल रही थी। वह मुझे उस पर हावी नही होने देना चाहती थी। मैं उसकी पतली कमर पकडकर मोटी गांड गोल गोल घुमाकर चोद रहा था। इस तरह से करीब 11 मिनट और 48 सेकेण्ड की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत के अंदर ही झड गया। मैरे झड़ते ही उसने मुझे अपने ऊपर से हटाया और बाथरूम भागी और सारा माल निकाल दिया।
फिर करीब 15 मिनट हम लोग वही बेड पर लेटे रहे। मैने उसको पैसे दिए और वही अपनी स्कूटी से वापस चली गयी। झाँसी की वो चुदाई मुझे जिंदगी भर याद रहेगी क्योंकि वह मेरी सबसे पहली चुदाई थी। उस लड़की का चेहरा आज भी मुझे याद है। इसके बाद मैं कब सो गया मुझे पता ही नही चला, अगले दिन मैं दोपहर में 2 बजे के लगभग उठा। और मैरा पूरा शरीर दर्द हो रहा था। शाम होते होते धीरे धीरे सब ठीक हो गया और मैं एक बार फिर उस लड़की की तलाश में निकल गया। इस बार मैं सिर्फ उसी को ढ़ूढ रहा था, पर शायद वो आज आयी नही थी। झांसी के 4 दिन के सफर के दौरान मैं चारों दिन उसे ढ़ूढता रहा, पर उसके बाद से आज तक वो मुझे नहीं मिली। मुझे जैसे उससे प्यार हो गया था।
फिलहाल, अपनी नौकरी के दौरान ऐसे कई किस्से मेरे साथ हुए हैं, जहाँ मुझे चोदने का मौका मिला, कुछ जवान तो कुछ उम्रदराज। मैने सभी को चोदा है जिनके किस्से आने वाले दिनों मे मैं आपको सुनाता रहूँगा।
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